फरीदाबाद: हरियाणा के फरीदाबाद में गुर्जर आर्ट एंड कल्चरल ट्रस्ट की ओर से फरीदाबाद के सूरजकुंड मेला मैदान में आयोजित तीन दिवसीय गुर्जर महोत्सव का शुभारंभ हरियाणा सरकार में राज्य मंत्री राजेश नागर ने किया. इस दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए राज्य मंत्री राजेश नागर ने कहा कि सूरजकुंड में आज तीसरी बार गुर्जर महोत्सव की शुरुआत की गई है.
गुर्जर महोत्सव का आयोजन उस जगह हो रहा है, जहां हर वर्ष इंटरनेशनल सूरजकुंड क्राफ्ट्स मेले का आयोजन होता है. जिसमें दुनिया भर के ज्यादातर देश भाग लेते हैं. गुर्जर महोत्सव में बहुत सारे पुराने रीति रिवाज जो धीरे-धीरे हमारे युवा पीढ़ी भूलती जा रही है, जो रीति रिवाज लुप्त हो रहे हैं. उनको दोबारा से जीवित करने की कोशिश की जा रही है. ऐसे महोत्सव का आयोजन होते रहना चाहिए. जिससे हमारे पूर्वज किस तरह रहते थे. उनकी वेशभूषा क्या थी, यह हमारी पीढ़ियां जान सके.
राज्य मंत्री ने रखा अपना सुझाव: राज्य मंत्री राजेश नागर ने कहा कि मैंने आज एक गुर्जर महोत्सव में अपने गुर्जर समाज के बीच एक प्रस्ताव रखा. जिसमें मैंने कहा कि पहले के जमाने में जब किसी की डेथ हो जाती थी, तो एक सवा महीने बाद इसका क्रिया कर्म किया जाता था. क्योंकि उसे दौरान रिश्तेदारों को इन्फॉर्म करना पड़ता था और हमारे पास कोई टेलीफोन साधन नहीं होता था. जिसकी वजह से इतने दिन का समय दिया जाता था. जिसके बाद 13 दिन का यह 13वीं का कार्यक्रम किया जाता है. लेकिन अब किसी की डेथ हो तो 13वीं का प्रोग्राम 23 दिन से घटकर इसे 7 दिन का कर देना चाहिए. भले ही हम हवन 13 दिन बाद करें. क्योंकि अब किसी भी रिश्तेदार को इन्फॉर्म जल्दी किया जा सकता है. लोगों के पास अब साधन है, लोग जल्दी अपने रिश्तेदारों के पास पहुंच जाते हैं. जिसको लेकर आज मैंने प्रस्ताव रखा है.
संस्कृति को दर्शाया जाना चाहिए: वहीं, इस गुर्जर महोत्सव में शामिल होने आए नवीन बैसला ने बताया कि मैं हर साल इस गुर्जर महोत्सव में आता हूं. जब से गुर्जर महोत्सव का आयोजन किया जाता है. इस महोत्सव में आने के बाद हमारी अपनी संस्कृति विरासत के बारे में पता चलता है कि आजकल के युवाओं को हमारी विरासत, हमारी संस्कृति, हमारी कला के बारे में नहीं पता जिसको लेकर यहां पर हमारे गुर्जर संस्कृति को दर्शाया जाता है.
इस महोत्सव में देश-विदेश के कोने-कोने से हमारे गुर्जर समाज के लोग शामिल होने आते हैं और अपनी विरासत संस्कृति को नजदीक से देखते हैं. इस गुर्जर महोत्सव का मकसद सिर्फ एक है. हमारी संस्कृति विरासत के बारे में आजकल के युवाओं को बता रहा था कि हमारे गुर्जर युवाओं को पता चल सके कि हमारे पूर्वजों की क्या संस्कृति, विरासत था.
गुर्जर समाज की सांस्कृतिक झलक: आपको बता दें गुर्जर महोत्सव में देश के विभिन्न राज्यों से व विदेशों में निवास करने वाले गुर्जर समाज के लोग बड़ी संख्या में इस महोत्सव में भाग लेते हैं. गुर्जर महोत्सव में आये हुए लोगों को सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत की झलक देखने को मिलती है. कार्यक्रम में कश्मीर से कर्नाटक तक गुर्जर समाज के लोक गीत, लोक नृत्य, रहन सहन, खानपान, परिधान और आभूषण से भी परिचित कराया जाता है.
इस दौरान गुर्जर जाति की समृद्ध संस्कृति, इतिहास कला और विरासत के बारे में भी झांकी और प्रदर्शनी के जरिए जानकारी दी जाती है. महोत्सव के दौरान विशेष आकर्षण गुर्जर सांस्कृतिक प्रदर्शनी, सांस्कृतिक विरासत एवं गौरवशाली इतिहास लोक नृत्य, रागिनी कला और खानपान और व्यंजन भी प्रस्तुत किए जाते हैं.
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