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हरियाणा चुनाव पैटर्न यूपी उपचुनाव में भी आजमाएगी BJP, ओबीसी पर करेगी फोकस

हरियाणा में जीत से उत्साहित बीजेपी यूपी विधानसभा उपचुनाव की तैयारी में जुटी

भाजपा अब यूपी विधानसभा उपचुनाव की तैयारी में जुट गई है.
भाजपा अब यूपी विधानसभा उपचुनाव की तैयारी में जुट गई है. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 9, 2024, 6:44 PM IST

लखनऊ : लोकसभा चुनाव में भाजपा की कोशिश यूपी की 80 सीटें जीतने की थी, लेकिन जब परिणाम आया तो खाते में केवल 33 सीटें आईं. जिसके पीछे सबसे बड़ी वजह बताई गई कि ओबीसी और दलित वोट भारतीय जनता पार्टी से खिसक गए. जिसमें सबसे बड़ा नुकसान पिछड़ों के खिसकने से हुआ था. समाजवादी पार्टी ने PDA का नारा दिया था जो भाजपा पर भारी पड़ा. जबकि हरियाणा चुनाव में इसके विपरीत हो गया. हरियाणा में में बीजेपी की जीत के जो अब तक इनपुट आ रहे हैं, उनके मुताबिक ओबीसी का वोट पार्टी को जमकर मिला है. पार्टी ने चुनाव से कुछ समय पहले मुख्यमंत्री बदला था और पंजाबी समाज के जगदीश खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया. इसका असर साफ देखने को मिला. यह तय हो गया है कि हरियाणा में मिली जीत के पीछे की रणनीति भारतीय जनता पार्टी अब उत्तर प्रदेश के उप चुनाव में भी लागू करेगी और ओबीसी को अधिक साधेगी. जिसको लेकर पिछड़ा वर्ग मोर्चा अब अलग-अलग अभियान शुरू करेगा.

भाजपा अब यूपी विधानसभा उपचुनाव की तैयारी में जुट गई है. (Video Credit; ETV Bharat)

पिछड़ा वोट बैंक को मजबूत करने का प्रयास: हरियाणा के परिणाम के बाद भाजपा अब उत्तर प्रदेश में ओबीसी वोट बैंक को मजबूत करने के लिए अब और प्रयास करेगी. फिलहाल यूपी में 50 प्रतिशत से अधिक वोटर ओबीसी वर्ग के हैं. जिसको लेकर सबसे अधिक सक्रियता पिछड़ा वर्ग मोर्चा की होगी. जिसे अपने संगठन के माध्यम से जमीन तक जाकर यह संदेश देना होगा कि पार्टी ओबीसी वर्ग से जुड़ी हुई है. ना तो उनके आरक्षण के साथ में कोई गड़बड़ होगी और न ही उनका हक मारा जाएगा. भारतीय जनता पार्टी के उच्च पद्धति सूत्रों ने बताया कि इसको लेकर पिछले दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के बीच उत्तर प्रदेश में तीन दिन तक मंथन हुआ था. जिसमें इस धारणा को काटने के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए कहा गया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर इसमें प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं. हरियाणा के चुनाव परिणाम में इस पूरे अभियान में और संजीवनी फूकने का काम किया है.

हरियाणा से मिली सीख: वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक मनोज श्रीवास्तव बताते हैं कि जिस समय लोकसभा चुनाव हुए यूपी में समाजवादी पार्टी ने यादव समाज से अधिक टिकट नहीं दिए थे. इसकी जगह पार्टी ने ओबीसी वर्ग के अन्य नेताओं को तरजीह ही दी थी. जिसका असर चुनाव में साफ देखने को मिला था. पार्टी को बड़ी सफलता मिली थी. हरियाणा में कांग्रेस ने इसका ठीक उल्टा किया था. उन्होंने जाटों को अधिक टिकट दिया. जिसका दुष्परिणाम उन्हें भुगतना पड़ा. अन्य बिरादरियों ने कांग्रेस का साथ नहीं दिया. जिसकी वजह से भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली. भारतीय जनता पार्टी अब ऐसे ही प्रयास उत्तर प्रदेश में करेगी. जिसके जरिए वह अधिक से अधिक पिछड़ा वर्ग की समर्थक नजर आए.

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता आलोक अवस्थी ने बताया कि पार्टी ने हरियाणा की सभी 36 बिरादरियों के साथ खड़े होने का प्रयास किया. जिसका नतीजा यह निकला कि कांग्रेस को बुरी पराजय का सामना करना पड़ा. हम ऐसे ही आगे भी सभी के साथ खड़े होंगे. जिससे जनता हमें लगातार सहयोग करती रहेगी.

