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मुख्य सचिव और प्रमुख विधि सचिव बताएं, अदालत में सरकारी लचर व्यवस्था कब तक चलेगी: कोर्ट - Rajasthan High Court

राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालत में सरकार की ओर से लचर पैरवी व्यवस्था पर नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने मुख्य सचिव और प्रमुख विधि सचिव को शपथ पत्र पेश करने को कहा है.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 30, 2024, 8:47 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव और प्रमुख विधि सचिव को शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा है कि आखिर अदालतों में सरकार की ओर से लचर पैरवी की व्यवस्था कब तक रहेगी. इसके अलावा दोनों अधिकारी यह भी बताए कि सरकारी वकीलों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए क्या कार्रवाई की गई है. जस्टिस गणेश राम मीणा की एकलपीठ ने यह आदेश मुकेश कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. इसके साथ ही अदालत ने असिस्टेंट रेडियोग्राफर भर्ती-2018 से जुड़े इस मामले में राज्य सरकार को 25 हजार रुपए के हर्जाने की शर्त पर जवाब पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पूर्व में भी कई मामलों में राज्य सरकार को यह व्यवस्था सुधार के लिए कहा जा चुका है. यहां तक की कई मामलों में राज्य सरकार पर हर्जाना भी लगाया गया है. इसके बावजूद भी व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ. अदालत ने कहा कि एक प्रकरण में तो आदेश को राज्यपाल के पास भेजकर सरकार के सुस्त रवैये से अवगत भी कराया जा चुका है.

पढ़ें: हाईकोर्ट में मुकदमों की लचर पैरवी, अदालत ने राज्यपाल को दिलाया ध्यान - HC On No Representation Of State

राज्यपाल ने इस संबंध में राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगने के साथ व्यवस्था सुधार के निर्देश भी दिए होंगे. इससे लगता है कि राज्य सरकार न्यायिक व्यवस्था और अदालती आदेश को लेकर गंभीर नहीं है. आज भी कई मामलों में नोटिस जारी होने के बाद भी सरकार की ओर से पक्ष रखने वाला कोई नहीं आया है. ऐसी स्थिति में मुख्य सचिव और प्रमुख विधि सचिव से स्पष्टीकरण लेना आवश्यक हो गया है.

पढ़ें: मुकदमों में सरकार की ओर से गैरहाजिरी पर हाईकोर्ट सख्त, मुख्य सचिव से 8 सप्ताह में शपथ पत्र मांगा

अदालत ने कहा कि मामले में 20 सितंबर, 2018 को नोटिस जारी किए गए थे. इसके बावजूद भी जवाब पेश नहीं किया गया. इस पर याचिकाकर्ता ने सरकारी जवाब को बंद करने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया गया था, जिसे अदालत ने खारिज करते हुए राज्य सरकार को दो सप्ताह में जवाब पेश नहीं करने पर केस के प्रभारी अधिकारी को हाजिर होने को कहा था. इसके बावजूद भी राज्य सरकार ने जवाब पेश नहीं किया. वहीं गत 7 दिसंबर को सरकार की ओर से पक्ष रखने के लिए कोई उपस्थित नहीं हुआ. इसके अलावा अब भी राज्य सरकार की ओर से कोई वकील अदालत में हाजिर नहीं है. याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने बताया कि असिस्टेंट रेडियोग्राफर भर्ती-2018 में योग्य और मेरिट में होने के बाद भी याचिकाकर्ता को नियुक्ति नहीं दी गई है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव और प्रमुख विधि सचिव को शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा है कि आखिर अदालतों में सरकार की ओर से लचर पैरवी की व्यवस्था कब तक रहेगी. इसके अलावा दोनों अधिकारी यह भी बताए कि सरकारी वकीलों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए क्या कार्रवाई की गई है. जस्टिस गणेश राम मीणा की एकलपीठ ने यह आदेश मुकेश कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. इसके साथ ही अदालत ने असिस्टेंट रेडियोग्राफर भर्ती-2018 से जुड़े इस मामले में राज्य सरकार को 25 हजार रुपए के हर्जाने की शर्त पर जवाब पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पूर्व में भी कई मामलों में राज्य सरकार को यह व्यवस्था सुधार के लिए कहा जा चुका है. यहां तक की कई मामलों में राज्य सरकार पर हर्जाना भी लगाया गया है. इसके बावजूद भी व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ. अदालत ने कहा कि एक प्रकरण में तो आदेश को राज्यपाल के पास भेजकर सरकार के सुस्त रवैये से अवगत भी कराया जा चुका है.

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राज्यपाल ने इस संबंध में राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगने के साथ व्यवस्था सुधार के निर्देश भी दिए होंगे. इससे लगता है कि राज्य सरकार न्यायिक व्यवस्था और अदालती आदेश को लेकर गंभीर नहीं है. आज भी कई मामलों में नोटिस जारी होने के बाद भी सरकार की ओर से पक्ष रखने वाला कोई नहीं आया है. ऐसी स्थिति में मुख्य सचिव और प्रमुख विधि सचिव से स्पष्टीकरण लेना आवश्यक हो गया है.

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अदालत ने कहा कि मामले में 20 सितंबर, 2018 को नोटिस जारी किए गए थे. इसके बावजूद भी जवाब पेश नहीं किया गया. इस पर याचिकाकर्ता ने सरकारी जवाब को बंद करने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया गया था, जिसे अदालत ने खारिज करते हुए राज्य सरकार को दो सप्ताह में जवाब पेश नहीं करने पर केस के प्रभारी अधिकारी को हाजिर होने को कहा था. इसके बावजूद भी राज्य सरकार ने जवाब पेश नहीं किया. वहीं गत 7 दिसंबर को सरकार की ओर से पक्ष रखने के लिए कोई उपस्थित नहीं हुआ. इसके अलावा अब भी राज्य सरकार की ओर से कोई वकील अदालत में हाजिर नहीं है. याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने बताया कि असिस्टेंट रेडियोग्राफर भर्ती-2018 में योग्य और मेरिट में होने के बाद भी याचिकाकर्ता को नियुक्ति नहीं दी गई है.

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