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इस संत की तपस्या देखकर हो जाएंगे हैरान, उपले जलाकर विश्व शांति व कल्याण के लिए हठ योग - Hatha Yoga penance in Bhilwara

भीलवाड़ा के आसींद इलाके के बाजुदा गांव में नाथ सम्प्रदाय के एक संत सुरेश नाथ योगी की हठयोग से तपस्या इन दिनों चर्चा में है. वो 5 धूनी में कुल 540 उपले जलाकर प्रतिदिन 40 डिग्री से अधिक की गर्मी में तपस्या करते हैं. वे 18 जून तक यह तपस्या करेंगे.

HATHA YOGA PENANCE IN BHILWARA
HATHA YOGA PENANCE IN BHILWARA (फोटो : ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 12, 2024, 1:25 PM IST

योगी की अग्नि तपस्या (वीडियो : ईटीवी भारत)

भीलवाड़ा. जिले की आसींद विधानसभा क्षेत्र के बाजुदा ग्राम पंचायत क्षेत्र में इस तपती गर्मी में जहां तापमान 42 डिग्री सेल्सियस है, ऐसे समय में विश्व कल्याण व शांति के लिए महंत सुरेश नाथ योगी चारों तरफ गाय के उपले (कंडे) से अग्नि प्रज्वलित कर तपस्या कर रहे हैं. वे रोज 2 घंटे सुबह 11 से दोपहर 1 बजे तक गाय के उपलों को अपने चारों ओर जलाकर व बीच में आसान लगाकर विश्व शांति व कल्याण के लिए तपस्या कर रहे हैं.

34 वर्षीय तपस्वी योगी सुरेश नाथ का मूल आश्रम राजसमंद जिले के भीम के पास टोगी गांव में स्थित है. वर्तमान में वो आसींद के बाजूदा गांव के गौरक्षनाथ मंदिर धुणी आश्रम में अग्नि तपस्या कर रहे हैं. तपस्वी ने अग्नि तपस्या की शुरुआत 21 फरवरी से की है जो 18 जून तक चलेगी. वे अग्नि तपस्या के दौरान गुरु गौरक्षनाथ का ध्यान करते हैं. तपस्वी की पत्नी का नाम महिमा देवी है. शादी के बाद से उनके कोई संतान नहीं है. तपस्वी ने बाल्य काल से ही संत बनने की मन में ठानी थी. तपस्वी पिछले 1 वर्ष से ऐसी ही तपस्या करते आ रहे हैं, वो इस तरह की विभिन्न तपस्या 18 साल तक करते रहेंगे. तपस्वी ने कहा हैं कि उनका जन्म नाथ संप्रदाय में हुआ है और तपस्या करना ही उनका कर्म और धर्म है.

आसन के चारों तरफ 5 जगह लगाते हैं धूनी : तपस्वी सुरेश नाथ योगी जब दिन में 11 से 1 बजे तक तपस्या करते हैं तब उनके चारों तरफ पांच जगह धूनी प्रज्वलित की जाती है. वैदिक मंत्रोचार के साथ पूजा पाठ करके धूनी में आग प्रज्वलित करते हैं. एक धूनी में गाय के 108 उपले जलाए जाते हैं. ऐसे में पांचो धूनियों में 540 उपले प्रतिदिन उपयोग में लेते हैं. तपस्वी ने कहा कि सनातन धर्म में 108 व गाय का विशेष महत्व है. गाय के उपलों की व्यवस्था भक्त लोग करते हैं.

इसे भी पढ़ें- MP: अंजुरी में भोजन-पानी, कपड़े से केश तक त्याग, क्यों हर दिन साढ़े तीन बजे से जाग जाते हैं जैन मुनि

सर्दी में की थी जल तपस्या : तपस्वी ने 1 दिसंबर 2023 से 11 जनवरी 2024 तक 41 दिन 50 फीट गहरे पानी के कुएं में पानी पर तैरते हुए जल समाधि ली थी. सर्दी में रात को 11 बजे से 12:15 बजे तक, सुबह 4 से 5:15 बजे तक दोपहर में एक से 2.15 बजे तक प्रतिदिन 24 घंटे में 3 घंटे वो जल तपस्या करते थे.

