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भोले बाबा की अपनी फौज; खाकी उतार गुलाबी वर्दी में पुलिसकर्मी करते फ्लीट एस्कॉर्ट - Hathras Satsang Stampede - HATHRAS SATSANG STAMPEDE

सूरजपाल सिंह उर्फ एसपी सिंह पहले पुलिस में सिपाही थे. जो मुख्य आरक्षी भी बने. मगर, पुलिस की नौकरी छोड़कर एसपी सिंह ने सत्संग करना शुरू कर दिया. जिससे कुछ ही समय में एसपी सिंह अपने अनुयायियों में नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के रूप में मशहूर हो गए.

भोले बाबा की अपनी फौज
भोले बाबा की अपनी फौज (फोटो क्रेडिट; Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 3, 2024, 1:51 PM IST

आगरा: हाथरस के सिकंदराराऊ के गांव फुलरई मुगलगढ़ी में नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 121 से अधिक लोगों की मौत हो गई. जिस तरह से सत्संग स्थल श्मशान बना है, इसकी वजह कार्यक्रम के व्यवस्थापकों की लापरवाही रही है. जिससे बेकाबू भीड़ नियंत्रित नहीं हो पाई.

भोले बाबा के सत्संग की व्यवस्था में अहम भूमिका गुलाबी वर्दीधारियों की होती है. जो बाबा की अपनी फौज है. जिसमें तमाम ऐसे वॉलेंटियर हैं जो पुलिस में नौकरी करते हैं. ये छुट्टी लेकर भोले बाबा के सत्संग में सेवा करने पहुंचते हैं. सेना और अन्य फोर्स से रिटायर लोग भी वॉलेंटियर्स हैं. ये पूरी व्यवस्था संभालते हैं. सबसे खास बात ये है कि, भोले बाबा के एस्कॉर्ट में पुलिसकर्मी शामिल होते हैं.

बता दें कि, सूरजपाल सिंह उर्फ एसपी सिंह पहले पुलिस में सिपाही थे. जो मुख्य आरक्षी भी बने. मगर, पुलिस की नौकरी छोड़कर एसपी सिंह ने सत्संग करना शुरू कर दिया. जिससे कुछ ही समय में एसपी सिंह अपने अनुयायियों में नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के रूप में मशहूर हो गए.

खाकी छोड़कर सूटबूट वाले बाबा के अनुयायियों में पुलिसकर्मी, रिटायर सैनिक और अन्य नौकरी पेशा भी शामिल हैं. जो सत्संग में जाने के लिए छुट्टी लेते हैं. जो बाबा के सत्संग स्थल पर पहुंचने से पहले ही पहुंचते हैं. भोले बाबा के सत्संग स्थल से जाने पर जाते हैं.

बता दें कि, पुलिस महकमे में नौकरी की वजह से भोले बाबा को भी बडे़ आयोजन कैसे सफल बनाए जाते हैं, इसकी जानकारी है. पुलिस महकमे में भी उनके अनुयायी बहुत हैं, जो बेहद अनुभवी हैं. अनुभवी पुलिसकर्मियों के जिम्मे ही सत्संग स्थल के आसपास की यातायात व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था रहती है.

ये ही अनुभवी पुलिसकर्मी सत्संग में आकर गुलाबी वर्दी पहनकर अपनी सेवाएं देते हैं. अनुभवी पुलिसकर्मी ही सत्संग आयोजन स्थल पर डी बनाते हैं. पानी पिलाने से लेकर मंच और पंडाल की व्यवस्थाएं भी बेहतर रहें, इसकी पूरी रूपरेखा भी पुलिसकर्मी ही बनाते हैं.

नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा ने अनुयायियों की संख्या बढ़ने पर पहले अपनी व्यवस्थाएं संभालने के लिए स्वंयसेवक बनाए. जिन्हें अलग रंग की वर्दी दी. पहले नीले रंग की वर्दी दी गई थी. बाद में नीली से स्वंयसेवकों की वर्दी का रंग गुलाबी हो गया.

ये स्वंयसेवक ही हर सत्संग में कार्यक्रम स्थल के आसपास की सड़कों पर गुलाबी वर्दी पहनकर और हाथ में डंडे लेकर यातायात का संचालन करते हैं. पानी पिलाने वाले महिला और पुरुष भी गुलाबी वर्दी बहनते हैं.

यूपी के जिला कासगंज की पटियाली तहसील के बहादुर नगर निवासी सूरजपाल सिंह उर्फ एसपी सिंह ही भोले बाबा हैं. जिनका अध्यात्म की दुनिया में नाम नारायण साकार हरि है. जो भोले बाबा के नाम से मशहूर हैं. एसपी सिंह ने अध्यात्म और उपदेश के शौक में पुलिस विभाग की 17 वर्ष पहले नौकरी छोड़ दी. क्योंकि, नौकरी के दौरान ही एसपी सिंह ने उपदेश देना शुरू कर दिया था. नौकरी छोड़ कर पूरी तरीके से अध्यात्म की दुनिया में कदम रखा.

