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गुजरात के राज्यपाल ने करनाल में लगाई किसानों की पाठशाला, आचार्य देवव्रत ने खेती के लिए प्राकृतिक मॉडल का दिया मंत्र - Haryana Natural Farming Model

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jul 13, 2024, 3:38 PM IST

Updated : Jul 13, 2024, 3:43 PM IST

Haryana Natural Farming Model: करनाल में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भावी पीढ़ियों के उज्जवल भविष्य के लिए हम सबको प्राकृतिक खेती अपनानी होगी. उन्होंने कहा कि दुनिया के हर व्यक्ति को दिन में तीन बार किसान की आवश्यकता पड़ती है. क्योंकि किसान हर व्यक्ति के पेट को भरने का काम करता है.

Haryana Natural Farming Model
Haryana Natural Farming Model (ETV BHARAT)

करनाल: हरियाणा सरकार प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाने के लिए किसानों के सामने मॉडल पेश कर रही है. ताकि उसे देखने के बाद किसान रासायनिक खादों को छोड़कर नेचुरल फार्मिंग करने लगे. विश्व के अन्य देशों की तरह भारत के लोगों ने भी पिछले कई सालों से पश्चिम नकल करके न केवल जीवन को बल्कि कृषि को भी अंधकारमय बना दिया है. इस मशीनी युग में खाद्यान्न पदार्थों को उगाने के लिए प्रयोग हो रही रासायनिक खाद और कीटनाशकों से खाद्य सामग्री भी जहरीली होने लगी है. खेतों में लहलहा रही फसलों को जहर मुक्त करने के लिए करनाल में डॉ. मंगलसेन ऑडिटोरियम में किसान ज्ञानशाला का आयोजन किया गया. प्राकृतिक खेती की मुहिम चला रहे गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की.

राज्यपाल ने किसानों को प्राकृतिक खेती का दिया मंत्र: राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने किसानों की पाठशाला में गुरुजी बनकर उन्हें प्राकृतिक खेती का मंत्र दिया. किसान ज्ञानशाला को संबोधित करते हुए उन्होंने गोबर धन से धरती माता का संवर्धन करने का आह्वान किया. राज्यपाल ने कहा कि जैविक खेती और प्राकृतिक खेती में जमीन आसमान का फर्क है. कृषि वैज्ञानिक भी इस के अंतर को अधिकतर नहीं समझ पा रहे हैं. प्राकृतिक खेती से पर्यावरण व ऐसे सूक्ष्म कीटाणुओं की रक्षा होती है, जो मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है.

'प्राकृतिक खेती अपनाएं किसान': राज्यपाल ने कहा कि गुजरात में 10 लाख किसान इसकी खेती करते हैं. मैं खुद अपने गुरुकुल में 80 एकड़ में प्राकृतिक खेती करता हूं. हमारे देश के विजनरी लीडर पीएम मोदी ने देश में बैक टू बेसिक के मंत्र के साथ जीरो बजटीय प्राकृतिक खेती को गति दी है. राज्यपाल ने विश्वास व्यक्त किया कि प्राकृतिक खेती से संबंधित सभी समस्याओं का निवारण होने पर शत प्रतिशत किसान प्राकृतिक खेती को अपनाएं.

'प्राकृतिक कीटनाशक का करें इस्तेमाल': राज्यपाल ने कहा कि गौ पालन व देसी नस्ल की गायों को अपनाने व गोबर तथा गोमूत्र से प्राकृतिक खेती के उनके अभियान के भी अनूठे परिणाम सामने आए हैं. क्योंकि केवल देसी गाय पर आधारित इस प्राकृतिक खेती को करने में कोई लागत नहीं आती है. किसान गाय के गोबर और मूत्र से ही खेत के लिए जरुरी पोषक तत्वों की जरूरत को पूरा करता है. उन्होंने कहा कि देसी गाय के एक ग्राम गोबर में 300 करोड़ जीवाणु होते हैं. वहीं, गाय के गोबर और मूत्र तथा गुड़ मिलाकर किसान खेत में ही प्राकृतिक कीटनाशक भी तैयार कर सकता है.

'किसानों पर इसलिए बढ़ रहा कर्ज का बोझ': दूसरा जैविक खेती की तुलना में प्राकृतिक खेती काफी सरल और फायदेमंद है क्योंकि एक देसी गाय से करीब 30 एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती की जा सकती है. जबकि जैविक खेती के लिए एक एकड़ क्षेत्र में करीब 20 पशुओं के गोबर की जरूरत पड़ती है. उन्होंने कहा कि शून्य लागत प्राकृतिक खेती छोटे और सीमांत किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. क्योंकि वर्तमान में खेती के लिए रसायनों आदि की भारी कीमत चुकाने के लिए किसानों को कर्ज का सहारा लेना पड़ता है. जिसके चलते किसानों पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है.

