गया : बिहार के बोधगया में अंतर्राष्ट्रीय धरोहर महाबोधि मंदिर परिसर में स्थित बोधि वृक्ष के स्वास्थ्य की जांच हर 6 महीने पर होती है. हर 6 महीने के अंतराल पर देहरादून से फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट की टीम बोधगया पहुंचती है और बोधि वृक्ष के स्वास्थ्य की जांच करती है. इसी कड़ी में दो दिनों तक आवश्यकता के अनुरूप बोधिवृक्ष पर वैज्ञानिकों ने दवा का छिड़काव किया. बोधिवृक्ष के आसपास में मौजूद वृक्षों का भी निरीक्षण किया.
बोधि वृक्ष के स्वास्थ्य की हुई जांच : बोधिवृक्ष के स्वास्थ्य जांच को लेकर 6 अगस्त से देहरादून की फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट की टीम आई हुई है. 6 और 7 अगस्त को जांच के बाद यह टीम आज और कल यानी 8 और 9 अगस्त को भी बोधि वृक्ष के स्वास्थ्य की जांच करेगी. हालांकि एफआरआई की टीम का कहना है, कि बोधिवृक्ष पूरी तरह से स्वस्थ है. बोधिवृक्ष के स्वास्थ्य की जांच के मौके पर बीटीएमसी की सचिव डॉक्टर श्वेता महारथी, भिक्खु दीनानंद और बीटीएमसी के सदस्य डॉक्टर अरविंद सिंह, किरण लामा आदि मौजूद थे.
आंतरिक तनों पर दवा लगाया : एफआरआई की टीम ने बोधि वृक्ष के आंतरिक तनों में कॉपर ऑक्सिक्लोराइड कवकनाशी दवा का प्रयोग किया. इस दवा के प्रयोग से बोधि वृक्ष के जड़ों में दीमक लगने का कोई खतरा नहीं होगा. एफआरआई की टीम ने बोधि वृक्ष पर स्प्रे किया. वहीं, कुछ टहनियां जो नीचे की ओर झुकी थी, उसे सपोर्ट के माध्यम से ऊंचाई पर स्थिर किया.
''बोधि वृक्ष बिल्कुल स्वस्थ है. इसकी सभी शाखाओं की सभी पत्तियां हरी हैं. आवश्यकता अनुसार दवा का छिड़काव किया गया है. हर 6 महीने पर बोधि वृक्ष के स्वास्थ्य की जांच की जाती है. 8 और 9 अगस्त को भी बोधि वृक्ष के स्वास्थ्य की जांच की जाएगी, लेकिन यह स्पष्ट है कि बोधि वृक्ष फिलहाल में पूरी तरह से स्वस्थ है.''- डॉक्टर संतन अर्थवाल, एफआरआई की टीम के सदस्य
भगवान बुद्ध को हुई थी ज्ञान की प्राप्ति : अंतर्राष्ट्रीय धरोहर महाबोधि मंदिर परिसर में स्थित यह पावण बोधि वृक्ष है. इसी बोधिवृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बौद्ध धर्मावलंबियों के बीच बड़ी आस्था है. यहां देश और विदेशों से आने वाले श्रद्धालु- पर्यटक ध्यान लगाते हैं. बुद्ध की ज्ञान प्राप्ति के कारण बोधि वृक्ष की काफी महता है.
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