ये भी पढ़ेंः हाथरस सत्संग भगदड़; भोले बाबा की महिला अनुयायी बोलीं, पहली बार देखा ऐसा मंजर...कांप गई रूह

ये भी पढ़ेंः हाथरस सत्संग हादसे में मुख्य सेवादार समेत सहयोगियों पर रिपोर्ट दर्ज, भोले बाबा का नाम नहीं

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आगरा: हाथरस के सिकंदराराऊ के गांव फुलरई मुगलगढ़ी में नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 121 से अधिक लोगों की मौत हो गई. जिस तरह से सत्संग स्थल श्मशान बना है, इसकी वजह कार्यक्रम के व्यवस्थापकों की लापरवाही रही है. जिससे बेकाबू भीड़ नियंत्रित नहीं हो पाई.

भोले बाबा के सत्संग की व्यवस्था में अहम भूमिका गुलाबी वर्दीधारियों की होती है. जो बाबा की अपनी फौज है. जिसमें तमाम ऐसे वॉलेंटियर हैं जो पुलिस में नौकरी करते हैं. ये छुट्टी लेकर भोले बाबा के सत्संग में सेवा करने पहुंचते हैं. सेना और अन्य फोर्स से रिटायर लोग भी वॉलेंटियर्स हैं. ये पूरी व्यवस्था संभालते हैं. सबसे खास बात ये है कि, भोले बाबा के एस्कॉर्ट में पुलिसकर्मी शामिल होते हैं.

बता दें कि, सूरजपाल सिंह उर्फ एसपी सिंह पहले पुलिस में सिपाही थे. जो मुख्य आरक्षी भी बने. मगर, पुलिस की नौकरी छोड़कर एसपी सिंह ने सत्संग करना शुरू कर दिया. जिससे कुछ ही समय में एसपी सिंह अपने अनुयायियों में नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के रूप में मशहूर हो गए.

खाकी छोड़कर सूटबूट वाले बाबा के अनुयायियों में पुलिसकर्मी, रिटायर सैनिक और अन्य नौकरी पेशा भी शामिल हैं. जो सत्संग में जाने के लिए छुट्टी लेते हैं. जो बाबा के सत्संग स्थल पर पहुंचने से पहले ही पहुंचते हैं. भोले बाबा के सत्संग स्थल से जाने पर जाते हैं.

बता दें कि, पुलिस महकमे में नौकरी की वजह से भोले बाबा को भी बडे़ आयोजन कैसे सफल बनाए जाते हैं, इसकी जानकारी है. पुलिस महकमे में भी उनके अनुयायी बहुत हैं, जो बेहद अनुभवी हैं. अनुभवी पुलिसकर्मियों के जिम्मे ही सत्संग स्थल के आसपास की यातायात व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था रहती है.

ये ही अनुभवी पुलिसकर्मी सत्संग में आकर गुलाबी वर्दी पहनकर अपनी सेवाएं देते हैं. अनुभवी पुलिसकर्मी ही सत्संग आयोजन स्थल पर डी बनाते हैं. पानी पिलाने से लेकर मंच और पंडाल की व्यवस्थाएं भी बेहतर रहें, इसकी पूरी रूपरेखा भी पुलिसकर्मी ही बनाते हैं.

नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा ने अनुयायियों की संख्या बढ़ने पर पहले अपनी व्यवस्थाएं संभालने के लिए स्वंयसेवक बनाए. जिन्हें अलग रंग की वर्दी दी. पहले नीले रंग की वर्दी दी गई थी. बाद में नीली से स्वंयसेवकों की वर्दी का रंग गुलाबी हो गया.

ये स्वंयसेवक ही हर सत्संग में कार्यक्रम स्थल के आसपास की सड़कों पर गुलाबी वर्दी पहनकर और हाथ में डंडे लेकर यातायात का संचालन करते हैं. पानी पिलाने वाले महिला और पुरुष भी गुलाबी वर्दी बहनते हैं.

यूपी के जिला कासगंज की पटियाली तहसील के बहादुर नगर निवासी सूरजपाल सिंह उर्फ एसपी सिंह ही भोले बाबा हैं. जिनका अध्यात्म की दुनिया में नाम नारायण साकार हरि है. जो भोले बाबा के नाम से मशहूर हैं. एसपी सिंह ने अध्यात्म और उपदेश के शौक में पुलिस विभाग की 17 वर्ष पहले नौकरी छोड़ दी. क्योंकि, नौकरी के दौरान ही एसपी सिंह ने उपदेश देना शुरू कर दिया था. नौकरी छोड़ कर पूरी तरीके से अध्यात्म की दुनिया में कदम रखा.

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