ग्वालियर। हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एक बार फिर स्वर्ण रेखा के जीर्णोद्धार से संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए नगर निगम कमिश्नर सहित अमृत प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी और जिला प्रशासन के प्रति अपनी नाराजगी का इजहार की है. हाई कोर्ट ने कहा कि जब से इस याचिका पर पिछले 6 महीने से गंभीरता से सुनवाई शुरू हुई है, तब से अधिकारी बात को एक दूसरे पर टालने में समय व्यतीत कर रहे हैं.
हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी
सीवर और ट्रंक लाइन डालने में अधिकारियों के बीच विरोधाभास है. सीवर लाइन डाल रही दिल्ली की कंपनी के अधिकारी को भी कोर्ट ने फटकार लगाई है, क्योंकि वे वर्क आर्डर और प्रोग्रेस रिपोर्ट कोर्ट में पेश नहीं कर सके. साथ ही स्वर्ण रेखा में कचरा रोकने के लिए जाली लगाने का काम भी केंद्र और राज्य सरकार के बीच अटका हुआ है. निगम फंड की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ रहा है. वहीं सीवर के लिए आए प्रोजेक्ट को दूसरे मद में लगाने पर भी हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है. कोर्ट ने स्वर्णरेखा में बहने वाले पानी के नमूनों की जांच के आदेश दिए हैं.
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12 अप्रैल को होगी स्वर्ण रेखा नाले की सुनवाई
कोर्ट ने यह भी कहा है कि स्वर्ण रेखा नाले में अभी भी सीवर का पानी आ रहा है. इसे रोकने के लिए अधिकारियों ने कोई विशेष प्रयास नहीं किए हैं. कोर्ट को बताया गया कि 2017 में बिछाई गई सीवर लाइन का मेंटेनेंस जिस कंपनी को देखना था. वह यहां से भाग चुकी है. जज रोहित आर्य ने कहा कि 'वह भले ही इस महीने रिटायर हो रहे हैं, लेकिन वह इस याचिका में अपनी टिप्पणी का जरूर उल्लेख करेंगे कि किस तरह से अधिकारियों ने एक दूसरे पर इस महत्वपूर्ण और जन उपयोगी कार्य में टालम टोली की है. कचरा प्रबंधन पर भी कोर्ट ने अधिकारियों के जवाब से अप्रसन्नता जाहिर की है. सुनवाई के दौरान नगर निगम कमिश्नर हर्ष सिंह स्मार्ट सिटी सीईओ नीतू माथुर, जल संसाधन विभाग, वन विभाग एवं पीएचई शाखा के अधिकारी मौजूद रहे. अब इस मामले पर सुनवाई 12 अप्रैल को होगी.