'जहरीली खेती से बढ़ रही बीमारियां': आचार्य देवव्रत ने कहा कि किसान रासायनिक खाद, कीटनाशक और पेस्टीसाइड के प्रयोग से न केवल कर्ज में डूब रहा है. बल्कि खेतों में जहर की खेती भी कर रहा है. अनाज सब्जियों के माध्यम से यह जहर हमारे शरीर में जाता है. जिससे कैंसर, हार्ट अटैक, रक्तचाप जैसी गंभीर बीमारियां लगातार फैल रही है. यदि हमें अपने परिवार और समाज को स्वस्थ रखना है तो हमें प्राकृतिक खेती की ओर लौटना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें: नई तकनीक से टमाटर की खेती कर नूंह जिले के किसान हो रहे मालामाल, सरकार से भी मिल रही सब्सिडी - Tomato Farming in Nuh

ये भी पढ़ें:हरियाणा में ऑर्गेनिक खेती से मुनाफा कमा रहे किसान, सरकार भी कर रही फुल स्पोर्ट - BENEFITS OF ORGANIC FARMING

करनाल: हरियाणा सरकार प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाने के लिए किसानों के सामने मॉडल पेश कर रही है. ताकि उसे देखने के बाद किसान रासायनिक खादों को छोड़कर नेचुरल फार्मिंग करने लगे. विश्व के अन्य देशों की तरह भारत के लोगों ने भी पिछले कई सालों से पश्चिम नकल करके न केवल जीवन को बल्कि कृषि को भी अंधकारमय बना दिया है. इस मशीनी युग में खाद्यान्न पदार्थों को उगाने के लिए प्रयोग हो रही रासायनिक खाद और कीटनाशकों से खाद्य सामग्री भी जहरीली होने लगी है. खेतों में लहलहा रही फसलों को जहर मुक्त करने के लिए करनाल में डॉ. मंगलसेन ऑडिटोरियम में किसान ज्ञानशाला का आयोजन किया गया. प्राकृतिक खेती की मुहिम चला रहे गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की.

राज्यपाल ने किसानों को प्राकृतिक खेती का दिया मंत्र: राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने किसानों की पाठशाला में गुरुजी बनकर उन्हें प्राकृतिक खेती का मंत्र दिया. किसान ज्ञानशाला को संबोधित करते हुए उन्होंने गोबर धन से धरती माता का संवर्धन करने का आह्वान किया. राज्यपाल ने कहा कि जैविक खेती और प्राकृतिक खेती में जमीन आसमान का फर्क है. कृषि वैज्ञानिक भी इस के अंतर को अधिकतर नहीं समझ पा रहे हैं. प्राकृतिक खेती से पर्यावरण व ऐसे सूक्ष्म कीटाणुओं की रक्षा होती है, जो मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है.

'प्राकृतिक खेती अपनाएं किसान': राज्यपाल ने कहा कि गुजरात में 10 लाख किसान इसकी खेती करते हैं. मैं खुद अपने गुरुकुल में 80 एकड़ में प्राकृतिक खेती करता हूं. हमारे देश के विजनरी लीडर पीएम मोदी ने देश में बैक टू बेसिक के मंत्र के साथ जीरो बजटीय प्राकृतिक खेती को गति दी है. राज्यपाल ने विश्वास व्यक्त किया कि प्राकृतिक खेती से संबंधित सभी समस्याओं का निवारण होने पर शत प्रतिशत किसान प्राकृतिक खेती को अपनाएं.

'प्राकृतिक कीटनाशक का करें इस्तेमाल': राज्यपाल ने कहा कि गौ पालन व देसी नस्ल की गायों को अपनाने व गोबर तथा गोमूत्र से प्राकृतिक खेती के उनके अभियान के भी अनूठे परिणाम सामने आए हैं. क्योंकि केवल देसी गाय पर आधारित इस प्राकृतिक खेती को करने में कोई लागत नहीं आती है. किसान गाय के गोबर और मूत्र से ही खेत के लिए जरुरी पोषक तत्वों की जरूरत को पूरा करता है. उन्होंने कहा कि देसी गाय के एक ग्राम गोबर में 300 करोड़ जीवाणु होते हैं. वहीं, गाय के गोबर और मूत्र तथा गुड़ मिलाकर किसान खेत में ही प्राकृतिक कीटनाशक भी तैयार कर सकता है.

'किसानों पर इसलिए बढ़ रहा कर्ज का बोझ': दूसरा जैविक खेती की तुलना में प्राकृतिक खेती काफी सरल और फायदेमंद है क्योंकि एक देसी गाय से करीब 30 एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती की जा सकती है. जबकि जैविक खेती के लिए एक एकड़ क्षेत्र में करीब 20 पशुओं के गोबर की जरूरत पड़ती है. उन्होंने कहा कि शून्य लागत प्राकृतिक खेती छोटे और सीमांत किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. क्योंकि वर्तमान में खेती के लिए रसायनों आदि की भारी कीमत चुकाने के लिए किसानों को कर्ज का सहारा लेना पड़ता है. जिसके चलते किसानों पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है.

'जहरीली खेती से बढ़ रही बीमारियां': आचार्य देवव्रत ने कहा कि किसान रासायनिक खाद, कीटनाशक और पेस्टीसाइड के प्रयोग से न केवल कर्ज में डूब रहा है. बल्कि खेतों में जहर की खेती भी कर रहा है. अनाज सब्जियों के माध्यम से यह जहर हमारे शरीर में जाता है. जिससे कैंसर, हार्ट अटैक, रक्तचाप जैसी गंभीर बीमारियां लगातार फैल रही है. यदि हमें अपने परिवार और समाज को स्वस्थ रखना है तो हमें प्राकृतिक खेती की ओर लौटना पड़ेगा.

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Last Updated : Jul 13, 2024, 3:43 PM IST
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