मसूरी: रामपुर तिराहा कांड में सामूहिक दुष्कर्म और छेड़छाड़ के दोषी दो सेवानिवृत्त सिपाहियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. सीबीआई बनाम मिलन सिंह की पत्रावली में फैसला सुनाया गया है. जिसको लेकर उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी और टिहरी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी जोत सिंह गुनसोला ने कहा कि अदालत के फैसले के बाद उत्तराखंड के राज्य आंदोलन के पीड़ितों और उनके परिजनों को बड़ी राहत मिली है.
मुजफ्फरनगर कांड के दोषियों को सजा पर खुशी: गुनसोला ने कहा कि 30 साल की लंबी लड़ाई के बाद न्याय मिला है. उन्होंने कहा कि जब अलग उत्तराखंड को लेकर आंदोलन किया जा रहा था, तो 1994 में मसूरी गोलीकांड के बाद रामपुर तिराहा कांड हुआ था. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड आंदोलन में जेल से छूट कर जब वह मसूरी आए थे, तो उत्तराखंड आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों के साथ पुलिस के द्वारा की गई बर्बरता और अन्याय के खिलाफ एक रणनीति बनाई गई. मसूरी के क्लिप हॉल स्टेट में वरिष्ठ पत्रकार सुधीर थपलियाल के घर पर रणनीति बनाए गई थी.
जोत सिंह गुनसोला ने ताजा की यादें: उन्होंने कहा कि उस समय उत्तराखंड संघर्ष समिति के अध्यक्ष हुकम सिंह पंवार, डीआर कपूर, मनेश्वर पांडे, कलम सिंह और वह स्वयं के द्वारा वकील के माध्यम से वकालतनामा देकर आंदोलनकारी साथियों के साथ आंदोलन के दौरान हुई बर्बरता और अन्याय के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था. जिससे कि आंदोलनकारियों को न्याय मिल सके. उन्होंने कहा कि सभी लोगों के द्वारा कोर्ट में पिटीशन दायर की गई थी. उसके बाद उत्तराखंड आंदोलन से संबंधित सभी पिटीशन एक दूसरे में क्लब होती चली गईं. एक पिटीशन बड़ी बनी जिस पर यह निर्णय आया है, जिसके बाद आंदोलकारियों, शहीदों के परिवार के लोगों में खुशी है.
नैनीताल में आंदोलनकारियों ने की ये मांग: नैनीताल में भी उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के साथ बर्बरता करने वालों को सजा मिलने पर खुशी है. अब उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों पर बर्बरता करने वाले डीएम, एसपी और आईजी समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने को लेकर राज्य आंदोलनकारी लामबंद होने लगे हैं. नैनीताल में राज्य आंदोलनकारियों ने पत्रकार वार्ता कर सीबीआई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. इस दौरान आंदोलनकारी पूरन मेहरा ने कहा कि पृथक राज्य की मांग को लेकर किए जा रहे प्रदर्शन के दौरान महिला आंदोलनकारियों से दुष्कर्म के आरोपियों को सजा का एलान किया गया है. मगर घटना में शामिल तत्कालीन डीएम, एसएसपी समेत आईजी पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. न ही बर्बरता करने वाले आरोपियों पर हत्या का मामला दर्ज हो सका. कार्रवाई के नाम पर केवल दो कांस्टेबलों पर कार्रवाई कर दी. राज्य आंदोलनकारी मुन्नी तिवारी ने राज्य सरकार से मामले में हस्तक्षेप कर पुन: सीबीआई और उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट में पैरवी कर आरोपियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करवाने की मांग की है.
तत्कालीन अफसरों पर हत्या का मुकदमा चलाने की मांग: राज्य आंदोलनकारी पूरन मेहरा ने कहा कि तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार के निर्देश पर राज्य आंदोलनकारियों पर पुलिस और पीएसी के जवानों ने बर्बरता की साथ ही महिलाओं पर भी अत्याचार किया था. विरोध करने पर पुलिस के जवानों ने आंदोलनकारियों पर गोली चला दी थी. साथ ही आंदोलनकारियों पर फर्जी मुकदमे तक लिखवा दिए थे. इसके बाद मामला पहले हाईकोर्ट और फिर सीबीआई कोर्ट तक गया. अब 30 साल बीत जाने के बाद राज्य आंदोलनकारियों पर हुई बर्बरता का उन्हें न्याय मिलना शुरू हो गया है. उन्हें विश्वास है जल्द ही सभी आंदोलनकारियों को कोर्ट से न्याय मिलेगा.
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