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दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से कहा- गाजीपुर, भलस्वा डेयरियों को लैंडफिल साइटों से दूर स्थानांतरित करने के लिए जमीन तलाशें - feasibility to shift dairies delhi

Feasibility to shift dairies in delhi: केंद्र सरकार से दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि गाजीपुर, भलस्वा डेयरियों को लैंडफिल साइटों से दूर स्थानांतरित करने के जमीन तलाशकर वापस आएं. वहीं उन्होंने एमसीडी अधिकारियों पर भी सवाल उठाए.

दिल्ली उच्च न्यायालय
दिल्ली उच्च न्यायालय (ETV Bharat)
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By PTI

Published : Jul 12, 2024, 8:39 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह गाजीपुर और भलस्वा डेयरियों को शहर के बाहर वैकल्पिक स्थलों पर स्थानांतरित करने की व्यवहार्यता तलाशे. उन्हें लैंडफिल साइटों के बगल में स्थित नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह बहुत खतरनाक है. उच्च न्यायालय ने डेयरियों की "दयनीय और अस्वच्छ स्थिति" में सुधार के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने के लिए शहर के अधिकारियों को भी फटकार लगाई.

कोर्ट ने कहा कि वे (एमसीडी अधिकारी) सिर्फ हमें गुमराह कर रहे हैं और उन्हें लगता है कि वे बच जाएंगे. आम तौर पर हम नियंत्रण और संतुलन नहीं रखते, लेकिन यहां हमने डीएसएलएसए (दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण) को इसमें शामिल होने का निर्देश दिया है. इसमें एक रजिस्ट्रार स्तर का अधिकारी शामिल है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि डेयरियों को स्थानांतरित करने के पहुंचाने के लिए एमसीडी और दिल्ली सरकार इसका खर्च वहन करेगा, और कोई नहीं. इस संबंध में पीठ एक विस्तृत आदेश पारित करेगी.

कोर्ट ने आगे कहा कि आप (केंद्र) गाजीपुर और भलस्वा डेयरियों के लिए कुछ वैकल्पिक जमीन खोजें और फिर हमारे पास वापस आएं. हम उन्हें शिफ्ट कर देंगे. वे लैंडफिल के बगल में नहीं हो सकते. यह बहुत ही खतरनाक है. केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे पड़ोसी राज्यों में वैकल्पिक भूमि की तलाश करनी होगी, जिसपर पीठ ने कहा "कहीं भी, लेकिन उचित कार्य योजना के साथ ऐसा करें."

पीठ ने कहा कि वह अपने निजी फायदे के लिए ऐसा नहीं कर रही है, बल्कि उसे शहर की अगली पीढ़ी की चिंता है, जिसे घटिया दूध का सेवन नहीं कराया जा सकता. इस पर एमसीडी के वकील ने कहा, "हमारे लिए राज्य के सभी नागरिकों को शाकाहारी बनने के लिए कहना बहुत मुश्किल है. यह नहीं हो सकता. इससे पहले अदालत को सूचित किया गया था कि काकरोला डेयरी, गोएला डेयरी, नंगली शकरावती डेयरी, झारोदा डेयरी, भलस्वा डेयरी, गाजीपुर डेयरी, शाहबाद दौलतपुर डेयरी, मदनपुर खादर डेयरी और मसूदपुर डेयरी की स्थिति खराब थी.

यह भी पढ़ें- कंझावला हिट एंड रन केस: दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोपी कृष्ण की जमानत याचिका पर पुलिस से मांगा जवाब

अदालत ने पहले मुख्य सचिव से पशु डेयरियों से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए एक रोड मैप देने को कहा था, जिसमें डेयरी मालिकों द्वारा वैधानिक आवश्यकताओं का अनुपालन और राष्ट्रीय राजधानी में स्वच्छता बनाए रखना शामिल था. यह टिप्पणी करते हुए कि प्रशासन ने डेयरियों की स्थिति पर "आंखें मूंद ली हैं" और "नागरिक उस दूध का उपभोग नहीं कर सकते जो सुरक्षित नहीं है", अदालत ने कहा था कि वह इस समस्या से निपटने के लिए मदनपुर खादर डेयरी में एक पायलट परियोजना शुरू करेगी.

