अजमेर. अनियमित जीवन शैली के कारण कई तरह की बीमारियां शरीर को जकड़ रही हैं. इनमें गुर्दे में पथरी की बीमारी भी बढ़ने लगी है. जागरूकता की कमी के कारण गुर्दे में पथरी के कारण जब पेट में असहनीय दर्द होने लगता है, तब लोग चिकित्सक के पास जाते हैं. यूं तो हर चिकित्सा पद्धति में गुर्दे की पथरी का इलाज है, लेकिन बिना साइड इफेक्ट के गुर्दे की पथरी को बिना चीरफाड़ के बाहर निकलने वाली चिकित्सा पद्धति होम्योपैथी है. आइए होम्योपैथी विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ आलोक वर्मा से जानते हैं गुर्दे की पथरी के कारण, लक्षण और उपचार संबंधी हेल्थ टिप्स.
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ आलोक वर्मा बताते हैं कि मानव शरीर में दो गुर्दे (किडनी) होते हैं, जो रक्त शोधन का काम करते हैं. साथ ही शरीर में अतिरिक्त पानी को बाहर निकालते हैं. लेकिन जब गुर्दे में स्टोन बन जाए, तो गुर्दे की कार्य प्रणाली प्रभावित हो जाती है. वहीं रोगी को कई तरह की अन्य समस्याएं होने लगती हैं. यदि गुर्दे से अपशिष्ठ बाहर नहीं आता है तो यूरिया और क्रिएटिनिन बढ़ जाता है. जिस कारण हाइपरटेंशन, शरीर में एसिड लेवल का बढ़ना, कैल्शियम का कम होना जिससे हड्डियों की कमजोरी की भी समस्या होना, शरीर में बाइट आना, थकावट, कमजोरी और खून की कमी आने लगती है.
गुर्दे में पथरी के कारण: गुर्दे में पथरी बनने के कई कारण हो सकते हैं. इनमें मुख्यतः शरीर में पानी की कमी होना, ऐसा भोजन जिसमें कैल्शियम ऑक्सलेट की मात्रा अधिक रहती है मसलन पालक, पनीर, टमाटर, फास्ट फूड, सोया पनीर, बैंगन, भिंडी आदि के नियमित सेवन करने से गुर्दे में पथरी बनने लगती है. इसके अलावा मधुमेह रोगी के किडनी में स्टोन होने की संभावना ज्यादा रहती है.
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दरअसल खून में शर्करा की मात्रा अधिक होने के कारण गुर्दे में शुद्धिकरण में दिक्कत आती है. इस कारण किडनी पर दबाव पड़ता है और पथरी भी बनने लगती है. इतना ही नहीं किडनी खराब होने की संभावना भी अधिक रहती है. बार-बार यूरिन इन्फेक्शन होना, मूत्र को लंबे समय तक रोक कर रखना, मोटापे के कारण मेटाबॉलिज्म कमजोर होने से भी स्टोन की समस्या होती है. इसके अलावा ज्यादा कसरत करने से शरीर में पानी की मात्रा कम होना भी कारण है. डॉ वर्मा बताते हैं कि गुर्दे में पथरी की बीमारी 18 से 50 वर्ष तक की आयु में अधिक होती है.
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गुर्दे में पथरी के लक्षण: डॉ वर्मा बताते हैं कि गुर्दे में पथरी होने पर असहनीय पेट दर्द होता है, उसके अलावा उल्टी, दर्द के साथ मूत्र त्यागने में जलन होना, मूत्र रुक-रुक कर आना, गुर्दे में पथरी के साथ यदि यूरिन संक्रमण भी है तो ऐसे रोगी को ठंड लगकर बुखार आता है. गुर्दे में पथरी बुजुर्ग व्यक्तियों में मूत्र त्यागने में रुकावट होने का मुख्य कारण है. उन्होंने बताया कि होम्योपैथी पद्धति से उपचार करने पर 10 एमएम तक की पथरी को गुर्दे से निकाला जा सकता है. उसके लिए आवश्यक है कि चिकित्सक के परामर्श से नियमित दवा का सेवन और रोगी परहेज करें. सामान्यतः ढाई माह में दवा से गुर्दे की पथरी पूरी तरह से बाहर निकल जाती है. लेकिन यह पथरी के आकार और साइज पर भी निर्भर है.
यह खाएं और यह ना खाएं: डॉ वर्मा बताते हैं कि गुर्दे में पथरी ना हो, इसलिए पानी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए. इसके अलावा क्षारीय युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करना भी लाभदायक है. मसलन सौंफ, लोकी, जौ, तुरई, हरा धनिया, बथवा, गाजर, मूली का सेवन औषधीय गुण युक्त है. उन्होंने बताया कि गुर्दे में पथरी होने पर फास्ट फूड, कोल्ड ड्रिंक, पनीर, पालक, सोया प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ, चाय, कॉफी, चॉकलेट आदि का सेवन न करें.