जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि पारिवारिक विवादों से जुड़े अपराध के दोषी व्यक्ति को नियुक्ति दी जा सकती है, तो ऐसे मामले में सेवानिवृत्ति परिलाभ क्यों नहीं दिए जा सकते. इसके साथ ही अदालत ने पेंशन परिलाभ रोकने के सहायक पेंशन निदेशक के आदेश को रद्द करते हुए दो माह में पेंशन और परिलाभ अदा करने को कहा है. जस्टिस गणेश राम मीणा की एकलपीठ ने यह आदेश महेश चन्द्र सोनी की याचिका पर दिए.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार को करीब 38 साल के सेवा दी है. पारिवारिक विवाद, जिसका उसके आधिकारिक कर्तव्यों से लेना-देना नहीं होने के चलते उसके पेंशन परिलाभ रोकना गलत है. पेंशन नियम, 1996 के नियम 90 में लिखित न्यायिक कार्यवाही शब्द को पारिवारिक विवादों से संबंधित कार्यवाही के लिए नहीं माना जा सकता. किसी रिटायर कर्मचारी को जीवन जीने में वित्तीय समस्या का सामना नहीं करने के उद्देश्य से पेंशन व परिलाभ दिए जाते हैं.
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याचिका में कहा गया कि वह वर्ष 1985 में चिकित्सा विभाग में मेल नर्स के पद पर नियुक्त हुआ था. वहीं गत वर्ष वह रिटायर हो गया. अपने सेवाकाल के दौरान वर्ष 2021 में उसके बेटे के ससुराल पक्ष ने उस पर घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया था. जिसका ट्रायल चल रहा है. इसी बीच पुलिस ने अगस्त, 2022 में विभाग में रिपोर्ट देकर याचिकाकर्ता पर कार्रवाई करने को कहा, लेकिन विभाग ने जांच के बाद विभागीय कार्रवाई का दोषी नहीं मानते हुए क्लीन चिट दे दी.
याचिका में कहा गया कि सहायक पेंशन निदेशक ने अगस्त, 2023 में आदेश जारी कर उसकी पेंशन व अन्य परिलाभ रोक लिए. जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. याचिका में कहा गया कि सेवाकाल के दौरान उसे विभागीय प्रशंसा पत्र मिले हैं और कभी विभागीय कार्रवाई का सामना नहीं करना पड़ा. पारिवारिक विवाद के चलते उसके खिलाफ झूठा मामला दर्ज कराया है. ऐसे में उसकी पेंशन व परिलाभ रोकना गलत है.