शिमला: हिमाचल प्रदेश में बीते दिनों 25 फार्मा कंपनियों में बने 40 दवाइयों के सैंपल फेल हो गए. ये सैंपल केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के मानकों पर खरे नहीं उतरे. हिमाचल प्रदेश में फार्मा उद्योगों के दवाइयों के सैंपल फेल होने का यह मामला पहला मामला नहीं है. जिसे देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धनीराम शांडिल ने संबंधित कंपनियों को अल्टीमेटम दिया है. उन्होंने कहा कि अगर किसी कंपनी की दवा का सैंपल फेल होता है तो, उसे ब्लैकलिस्ट किया जाएगा. वहीं, बार-बार ऐसा होने पर कंपनी का लाइसेंस रद्द किया जाएगा.
शिमला में स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल ने इस मुद्दे को लेकर मीडिया में अपनी बात रखी. उन्होंने कहा दवाइयों के सैंपल फेल होने से प्रदेश की छवि पर बुरा असर पड़ता है. इस तरह के मामलों पर कड़ा संज्ञान लेते हुए इन उद्योगों पर एक्शन लिया जाएगा. हिमाचल प्रदेश के बद्दी फार्मा क्षेत्र की कुछ कंपनियों के दवाइयां के सैंपल फेल हुए हैं. इन सभी कंपनियों को नोटिस भेज दिए गए हैं. मामले में विभाग कार्रवाई करेगा.
शांडिल ने कहा हिमाचल प्रदेश दवाइयां का निर्यात भी करता है, लेकिन इस तरह के प्रकरणों से प्रदेश और प्रदेश के फार्मा उद्योग पर बुरा प्रभाव पड़ता है. ऐसे में दवाइयों के सैंपल फेल होने वाले फार्मा उद्योगों को ब्लैक लिस्ट किया जाएगा. पहले भी विभाग की ओर से सैंपल फेल होने पर लाइसेंस रद्द करने के कदम उठाए गए हैं. आने वाले समय में भी दवाइयां की जांच होगी. जिसमें कोई भी कमी पाई जाती है या सभी मानकों को पूरा नहीं करती है तो उसे भी तुरंत प्रभाव से खारिज कर दिया जाएगा.
वही, NPA को लेकर डॉक्टर के विरोध पर स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल ने अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा चिकित्सकों को दिए जाने वाले एपीए को बंद नहीं किया गया है. इस पर महज कुछ समय की रोक लगाई गई है. प्रदेश की आर्थिक स्थिति को देखते हुए और भारी आपदा के चलते एनपीए रोका गया है. प्रदेश में चिकित्सकों को NPA दिया जाना है.
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