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दिव्यांग छात्र को प्रताड़ित करने का मामला, हाईकोर्ट के निर्देश पर दो शिक्षकों को स्कूल से हटाया - DISABLED STUDENT HARASSING CASE

ग्वालियर के पिछोर कस्बे में स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय के दिव्यांग के उत्पीड़न मामले में स्कूल प्रबंधन ने स्कूल से दो शिक्षकों को हटा दिया है. स्कूल प्रबंधन ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ में अपने जवाब में ये बात कही है.

Gwalior Bench MP High Court
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 3 hours ago

ग्वालियर: जिले के पिछोर कस्बे में स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय के छात्र के उत्पीड़न के मामले में स्कूल प्रबंधन ने गुरुवार को हाईकोर्ट में अपना जवाब पेश किया है. केंद्र सरकार के अधिवक्ता के जरिए प्रबंधन ने बताया है कि स्कूल से दो शिक्षकों को हटा दिया गया है. हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि जवाहर नवोदय विद्यालय के हाई अथॉरिटी से संपर्क कर दिव्यांग छात्र को प्रताड़ित करने वाले शिक्षकों के ट्रांसफर किए जाएं.

हाईकोर्ट के सामने गुरुवार को जवाहर नवोदय विद्यालय यानी केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने बताया कि छात्र ने जिन दो शिक्षकों के नाम बताए थे, उनको स्थानांतरित कर दिया गया है. इस पर छात्र की अधिवक्ता संगीता पचौरी ने कहा कि छात्र ने स्कूल प्रबंधन से जुड़े कई शिक्षकों और कर्मचारियों के नाम बताए थे, लेकिन सिर्फ दो ही शिक्षकों को स्थानांतरित किया गया है. उन्होंने कहा कि वह अगली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को अपनी आपत्ति पेश करेंगी.

अधिवक्ता संगीता पचौरी (Etv Bharat)

छात्र के पिता ने अपने बच्चे की सुरक्षा और शिक्षा को सुचारू रखने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी

उल्लेखनीय है कि जवाहर नवोदय विद्यालय पिछोर में कक्षा 9 के दलित दिव्यांग छात्र के साथ कई दिनों से स्कूल के स्टाफ द्वारा उत्पीड़न किया जा रहा था. ऐसा छात्र के पिता का आरोप है. छात्र के पिता ने अपने बच्चे की सुरक्षा और शिक्षा को सुचारू रखने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने कहा था कि छात्र का स्वास्थ्य और उसकी सुरक्षा न्यायालय के लिए सर्वोपरि है

हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह हुई सुनवाई में कहा था कि छात्र का स्वास्थ्य और उसकी सुरक्षा न्यायालय के लिए सर्वोपरि है. हाईकोर्ट के आदेश पर बच्चे का मेडिकल परीक्षण भी कराया गया था. हाईकोर्ट में ही जज के सामने बच्चे ने उत्पीड़न की पूरी घटना को रोते हुए बयान किया था कि उसे स्कूल जाने में डर लगता है. उसने कुछ शिक्षकों और कर्मचारियों के नाम भी बताए थे.

छात्र ने कोर्ट में कहा था कि लगभग रोजाना ही उसका जातिगत अपमान किया जाता है

उसका यह भी कहना था कि वह अनुसूचित जाति से आता है इसलिए उसका जातिगत अपमान भी लगभग रोजाना ही किया जाता है. हाई कोर्ट ने इसे गंभीर माना और स्कूल प्रबंधन को निर्देश दिए कि वह छात्र को प्रताड़ित करने वाले स्टाफ को हटाने के लिए अपने वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क कर कार्रवाई करे. इसके अनुपालन में केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने हाई कोर्ट को बताया कि छात्र द्वारा बताए गए दोनों शिक्षकों को स्थानांतरित कर दिया गया है.

गौरतलब है कि छात्र की मेडिकल रिपोर्ट में भी उसका व्यवहार असामान्य बताया गया था. यह बच्चे के दिमाग पर अनावश्यक दबाव और उत्पीड़न के कारण हुआ था, ऐसा चिकित्सकों का मानना था.

ग्वालियर: जिले के पिछोर कस्बे में स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय के छात्र के उत्पीड़न के मामले में स्कूल प्रबंधन ने गुरुवार को हाईकोर्ट में अपना जवाब पेश किया है. केंद्र सरकार के अधिवक्ता के जरिए प्रबंधन ने बताया है कि स्कूल से दो शिक्षकों को हटा दिया गया है. हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि जवाहर नवोदय विद्यालय के हाई अथॉरिटी से संपर्क कर दिव्यांग छात्र को प्रताड़ित करने वाले शिक्षकों के ट्रांसफर किए जाएं.

हाईकोर्ट के सामने गुरुवार को जवाहर नवोदय विद्यालय यानी केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने बताया कि छात्र ने जिन दो शिक्षकों के नाम बताए थे, उनको स्थानांतरित कर दिया गया है. इस पर छात्र की अधिवक्ता संगीता पचौरी ने कहा कि छात्र ने स्कूल प्रबंधन से जुड़े कई शिक्षकों और कर्मचारियों के नाम बताए थे, लेकिन सिर्फ दो ही शिक्षकों को स्थानांतरित किया गया है. उन्होंने कहा कि वह अगली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को अपनी आपत्ति पेश करेंगी.

अधिवक्ता संगीता पचौरी (Etv Bharat)

छात्र के पिता ने अपने बच्चे की सुरक्षा और शिक्षा को सुचारू रखने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी

उल्लेखनीय है कि जवाहर नवोदय विद्यालय पिछोर में कक्षा 9 के दलित दिव्यांग छात्र के साथ कई दिनों से स्कूल के स्टाफ द्वारा उत्पीड़न किया जा रहा था. ऐसा छात्र के पिता का आरोप है. छात्र के पिता ने अपने बच्चे की सुरक्षा और शिक्षा को सुचारू रखने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने कहा था कि छात्र का स्वास्थ्य और उसकी सुरक्षा न्यायालय के लिए सर्वोपरि है

हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह हुई सुनवाई में कहा था कि छात्र का स्वास्थ्य और उसकी सुरक्षा न्यायालय के लिए सर्वोपरि है. हाईकोर्ट के आदेश पर बच्चे का मेडिकल परीक्षण भी कराया गया था. हाईकोर्ट में ही जज के सामने बच्चे ने उत्पीड़न की पूरी घटना को रोते हुए बयान किया था कि उसे स्कूल जाने में डर लगता है. उसने कुछ शिक्षकों और कर्मचारियों के नाम भी बताए थे.

छात्र ने कोर्ट में कहा था कि लगभग रोजाना ही उसका जातिगत अपमान किया जाता है

उसका यह भी कहना था कि वह अनुसूचित जाति से आता है इसलिए उसका जातिगत अपमान भी लगभग रोजाना ही किया जाता है. हाई कोर्ट ने इसे गंभीर माना और स्कूल प्रबंधन को निर्देश दिए कि वह छात्र को प्रताड़ित करने वाले स्टाफ को हटाने के लिए अपने वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क कर कार्रवाई करे. इसके अनुपालन में केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने हाई कोर्ट को बताया कि छात्र द्वारा बताए गए दोनों शिक्षकों को स्थानांतरित कर दिया गया है.

गौरतलब है कि छात्र की मेडिकल रिपोर्ट में भी उसका व्यवहार असामान्य बताया गया था. यह बच्चे के दिमाग पर अनावश्यक दबाव और उत्पीड़न के कारण हुआ था, ऐसा चिकित्सकों का मानना था.

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