यह भी पढ़ें- यमुना के पास अतिक्रमण और अवैध निर्माण पर चलेगा बुलडोजर, दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया आदेश

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह गाजीपुर और भलस्वा डेयरियों को शहर के बाहर वैकल्पिक स्थलों पर स्थानांतरित करने की व्यवहार्यता तलाशे. उन्हें लैंडफिल साइटों के बगल में स्थित नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह बहुत खतरनाक है. उच्च न्यायालय ने डेयरियों की "दयनीय और अस्वच्छ स्थिति" में सुधार के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने के लिए शहर के अधिकारियों को भी फटकार लगाई.

कोर्ट ने कहा कि वे (एमसीडी अधिकारी) सिर्फ हमें गुमराह कर रहे हैं और उन्हें लगता है कि वे बच जाएंगे. आम तौर पर हम नियंत्रण और संतुलन नहीं रखते, लेकिन यहां हमने डीएसएलएसए (दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण) को इसमें शामिल होने का निर्देश दिया है. इसमें एक रजिस्ट्रार स्तर का अधिकारी शामिल है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि डेयरियों को स्थानांतरित करने के पहुंचाने के लिए एमसीडी और दिल्ली सरकार इसका खर्च वहन करेगा, और कोई नहीं. इस संबंध में पीठ एक विस्तृत आदेश पारित करेगी.

कोर्ट ने आगे कहा कि आप (केंद्र) गाजीपुर और भलस्वा डेयरियों के लिए कुछ वैकल्पिक जमीन खोजें और फिर हमारे पास वापस आएं. हम उन्हें शिफ्ट कर देंगे. वे लैंडफिल के बगल में नहीं हो सकते. यह बहुत ही खतरनाक है. केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे पड़ोसी राज्यों में वैकल्पिक भूमि की तलाश करनी होगी, जिसपर पीठ ने कहा "कहीं भी, लेकिन उचित कार्य योजना के साथ ऐसा करें."

पीठ ने कहा कि वह अपने निजी फायदे के लिए ऐसा नहीं कर रही है, बल्कि उसे शहर की अगली पीढ़ी की चिंता है, जिसे घटिया दूध का सेवन नहीं कराया जा सकता. इस पर एमसीडी के वकील ने कहा, "हमारे लिए राज्य के सभी नागरिकों को शाकाहारी बनने के लिए कहना बहुत मुश्किल है. यह नहीं हो सकता. इससे पहले अदालत को सूचित किया गया था कि काकरोला डेयरी, गोएला डेयरी, नंगली शकरावती डेयरी, झारोदा डेयरी, भलस्वा डेयरी, गाजीपुर डेयरी, शाहबाद दौलतपुर डेयरी, मदनपुर खादर डेयरी और मसूदपुर डेयरी की स्थिति खराब थी.

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अदालत ने पहले मुख्य सचिव से पशु डेयरियों से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए एक रोड मैप देने को कहा था, जिसमें डेयरी मालिकों द्वारा वैधानिक आवश्यकताओं का अनुपालन और राष्ट्रीय राजधानी में स्वच्छता बनाए रखना शामिल था. यह टिप्पणी करते हुए कि प्रशासन ने डेयरियों की स्थिति पर "आंखें मूंद ली हैं" और "नागरिक उस दूध का उपभोग नहीं कर सकते जो सुरक्षित नहीं है", अदालत ने कहा था कि वह इस समस्या से निपटने के लिए मदनपुर खादर डेयरी में एक पायलट परियोजना शुरू करेगी.

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