यह भी पढ़ें : हरियाणा में काम कर गया सीएम योगी का नारा, 'बंटोगे तो कटोगे' नारे का दिखा असर, 60 फीसदी रहा स्ट्राइक रेट

लखनऊ : लोकसभा चुनाव में भाजपा की कोशिश यूपी की 80 सीटें जीतने की थी, लेकिन जब परिणाम आया तो खाते में केवल 33 सीटें आईं. जिसके पीछे सबसे बड़ी वजह बताई गई कि ओबीसी और दलित वोट भारतीय जनता पार्टी से खिसक गए. जिसमें सबसे बड़ा नुकसान पिछड़ों के खिसकने से हुआ था. समाजवादी पार्टी ने PDA का नारा दिया था जो भाजपा पर भारी पड़ा. जबकि हरियाणा चुनाव में इसके विपरीत हो गया. हरियाणा में में बीजेपी की जीत के जो अब तक इनपुट आ रहे हैं, उनके मुताबिक ओबीसी का वोट पार्टी को जमकर मिला है. पार्टी ने चुनाव से कुछ समय पहले मुख्यमंत्री बदला था और पंजाबी समाज के जगदीश खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया. इसका असर साफ देखने को मिला. यह तय हो गया है कि हरियाणा में मिली जीत के पीछे की रणनीति भारतीय जनता पार्टी अब उत्तर प्रदेश के उप चुनाव में भी लागू करेगी और ओबीसी को अधिक साधेगी. जिसको लेकर पिछड़ा वर्ग मोर्चा अब अलग-अलग अभियान शुरू करेगा.

भाजपा अब यूपी विधानसभा उपचुनाव की तैयारी में जुट गई है. (Video Credit; ETV Bharat)

पिछड़ा वोट बैंक को मजबूत करने का प्रयास: हरियाणा के परिणाम के बाद भाजपा अब उत्तर प्रदेश में ओबीसी वोट बैंक को मजबूत करने के लिए अब और प्रयास करेगी. फिलहाल यूपी में 50 प्रतिशत से अधिक वोटर ओबीसी वर्ग के हैं. जिसको लेकर सबसे अधिक सक्रियता पिछड़ा वर्ग मोर्चा की होगी. जिसे अपने संगठन के माध्यम से जमीन तक जाकर यह संदेश देना होगा कि पार्टी ओबीसी वर्ग से जुड़ी हुई है. ना तो उनके आरक्षण के साथ में कोई गड़बड़ होगी और न ही उनका हक मारा जाएगा. भारतीय जनता पार्टी के उच्च पद्धति सूत्रों ने बताया कि इसको लेकर पिछले दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के बीच उत्तर प्रदेश में तीन दिन तक मंथन हुआ था. जिसमें इस धारणा को काटने के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए कहा गया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर इसमें प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं. हरियाणा के चुनाव परिणाम में इस पूरे अभियान में और संजीवनी फूकने का काम किया है.

हरियाणा से मिली सीख: वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक मनोज श्रीवास्तव बताते हैं कि जिस समय लोकसभा चुनाव हुए यूपी में समाजवादी पार्टी ने यादव समाज से अधिक टिकट नहीं दिए थे. इसकी जगह पार्टी ने ओबीसी वर्ग के अन्य नेताओं को तरजीह ही दी थी. जिसका असर चुनाव में साफ देखने को मिला था. पार्टी को बड़ी सफलता मिली थी. हरियाणा में कांग्रेस ने इसका ठीक उल्टा किया था. उन्होंने जाटों को अधिक टिकट दिया. जिसका दुष्परिणाम उन्हें भुगतना पड़ा. अन्य बिरादरियों ने कांग्रेस का साथ नहीं दिया. जिसकी वजह से भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली. भारतीय जनता पार्टी अब ऐसे ही प्रयास उत्तर प्रदेश में करेगी. जिसके जरिए वह अधिक से अधिक पिछड़ा वर्ग की समर्थक नजर आए.

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता आलोक अवस्थी ने बताया कि पार्टी ने हरियाणा की सभी 36 बिरादरियों के साथ खड़े होने का प्रयास किया. जिसका नतीजा यह निकला कि कांग्रेस को बुरी पराजय का सामना करना पड़ा. हम ऐसे ही आगे भी सभी के साथ खड़े होंगे. जिससे जनता हमें लगातार सहयोग करती रहेगी.

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