पंचकूला: हरियाणा में हाउसिंग बोर्ड द्वारा वर्ष 2014 में लांच डिफेंस फ्लैट्स स्कीम के नाम पर सैनिक, सेवानिवृत्ति सैनिक, पैरामिलिट्री जवान और उनके परिवार स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. इसका कारण स्कीम की आड़ में उनसे करोड़ों रुपए की धनराशि एडवांस के रूप में लिए जाने के बावजूद उन्हें 10 साल तक फ्लैट मुहैया न कराने और साल 2023 में स्कीम को रद्द कर दिया जाना है.
सालों के इंतजार के बाद भी टाल-मटोल की स्थिति पर स्कीम के 1791 अलॉट स्वयं ही स्कीम को सरेंडर कर चुके थे. लेकिन जो 2618 अलॉट आखिर तक उम्मीद लगाकर बैठे रहे, उन्हें भी अब अपनी जमा कराई एडवांस धनराशि वापस लेने के लिए अधिकारियों और मंत्रियों के कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. इस मामले में अब ऑल सेक्टर रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन को प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से बड़ी उम्मीद है.
'एडवांस धनराशि लौटाए हाउसिंग बोर्ड': ऑल सेक्टर रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के राज्य अध्यक्ष कुलदीप वत्स ने कहा कि सभी अलॉटिज की मांग है कि हाउसिंग बोर्ड उनसे एडवांस में जमा कराई गई फ्लैट की कीमत की 25% धनराशि को 15% ब्याज के साथ लौटाए. क्योंकि यदि कोई अलॉट फ्लैट संबंधी किस्त की अदायगी में देरी करता है, तो हाउसिंग बोर्ड द्वारा उसे 15% पेनल्टी लगाई जाती है. वत्स ने बताया कि करोड़ों रुपए रिफंड के संबंध में एसोसिएशन की प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर से मीटिंग हुई थी. लेकिन अब एसोसिएशन ने वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात के लिए समय मांगा है और उन्हें पूरी उम्मीद है कि कल्याणकारी सोच रखने वाले सीएम सैनिक परिवारों को बड़ी राहत प्रदान करेंगे.
11 जिलों के 19 स्थान पर बनने थे 13696 फ्लैट: हाउसिंग बोर्ड द्वारा यह डिफेंस स्कीम 17 फरवरी 2014 में जेसीओ रैंक के सैनिकों, पूर्व सैनिकों, पैरामिलिट्री जवानों और उनके परिवारों के लिए लाई गई थी. इस योजना के तहत गुरुग्राम, पंचकूला, फरीदाबाद, रोहतक, पिंजौर, झज्जर, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, पलवल, सांपला और बवानी खेड़ा समेत 11 जिलों के 19 स्थानों पर कुल 13696 मल्टी स्टोरी फ्लैट बनाए जाने थे.
टाइप-ए और टाइप-बी के बनने थे फ्लैट: इस योजना के तहत हाउसिंग बोर्ड द्वारा टाइप-ए के 6848 फ्लैट बनाए जाने थे और टाइप-बी के भी 6848 फ्लैट बनाए जाने थे. टाइप एक फ्लैट टाइप बीके फ्लैट्स के मुकाबले स्क्वायर फीट में अधिक बड़े बनाए जाने थे. लेकिन बीते 10 वर्षों से यह योजना कागजों में घूमती रही. यहां तक कि इस डिफेंस स्कीम की शुरुआत में जो ब्रोशर छपवाए गए, उनमें फ्लैट्स की साइट किसी सेक्टर की दर्शाई गई, जबकि बाद में हाउसिंग बोर्ड द्वारा कई बार लोकेशन तक बदली जाती रही.
हाउसिंग बोर्ड ने जमीन एक्वायर नहीं की: दरअसल, डिफेंस टीम के आवंटियों के अनुसार लगातार साइट की लोकेशन बदलने का मुख्य कारण हाउसिंग बोर्ड द्वारा फ्लैट्स निर्माण के लिए जमीन तक एक्वायर नहीं करना है. एसोसिएशन के राज्य अध्यक्ष कुलदीप वत्स ने बताया कि हाउसिंग बोर्ड द्वारा डिफेंस स्कीम के लिए पंचकूला, फरीदाबाद और झज्जर के अलावा किसी जगह पर भी जमीन एक्वायर नहीं की गई. बीते दस साल से केवल अलॉट से टालमटोल की जाती रही. इसी कारण है स्कीम के 1791 अलॉट सरेंडर करने को विवश हुए.
यहां मिलने थे आवंटियों को फ्लैट: डिफेंस स्कीम का ड्रॉ 31 दिसंबर 2014 को निकाला गया था. इसके आवंटियों को जिन 11 जिलों में फ्लैट दिए जाने थे, उनमें गुरुग्राम सेक्टर 102/ए, 106, पिंजौर सेक्टर 28, झज्जर सेक्टर 9, रेवाड़ी सेक्टर 18 व 19, रोहतक सेक्टर 5 व 6, महेंद्रगढ़ सेक्टर 9 व 10, गुरुग्राम सेक्टर 106, फरीदाबाद सेक्टर 65, पलवल और सांपला में मल्टी स्टोरी फ्लैट दिए जाने थे.
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