पंचकूला: हरियाणा के जिला करनाल निवासी एक बुजुर्ग दंपत्ति ने विवाह के 43 साल बाद तलाक लिया है. तलाक लेने के लिए पति ने पत्नी को 3.7 करोड़ रुपये का स्थाई गुजारा भत्ता देने पर समझौता किया. इस धनराशि को देने के लिए पति ने अपनी कृषि भूमि तक बेच दी. यहां गौर करने वाली बात ये है कि पति की आयु करीब 69 वर्ष और पत्नी की आयु 73 वर्ष है, दोनों करीब 18 साल से एक दूसरे से अलग रह रहे थे.
1980 में हुआ था विवाह: दोनों का विवाह 27 अगस्त 1980 को हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार हुआ. इसके बाद इन्हें तीन बच्चे, जिनमें दो बेटियां और एक बेटा हुए. लेकिन समय बीतने के साथ दोनों के रिश्तों में भी खटास आती चली गई. आखिरकार 8 मई 2006 में दंपति एक-दूसरे से अलग रहने लगे. पति ने करनाल की फैमिली कोर्ट में मानसिक क्रूरता के आधार पर तलाक की याचिका दायर की. लेकिन जनवरी 2013 में फैमिली कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया.
हाईकोर्ट की मध्यस्थता से बनी सहमति: मामले में हाईकोर्ट में तलाक के लिए अपील दायर की गई. 4 नवंबर 2024 को इस मामले में सुलह-समझौते के लिए मध्यस्थता हुई. इस दौरान दोनों पक्ष, पति-पत्नी और उनके तीनों बच्चों ने 3.7 करोड़ रुपए के भुगतान पर विवाह को समाप्त करने पर सहमति जताई.
मृत्यु के बाद भी संपत्ति पर अधिकार नहीं: इस मामले में मध्यस्थता से ये फैसला किया गया कि पति की मृत्यु के बाद भी उसकी संपत्ति पर पत्नी और बच्चे दावा नहीं कर सकेंगे. जस्टिस सुधीर सिंह और जस्टिस जसजीत सिंह बेदी की पीठ ने इस समझौते को स्वीकार करते हुए विवाह को खत्म करने संबंधी ये आदेश जारी किया.