नूंहः कांग्रेस पार्टी के नूंह से विधायक आफताब अहमद ने कहा कि "दिल्ली की जनता ने 10 साल से ज्यादा का आम आदमी पार्टी का काम देख लिया है. केंद्र की भाजपा सरकार का शासन भी लोगों ने देख लिया है. आज दिल्ली में हवा दूषित है. सफाई व्यवस्था नहीं है. लोगों को सामान्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही है. दिल्ली में एक खेल चलता रहा है. बीजेपी और आम आदमी पार्टी का. दोनों पार्टी एक-दूसरे पर दोष मढ़ रही है. एमसीडी, राज्य और केंद्र में इन्हीं की सरकार रही है. ये आपस में आरोप- प्रत्यारोप लगाते हैं, लेकिन काम कोई नहीं करता है."
कांग्रेस पर जनता को भरोसाः विधायक आफताब अहमद ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के समय में एक बेहतरीन राजधानी बनाकर दी थी. मेट्रो रेल, फ्लाईओवर, सड़कों का जाल बिछाया गया था. पीने के पानी और सीएनजी बसें सड़कों पर दौड़ी थी और कॉमनवेल्थ खेलों में भी दिल्ली को चमकाने का काम किया था. आज लोग कांग्रेस की नीतियों में, कांग्रेस के शासन में और कांग्रेस के नेतृत्व पर भरोसा कर रहे हैं.
पूरे दम खम से चुनाव लड़ रही है कांग्रेसः आज दिल्ली में कांग्रेस पूरे दम खम से चुनाव लड़ रही है. हम ये मानते हैं कि अबकी बार चौंकाने वाले नतीजे होंगे. दिल्ली की जनता इसके लिए तैयार है. मालवीय नगर और चांदनी चौक के हमने दौरे किए हैं. लोगों के मन में कांग्रेस के प्रति आस्था है. कांग्रेस के विकास को दिल्ली के मतदाता याद कर रहे हैं.
राहुल गांधी पर क्या बोले आफताब: विधायक आफताब अहमद ने कहा कि राहुल गांधी आज समाज के सभी वर्गों से सीधा संवाद स्थापित कर रहे हैं. किसान, मजदूर सभी से सीधे मिल रहे हैं. उनको संसद में मजबूती से उठाने का काम कर रहे हैं. उसी का नतीजा है कि केंद्र सरकार आजकल उनके ऊपर सबसे ज्यादा मुखर होकर प्रहार करती है. उनके खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाती है और झूठा प्रचार किया जाता है. विपक्ष के नेता के तौर पर राहुल गांधी महंगाई-प्रदूषण सहित अन्य मसले को मजबूती से उठा रहे हैं.
भाजपा के 100 दिन के कामकाज पर क्या बोले विधायक:
विधायक आफताब अहमद ने कहा कि हरियाणा में जनता ने मन बना रखा था कि कांग्रेस सत्ता में आएगी. लेकिन जनादेश कुछ और ही निकला. भाजपा सत्ता में आकर कोरी घोषणाएं कर रही है. समाधान शिविर लगाने की बात कहते हैं, लेकिन जनता की समस्याओं का समाधान हो नहीं रहा है. किसानों के लिए क्या घोषणा की, लेकिन धरातल पर उनका कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है. फसलों को एमएसपी पर नहीं खरीदा जाता है. अनाज मंडियों में किसान बेबस फिरता रहता है. ये सरकार सिर्फ घोषणाओं तक सिमट कर रह गई है.