जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय (विवि) के रिटायर शिक्षकों और कर्मचारियों को पेंशन परिलाभ का भुगतान नहीं करने को गंभीरता से लिया है. अदालत ने संयुक्त उच्च शिक्षा सचिव को गुरुवार को व्यक्तिगत या वीसी के जरिए पेश होकर यह बताने के लिए कहा है कि विवि की ओर से भेजे गए अनुमोदन के पत्र या प्रतिवेदनों पर राज्य सरकार की ओर से क्या कार्रवाई की जा रही है. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश मोहनलाल गुप्ता की याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता सोगत रॉय ने बताया कि याचिकाकर्ता राजस्थान विश्वविद्यालय से 2017 में क्लर्क पद से रिटायर हुआ, लेकिन उसे विश्वविद्यालय ने पेंशन परिलाभ का भुगतान नहीं किया. पेंशन परिलाभ के लिए याचिकाकर्ता ने विवि को कई प्रतिवेदन दिए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसे हाईकोर्ट में चुनौती देने पर हाईकोर्ट ने विवि से जवाब तलब किया था. इस पर विवि की ओर से कहा गया कि उन्होंने याचिकाकर्ता के पेंशन परिलाभ के अनुमोदन के लिए राज्य सरकार को कई बार पत्र लिखे हैं.
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लेकिन उन पर राज्य सरकार की ओर से कोई भी सुनवाई नहीं हो रही है. इस पर याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार की विश्वविद्यालय के पत्रों के प्रति उदासीन रवैया अपनाया जा रहा है, लेकिन इसका खामियाजा याचिकाकर्ता को उठाना पड़ रहा है. ऐसे में राज्य सरकार को निर्देश दिए जाएं. अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए संयुक्त उच्च शिक्षा सचिव को हाजिर होकर मामले में स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है.