अजमेर. देश में बड़ी आबादी मधुमेह रोग से ग्रसित है. इस रोग के कई कारण हो सकते हैं. मधुमेह होने पर रोगी को रोज दवाइयां लेनी होती और मधुमेह रोग के बढ़ने पर इन्सुलिन के इंजेक्शन तक रोगी को रोज लगाने पड़ते हैं. इस बीमारी से शारारिक दुर्बलता आती है. ऐसे में लोग चाहते हैं कि मधुमेह दवा से नियंत्रण तो हो, मगर शरीर को कोई अंदरूनी नुकसान भी न हो. यही वजह है कि लोग अब आयुर्वेद के उपचार पर भरोसा करने लगे हैं. आयुर्वेद पद्धति से मधुमेह रोग पर नियंत्रण के लिए जानते हैं वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बीएल मिश्रा से हेल्थ टिप्स.
संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में आयुर्वेद विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बी एल मिश्रा ने बताते हैं कि व्यक्ति के शरीर में खून में जब शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है, तो आयुर्वेद में उसे रक्त शर्करा या मधुमेह कहा जाता है. यही शर्करा मूत्र में मिलकर शरीर से बाहर निकलने लगती है, तब उसे प्रमेह कहते हैं. उन्होंने बताया कि भोजन में शर्करा होती है, जो हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है. यह ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत होता है. शरीर को बल इसी से मिलता है.
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डॉ. मिश्रा बताते हैं कि खाया हुआ भोजन समयक तरीके से लीवर, अग्नाशय और पचमनाशय में पाचन क्रिया सही रहती है तो खाया हुआ भोजन भी पच जाता है, लेकिन लीवर और अग्नाशय के विकृत होने या असंतुलित होने से इसका पचना कम या बंद हो जाता है. मूत्र के साथ शर्करा मिल जाती है और बाहर निकलने लगती है, जिससे मूत्र शर्करा या प्रमेह कहते हैं, जबकि एलोपैथिक में डायबिटीज कि यह प्रथम अवस्था कही जाती है. यह प्रक्रिया यदि लंबे समय तक शरीर में बनी रहती है, तो शर्करा रक्त में मिल जाती है, जिसे रक्त शर्करा या मधुमेह कहते हैं. एलोपैथिक में इसको डायबिटीज कहते हैं.
मधुमेह के लक्षण : शरीर के रक्त में इसकी अधिकता से कमजोरी, मांसपेशियों का कमजोर होकर क्षरण होने लगता है. शरीर में ऑक्सीजन की कमी होती है. मधुमेह के कारण आंखों की रोशनी कम होने लगती है. शरीर में थकान बनी रहती है. शरीर कमजोर होने लगता है. मांसपेशियों में दर्द, जकड़न होती है. पैरों में भी दर्द रहता है. रात के समय में पेशाब ज्यादा आता है.
संयमित दिनचर्या से नियंत्रण पाना संभव : डॉ. मिश्रा बताते हैं कि भागदौड़ भरी जिंदगी में अनियमित दिनचर्या कई रोगों को जन्म देती है, उसमें मधुमेह भी है. पौष्टिक और सात्विक भोजन करने की बजाय पेट भरने के लिए लोग फास्ट फूड और डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ का सेवन करते हैं, जो शरीर के लिए हानिकारक होता है. काम की व्यवस्था के कारण लोग शरीर को समय नहीं देते. अच्छी नींद नहीं लेते, नशा करते हैं. देर से सोते हैं. सुबह जल्दी नहीं उठते, जबकि मधुमेह समेत अन्य बीमारियों से बचने के लिए संयमित दिनचर्या का होना आवश्यक है. स्वस्थ शरीर के लिए सुबह तेज गति से मॉर्निंग वॉक, व्यायाम और योग करना जरूरी है. सुबह का नाश्ता, लंच और डिनर समय पर करना चाहिए. खाने में पौष्टिक आहार, मोटा अनाज से बने व्यंजन, रोटी, हरी सब्जियां होनी चाहिए. रात को भोजन के बाद करीब 1 से 2 किलोमीटर धीरे टहलना चाहिए, इससे पाचन क्रिया बेहतर बनी रहती है और खाया हुआ भोजन पच जाता है.
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यह खाना भी है लाभदायक : डॉ. मिश्रा ने बताया कि टमाटर के रस में हरा धनिया मिलाकर पीना, खीरा, ककड़ी, करेला, जामुन, हल्दी, हरड़, मेथी दाना, नीम की निंबोली, नीम के पत्ते, पुदीने की चटनी का सेवन लाभदायक होता है. इसके अलावा लंच के 2 घंटे बाद भुने हुए चने खाना भी अच्छा रहता है. इसके अलावा कुटकी, चिरायता का सेवन करने से भी काफी लाभ मिलता है. डॉ मिश्रा बताते हैं कि अमरूद को जलते हुए कोयले के अंगार में सेंककर खाने से खांसी और मधुमेह रोग में लाभ मिलता है. मधुमेह रोग पर नियंत्रण पाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण संयमित जीवन शैली है. जिन लोगों को मधुमेह रोग नहीं है, वह पहले ही संभल जाएं. शारीरिक श्रम यानी, मॉर्निंग वॉक, योग, व्यायाम, नाइट वॉक को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं.