रायपुर: कभी कभी ऐसे शुभ संयोग ईश्वर बनाता है जब उस संयोग में किए सारे काम बन जाते हैं. हरियाली अमावस्या पर ऐसे ही शुभ संयोग की कतार हमारे इंतजार में खड़ी है. साल 2024 में 4 अगस्त रविवार के दिन सावन अमावस्या या हरियाली अमावस्या मनाई जाएगी. इस साल हरियाली अमावस्या पर चार शुभ संयोग बन रहे हैं. हरियाली अमावस्या पर बनने वाले ये खास शुभ संयोग हमारे जीवन पर बड़ा असर डालने वाले हैं.
चार शुभ संयोग, बनेंगे बिगड़े योग: श्रावण अमावस्या को बड़ा ही शुभ माना जाता है. हरियाली अमावस्या के दिन पेड़ पौधे लगाने का सबसे अच्छा समय माना जाता है. इस समय बारिश के कारण पूरी धरती पर खूब हरियाली होती है. प्रकृति की सुंदरता देखने लायक होती है. सावन की अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहा जाता है. हिंदू परंपरा में पेड़ पौधों को भगवान के रूप में दर्शाया गया है. हरियाली अमावस्या के दौरान पूजा पाठ करने से उसका फल हमें मिलता है.
क्यों करनी चाहिए पीपल की पूजा: हरियाली अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की भी पूजा करने की प्रथा और परंपरा सदियों से चली आ रही है. हरियाली अमावस्या के दिन पेड़ पौधा लगाना बहुत ही शुभ माना जाता है. हरियाली अमावस्या सावन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन मनाई जाती है. हरियाली अमवास्या पर पौधे लगाना और उसकी देखभाल करना नए जीवन को आगे बढ़ाने जैसा माना जाता है.
"श्रावण महीने के कृष्ण पक्ष की जो अमावस्या तिथि होती है उसको हरियाली अमावस्या के नाम से जानी जाती है. ओडिशा क्षेत्र में शीतलादि अमावस्या के नाम से जानते हैं. हरियाली अमावस्या को छत्तीसगढ़ में हरेली तिहार के रूप में मनाते हैं. छत्तीसगढ़ के गांव गांव में इस त्योहार को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. बारिश का समय होने के कारण प्रकृति में चारों ओर हरियाली रहती है. ग्रामीण इलाकों में किसान अपनी खेती किसानी का काम पूरा करने के बाद हरियाली अमावस्या को एक त्योहार के रूप में मनाते हैं." - पंडित मनोज शुक्ला, पुजारी, महामाया मंदिर, रायपुर
किसान अपने खेती बारी के औजारों की करते हैं पूजा: हरियाली अमावस्या के दिन खेती से संबंधित औजारों की पूजा पाठ की जाती है. खेती से संबंधित औजारों की पूजा पाठ करने के बाद ग्रामीण आज के दिन छत्तीसगढ़ी पारंपरिक व्यंजन बनाकर इस त्योहार को बड़े धूमधाम से मनाते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में गाय बैल भैंस को नहलातें हैं उनकी पूजा करते हैं. इस दिन ग्राम देवता की पूजा करके अपने खुशहाली की कामना भी किसान करते हैं.
शुभ वक्त में करिए पूजा: सावन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 3 अगस्त शनिवार दोपहर 3:50 से होगी. सावन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का समापन 4 अगस्त रविवार की शाम को 4:42 पर होगा. उदया तिथि के मुताबिक हरियाली अमावस्या का पर्व 4 अगस्त रविवार के दिन मनाया जाएगा. हरियाली अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 4:20 से सुबह 5:02 तक अभिजीत मुहूर्त दोपहर में 12:00 से लेकर 12:54 तक हरियाली अमावस्या पर स्नान दान का शुभ समय सुबह 5:44 से दोपहर 1:26 तक रहेगा.
चार शुभ संयोग: हरियाली अमावस्या पर चार शुभ संयोग बन रहे हैं. जिसमें सिद्धि योग, रवि पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और पुष्य नक्षत्र का शुभ संयोग भी बन रहा है. सिद्धियोग 4 अगस्त रविवार की सुबह 10:38 तक, रवि पुष्य योग 4 अगस्त रविवार सुबह 5:44 से दोपहर 1:26 तक, सर्वार्थ सिद्धि योग 4 अगस्त रविवार को सुबह 5:44 बजे से दोपहर 1:26 तक और पुष्य नक्षत्र 4 अगस्त रविवार की सुबह दोपहर 1:26 तक उसके बाद से अश्लेषा नक्षत्र है.
क्या कहती है पौराणिक कथा: पौराणिक कथाओं के अनुसार सावन का महीना देवी देवताओं से आशीर्वाद प्राप्त करने का महीना होता है. हरियाली अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करना दान पुण्य करना भी बहुत उपयोगी होता है. हिंदू परंपरा में इस दिन पेड़ पौधों को भगवान के रूप में दर्शाया गया है. पीपल के पेड़ की पूजा करने की प्रथम परंपरा है. पीपल के पेड़ पर तीन देवताओं का वास माना गया है. पीपल को ब्रह्मा, विष्णु और महेश माना जाता है. अमावस्या का दिन हमारे पूर्वजों को समर्पित है. हरियाली अमावस्या के दिन पितरों को तर्पण और पिंडदान करना शुभ माना गया है.