ETV Bharat / state

सूरजपाल के भोले बाबा बनने की कहानी; बसपा-सपा सरकार में था भोकाल, मिली थी लाल बत्ती - Bhole Baba Story

आईए जानते हैं कि जो सुरजपाल कभी यौन शौषण के मामले में यूपी पुलिस से बर्खास्त किया गया था, उसके इतनी बड़ी संख्या में फॉलोअर कैसे बन गया. आखिर सूरजपाल भोले बाबा बना कैसे?

Etv Bharat
भोले बाबा अपनी पत्नी के साथ. (फोटो क्रेडिट; Etv Bharat Archive)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 3, 2024, 4:17 PM IST

लखनऊ: सत्संग में सूट बूट पहन भोकाल से गाड़ियों के काफिले के साथ पहुंचने वाला भोला बाबा की जिंदगी हमेसा ऐसी नही थी. दरअसल, भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल है. यूपी के एटा जिले स्थित बहादुर नगरी गांव में सूरजपाल का जन्म हुआ था. पढ़ाई के साथ-साथ खेती करने वाले सूरज की किस्मत चमकी और वह यूपी पुलिस में आरक्षी के पद नियुक्त हो गया.

नौकरी ठीक चल रही थी, लेकिन इस बीच उसके ऊपर यौन शौषण का आरोप लगा. जांच हुई और आरोप सही पाए जाने पर उसे बर्खास्त कर दिया गया. सूरजपाल पर करीब पांच मुकदमे हो चुके थे. कई मुकदमो के दर्ज होने के बाद अपनी पहचान छुपाने की मजबूरी ने सूरजपाल को भोले बाबा बनाया और आज कई राज्यों में उसके लाखो भक्त हो चुके.

सूरजपाल जेल से बाहर आने पर बन गया बाबा: नौकरी से बर्खास्तगी और यौन शौषण के आरोप में जेल जाने पर सूरजपाल अब अपनी पहचान बदलना चाहता था. लिहाजा जेल से छूटने के बाद उसने बाबा बनने को ठान ली और नाम नारायण हरि उर्फ साकार विश्वहरि रख लिया और प्रवर्चन देने लगा.

वह अपनी पत्नी को हर सत्संग में अपने साथ रखता है. उसके अनुयायी उसे भोले बाबा कहने लगे. धीरे-धीरे उसकी ख्याति बढ़ने लगी. भोले बाबा अपने भोकाल में बिल्कुल भी कमी नहीं रखता है. कई गाड़ियों के काफिले के साथ निकलता है. खुद की एक फौज बना रखी है जो उसके सत्संग में सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी उठाती है.

बाबा का दावा, भगवान से हुआ डायरेक्ट साक्षात्कार: भोले बाबा अपने भक्तों को बताता है कि उसने 18 साल की नौकरी की और 90 के दशक में उसने VRS ले लिया था. वीआरएस लेने के बाद भगवान से उसका साक्षात्कार हुआ और फिर भगवान की प्रेरणा से पता चला, यह शरीर उसी परमात्मा का अंश है. इसके बाद उन्होंने अपना जीवन मानव कल्याण में लगाने का फैसला कर लिया. वह दावा करता है, IAS-IPS उसके चेले हैं. इतना ही नहीं कई बड़े नेता भी उसके समागम में पहुंचते हैं.

बसपा सरकार में मिला था लाल बत्ती प्रोटोकॉल: सूरजपाल उर्फ भोलेबाबा ने इन वर्षों में पश्चिमी यूपी, एमपी, बिहार, राजस्थान के कई जिलों में गांव-गांव तक अपनी पैठ बना रखी है. लोग उसे भगवान की तरह पूजते हैं. बाबा खुद जाटव हैं और उनकी दलित और ओबीसी वर्ग में गहरी पैठ है. यही वजह है कि सरकार कोई भी हो भोले बाबा का भोकाल फिट रहता है. बसपा सरकार में तो भोले बाबा के काफिले की गाड़ियों में लाल बत्ती लगी होती थी.

इतना ही नहीं बाबा की गाड़ी को पुलिस एस्कॉर्ट करती थी. समाजवादी पार्टी भी भोले बाबा की शरण में ही रहती है. जनवरी 2023 में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भोले बाबा के सत्संग में हिस्सा लिया था. उन्होंने सोशल मीडिया में फोटो शेयर करते हुए लिखा था कि नारायण साकार हरि की संपूर्ण ब्रह्मांड में सदा-सदा के लिए जय जयकार हो.