तपस्वी सुरेश नाथ योगी ने कहा कि गुरु महाराज के आशीर्वाद से मैंने अग्नि तपस्या की शुरुआत 18 फरवरी से की है. यह चार महीनों की तपस्या है. यह तपस्या 18 साल चलेगी, जिसमें अलग-अलग चरण होंगे. 18 वर्ष तक इसी प्रकार गर्मी में तपस्या होगी. तपस्या में मै गुरु गौरक्षनाथ का ध्यान करता हूं. हम हठयोगी पद्धति से तपस्या करते हैं. हमारा हठयोग प्राचीन धर्म से चला रहा है. हम भगवान से विश्व शांति व विश्व कल्याण के लिए हठ करते हैं. अभी 5 धूनी के बीच बैठकर तपस्या करता हूं, फिर 9, 12, 21, 84 व 108 धूनी लगाकर तपस्या करुंगा.

योगी की अग्नि तपस्या (वीडियो : ईटीवी भारत)

भीलवाड़ा. जिले की आसींद विधानसभा क्षेत्र के बाजुदा ग्राम पंचायत क्षेत्र में इस तपती गर्मी में जहां तापमान 42 डिग्री सेल्सियस है, ऐसे समय में विश्व कल्याण व शांति के लिए महंत सुरेश नाथ योगी चारों तरफ गाय के उपले (कंडे) से अग्नि प्रज्वलित कर तपस्या कर रहे हैं. वे रोज 2 घंटे सुबह 11 से दोपहर 1 बजे तक गाय के उपलों को अपने चारों ओर जलाकर व बीच में आसान लगाकर विश्व शांति व कल्याण के लिए तपस्या कर रहे हैं.

34 वर्षीय तपस्वी योगी सुरेश नाथ का मूल आश्रम राजसमंद जिले के भीम के पास टोगी गांव में स्थित है. वर्तमान में वो आसींद के बाजूदा गांव के गौरक्षनाथ मंदिर धुणी आश्रम में अग्नि तपस्या कर रहे हैं. तपस्वी ने अग्नि तपस्या की शुरुआत 21 फरवरी से की है जो 18 जून तक चलेगी. वे अग्नि तपस्या के दौरान गुरु गौरक्षनाथ का ध्यान करते हैं. तपस्वी की पत्नी का नाम महिमा देवी है. शादी के बाद से उनके कोई संतान नहीं है. तपस्वी ने बाल्य काल से ही संत बनने की मन में ठानी थी. तपस्वी पिछले 1 वर्ष से ऐसी ही तपस्या करते आ रहे हैं, वो इस तरह की विभिन्न तपस्या 18 साल तक करते रहेंगे. तपस्वी ने कहा हैं कि उनका जन्म नाथ संप्रदाय में हुआ है और तपस्या करना ही उनका कर्म और धर्म है.

आसन के चारों तरफ 5 जगह लगाते हैं धूनी : तपस्वी सुरेश नाथ योगी जब दिन में 11 से 1 बजे तक तपस्या करते हैं तब उनके चारों तरफ पांच जगह धूनी प्रज्वलित की जाती है. वैदिक मंत्रोचार के साथ पूजा पाठ करके धूनी में आग प्रज्वलित करते हैं. एक धूनी में गाय के 108 उपले जलाए जाते हैं. ऐसे में पांचो धूनियों में 540 उपले प्रतिदिन उपयोग में लेते हैं. तपस्वी ने कहा कि सनातन धर्म में 108 व गाय का विशेष महत्व है. गाय के उपलों की व्यवस्था भक्त लोग करते हैं.

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सर्दी में की थी जल तपस्या : तपस्वी ने 1 दिसंबर 2023 से 11 जनवरी 2024 तक 41 दिन 50 फीट गहरे पानी के कुएं में पानी पर तैरते हुए जल समाधि ली थी. सर्दी में रात को 11 बजे से 12:15 बजे तक, सुबह 4 से 5:15 बजे तक दोपहर में एक से 2.15 बजे तक प्रतिदिन 24 घंटे में 3 घंटे वो जल तपस्या करते थे.

तपस्वी सुरेश नाथ योगी ने कहा कि गुरु महाराज के आशीर्वाद से मैंने अग्नि तपस्या की शुरुआत 18 फरवरी से की है. यह चार महीनों की तपस्या है. यह तपस्या 18 साल चलेगी, जिसमें अलग-अलग चरण होंगे. 18 वर्ष तक इसी प्रकार गर्मी में तपस्या होगी. तपस्या में मै गुरु गौरक्षनाथ का ध्यान करता हूं. हम हठयोगी पद्धति से तपस्या करते हैं. हमारा हठयोग प्राचीन धर्म से चला रहा है. हम भगवान से विश्व शांति व विश्व कल्याण के लिए हठ करते हैं. अभी 5 धूनी के बीच बैठकर तपस्या करता हूं, फिर 9, 12, 21, 84 व 108 धूनी लगाकर तपस्या करुंगा.

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