ग्वालियर: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में शायद ही ऐसा कोई हो जिसे अचलेश्वर महादेव की महिमा का ज्ञान ना हो, प्रतिदिन उनके भक्तों की लंबी कतारें मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का जमावड़ा देखा जा सकता है. भक्त भी अपने आराध्य को कभी फल फूल, तो कभी सोना चांदी भेंट चढ़ाते हैं, लेकिन ग्वालियर की माधुरी सक्सेना ने भक्ति की अनूठी मिसाल पेश की है. उन्होंने उस कहावत को सिद्ध कर दिया जो बूढ़े पुराने लोग कहा करते थे, कि जिसका कोई नहीं होता उसका ईश्वर होता है. शायद यही वजह थी कि मरने से पहले माधुरी सक्सेना ने अचलेश्वर महादेव को साथी बनाया.. कैसे..? आइये जानते हैं.
आराध्य को बनाया वारिस
ग्वालियर के लोहिया बाजार इलाके में रहने वाली माधुरी सक्सेना की कोई संतान नहीं रहे, उम्र के इस पड़ाव में वह अकेली थी. अपने बुढ़ापे के लिए उन्होंने मार्च 2017 में एक एलआईसी की पेंशन पालिसी ली थी. जिसमें उनकी इंश्योरेंस एजेंट सुषमा बंसल ने मदद की. अपना कोई ना होने के चलते जब नॉमिनी की बात आयी तो माधुरी सक्सेना ने अपने आराध्य अचलेश्वर महादेव को अपना वारिस बनाया.
बीमा एजेंट ने मंदिर ट्रस्ट को सौंपी भक्त की पॉलिसी
पॉलिसी लेने के 2 साल बाद 19 मार्च 2022 को माधुरी सक्सेना का निधन हो गया. करीब ढाई साल बाद अचानक स्व. माधुरी सक्सेना की बीमा एजेंट सुषमा बंसल अचलेश्वर महादव मंदिर ट्रस्ट के ऑफिस पहुंची और उनकी बीमा पॉलिसी ट्रस्ट में जमा कराई. 2 दिन पहले इस पॉलिसी के 7 लाख 46 हजार 982 रुपए पॉलिसी धारक के परलोक गमन के बाद ट्रस्ट के खाते में आ गये हैं.
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भक्ति की स्मृति सहेजने में खर्च होगी रकम
अचलेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट के लेखा अधिकारी वीरेंद्र शर्मा ने बताया कि, "सुषमा बंसल द्वारा उनके ऑफिस में ये पॉलिसी जमकराते हुए सारी स्थिति बताई गई थी. एक भक्त की श्रद्धा को देखते हुए उस पॉलिसी को कैश करा लिया गया है और पैसे भी ट्रस्ट के खाते में जमा हो गये हैं." वीरेंद्र शर्मा कहते हैं कि इस पहल के बारे में हर कोई पूछ रहा है और स्व. माधुरी सक्सेना के निर्णय की सराहना कर रहा है. उनकी स्मृति को याद रखने के लिए मंदिर ट्रस्ट ने भी यह फैसला लिया है कि इस रकम को उनकी स्मृति को मंदिर में सहजने के लिये खर्च किया जाएगा. जिससे ये लोगों के लिए प्रेरणा का उदाहरण बने."