ये भी पढ़ेंः हाथरस सत्संग भगदड़; CM Yogi बोले- ये साजिश है या हादसा, रिटायर्ड जज करेंगे जांच, कमांडो की धक्का-मुक्की के बाद मचा था हाहाकार

लखनऊ: सत्संग में सूट बूट पहन भोकाल से गाड़ियों के काफिले के साथ पहुंचने वाला भोला बाबा की जिंदगी हमेसा ऐसी नही थी. दरअसल, भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल है. यूपी के एटा जिले स्थित बहादुर नगरी गांव में सूरजपाल का जन्म हुआ था. पढ़ाई के साथ-साथ खेती करने वाले सूरज की किस्मत चमकी और वह यूपी पुलिस में आरक्षी के पद नियुक्त हो गया.

नौकरी ठीक चल रही थी, लेकिन इस बीच उसके ऊपर यौन शौषण का आरोप लगा. जांच हुई और आरोप सही पाए जाने पर उसे बर्खास्त कर दिया गया. सूरजपाल पर करीब पांच मुकदमे हो चुके थे. कई मुकदमो के दर्ज होने के बाद अपनी पहचान छुपाने की मजबूरी ने सूरजपाल को भोले बाबा बनाया और आज कई राज्यों में उसके लाखो भक्त हो चुके.

सूरजपाल जेल से बाहर आने पर बन गया बाबा: नौकरी से बर्खास्तगी और यौन शौषण के आरोप में जेल जाने पर सूरजपाल अब अपनी पहचान बदलना चाहता था. लिहाजा जेल से छूटने के बाद उसने बाबा बनने को ठान ली और नाम नारायण हरि उर्फ साकार विश्वहरि रख लिया और प्रवर्चन देने लगा.

वह अपनी पत्नी को हर सत्संग में अपने साथ रखता है. उसके अनुयायी उसे भोले बाबा कहने लगे. धीरे-धीरे उसकी ख्याति बढ़ने लगी. भोले बाबा अपने भोकाल में बिल्कुल भी कमी नहीं रखता है. कई गाड़ियों के काफिले के साथ निकलता है. खुद की एक फौज बना रखी है जो उसके सत्संग में सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी उठाती है.

बाबा का दावा, भगवान से हुआ डायरेक्ट साक्षात्कार: भोले बाबा अपने भक्तों को बताता है कि उसने 18 साल की नौकरी की और 90 के दशक में उसने VRS ले लिया था. वीआरएस लेने के बाद भगवान से उसका साक्षात्कार हुआ और फिर भगवान की प्रेरणा से पता चला, यह शरीर उसी परमात्मा का अंश है. इसके बाद उन्होंने अपना जीवन मानव कल्याण में लगाने का फैसला कर लिया. वह दावा करता है, IAS-IPS उसके चेले हैं. इतना ही नहीं कई बड़े नेता भी उसके समागम में पहुंचते हैं.

बसपा सरकार में मिला था लाल बत्ती प्रोटोकॉल: सूरजपाल उर्फ भोलेबाबा ने इन वर्षों में पश्चिमी यूपी, एमपी, बिहार, राजस्थान के कई जिलों में गांव-गांव तक अपनी पैठ बना रखी है. लोग उसे भगवान की तरह पूजते हैं. बाबा खुद जाटव हैं और उनकी दलित और ओबीसी वर्ग में गहरी पैठ है. यही वजह है कि सरकार कोई भी हो भोले बाबा का भोकाल फिट रहता है. बसपा सरकार में तो भोले बाबा के काफिले की गाड़ियों में लाल बत्ती लगी होती थी.

इतना ही नहीं बाबा की गाड़ी को पुलिस एस्कॉर्ट करती थी. समाजवादी पार्टी भी भोले बाबा की शरण में ही रहती है. जनवरी 2023 में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भोले बाबा के सत्संग में हिस्सा लिया था. उन्होंने सोशल मीडिया में फोटो शेयर करते हुए लिखा था कि नारायण साकार हरि की संपूर्ण ब्रह्मांड में सदा-सदा के लिए जय जयकार हो.

ये भी पढ़ेंः हाथरस सत्संग भगदड़; CM Yogi बोले- ये साजिश है या हादसा, रिटायर्ड जज करेंगे जांच, कमांडो की धक्का-मुक्की के बाद मचा था हाहाकार

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.