इंदौर। देश में बढ़ती बेरोजगारी से आम लोग तो क्या दिव्यांग और मूक बधिर भी खासे परेशान हैं. स्थिति यह है कि बेरोजगारी की दर न केवल सामान्य लोगों में बल्कि मूक बधिरों में भी बड़ी तेजी से बढ़ रही है. मूक बधिर बेरोजगार युवाओं की इसी परेशानी को लेकर गुजरात के वलसाड जिले का निकुंज पटेल अब भारत भ्रमण पर है. निकुंज मूकबधिर है. जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर मूकबधिरों की समस्या से उन्हें रूबरू कराना चाहता है. फिलहाल निकुंज इंदौर में है, जो 26 राज्यों की यात्रा के बाद जल्द दिल्ली पहुंचेगा.
भारत भ्रमण पर निकला मूक बधिर निकुंज
दरअसल, गुजरात के वलसाड जिले का रहने वाला निकुंज पटेल कक्षा दसवीं तक की पढ़ा लिखा है. निकुंज का कहना है कि हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी के बाद गुजरात में दिव्यांगों को रोजगार के लिए ज्यादा संभावनाएं नहीं होने के कारण, रोजगार के तमाम प्रयास के बाद जब वह सफल नहीं हुआ तो, उसने यूट्यूबर बनने की ठानी. वह गुजरात के वलसाड़ जिले से कन्याकुमारी, असम और जम्मू होते हुए वापस गुजरात लौटेगा. देश के 26 राज्यों के कई शहर और कस्बों को साइकिल से नापते हुए निकुंज की कोशिश है कि वह देशभर में साइन लैंग्वेज के प्रति जागरूकता और मूक-बधिर की समस्याओं को लेकर जन जागरूकता फैलाए. निकुंज का कहना है कि 'देश में दिव्यांगों के लिए शैक्षणिक आत्मनिर्भरता, बेरोजगारी एवं उनके सामाजिक जीवन के प्रति भी जन जागरूकता लाया जाना जरूरी है.'
थोड़े से जरूरत का सामान के साथ भारत भ्रमण
यही वजह है कि बीते करीब दो माह से साइकिलिंग करते हुए वह देश के कई शहरों में अपने जैसे लोगों की शारीरिक और सामाजिक समस्याओं से लोगों को रूबरू कर रहा है. निकुंज फिलहाल कई दिनों की यात्रा के बाद इंदौर पहुंचा है. जहां वह अपने ही जैसे दिव्यांग दोस्तों के साथ फिलहाल अपनी यात्रा और उद्देश्य को लेकर चर्चा में है. निकुंज के पास अपने सफर को पूरा करने के लिए एक साइकिल के अलावा एक छोटा सा टेंट है. जिसमें वह कुछ कपड़े, दैनिक जरूरत का सामान, बिस्तर एवं अन्य सामग्री है. ठंड के लिए स्वेटर है.
बेरोजगारी और दिव्यांगों की समस्या को लेकर कर रहे जागरूक
निकुंज फिलहाल अलग-अलग शहरों में उन लोगों से मिल रहा है, जो उसी की तरह बोल और सुन नहीं सकते. सबके बीच वह देश में दिव्यांगों की समस्या और बेरोजगारी से निपटने के प्रयासों पर भी चर्चा कर रहा है. जिससे कि वह अपने अभियान के प्रति देश के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले मूक बधिर दिव्यांगों को जागरुक कर सके. गौरतलब है फिलहाल देश में बेरोजगारी की दर पिछले साल की तुलना में निचले स्तर पर है. जो 2022 में 6% से घटकर 3.2 के निचले स्तर पर आ गई है. यह बात और है कि इस स्थिति के बावजूद दिव्यांगों के रोजगार के विकल्प अभी भी बहुत कम है. हाल ही में इंदौर समेत देश के अन्य शहरों में सामाजिक न्याय मंत्रालय के माध्यम से स्वरोजगार मेले आदि आयोजनों की शुरुआत हुई है, लेकिन फिर भी इस क्षेत्र में रोजगार की कमी होने के कारण दिव्यांगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
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मोदी से मिलने का सपना
निकुंज पटेल गुजरात के वलसाड जिले का निवासी हैं. जो अपनी यात्रा और भारत भ्रमण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर उन्हें मूक बधिर दिव्यांगों के बीच रोजगार की समस्या से अवगत कराना चाहता हैं. इसके अलावा उच्च शिक्षा में साइन लैंग्वेज की मान्यता और प्रशिक्षण को लेकर होने वाली समस्या से अवगत कराना चाहता है. जिससे कि इस दिशा में भी पहल हो सके और उसके जैसे हजारों दिव्यांगों के रोजगार की राह आसान हो सके.