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कांकेर में रिपा योजना पर लगा ग्रहण, करोड़ों की मशीन बन रहीं कबाड़, महिलाओं की आमदनी भी रुकी - Ground reality of RIPA Scheme

Ground reality of RIPA Scheme in Kanker छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शासनकाल में बनाए गए महात्मा गांधी रुरल इंड्रस्टियल पार्क का बुरा हाल है. कांकेर के चारामा ब्लॉक में इंड्रस्ट्रियल पार्क में ताला जड़ा है. मशीनें कबाड़ में तब्दील हो रहीं हैं. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और लोगों को रोजगार देने की योजना दम तोड़ रही है.Mahatma Gandhi Rural Industrial Parks

Ground reality of RIPA Scheme in Kanker
करोड़ों की मशीनें हो रही कबाड़ (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 31, 2024, 10:51 PM IST

Updated : Sep 1, 2024, 9:47 AM IST

रिपा योजना का कांकेर में बुरा हाल (ETV BHARAT)

कांकेर : छत्तीसगढ़ में साल 2018 में कांग्रेस सत्ता में आई तो किसान और महिलाओं से जुड़ी कई योजनाएं लॉन्च की गई. कांग्रेस ने महात्मा गांधी रुरल इंडस्ट्रियल पार्क (रिपा) की स्थापना की. प्रदेश के कई जिलों में इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना की गई. जिसका उद्देश्य स्थानीय लोगों और महिला स्वसहायता समूह की महिलाओं को रोजगार देना था. ऐसा ही एक पार्क कांकेर जिले के चारामा ब्लॉक में स्थापित किया गया. जिसमें लाखों की मशीनें खरीदकर लगाई गई. लेकिन 2023 में सत्ता बदलते ही इस इंडस्ट्रियल पार्क की हालत खराब हो चली है.

विकास से जुड़े प्लान में लगी जंग : इस पार्क को स्थापित करने का मकसद लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराना था.जिसमें स्थानीय लोगों के साथ महिला समूह की भी कमाई उनके अपने गांव के पास हो जाए. छोटे उत्पादों मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाकर इस पार्क को आजीविका केंद्र के तौर पर विकसित किया जाना था. लेकिन कांग्रेस की सरकार बदलने के बाद महात्मा गांधी ग्रामीण इंडस्ट्रियल पार्क को ग्रहण लग गया.आज आलम ये है कि जिन मशीनों से पहले उत्पाद बनते थे,उनमें जंग लग चुकी है. करोड़ों रुपए की मशीनें कबाड़ में बदलती जा रही है.इस पार्क की मौजूदा समय में क्या स्थिति है,इसका जायजा ईटीवी भारत ने लिया.

एक साल से गोबर पेंट मशीन है बंद : गोबर पेंट की इकाई से जुड़ी महिला समूह की मुखिया जागेश्वरी भास्कर ने बताया कि छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के बाद से ही गोबर से पेंट बनाने का उत्पादन बंद है..बंद होने के कारण हमारे पास किसी प्रकार का डिमांड ही नही आ रहा है. ना ही प्रशासनिक अधिकारियों का किसी प्रकार का दिशा निर्देश हमें मिला है.

''मेरे समूह में पहले 10 महिलाएं गोबर पेंट बनाने का काम करती थीं. हमारी रोजी रोटी निकल जाती थी. अब सारी महिलाएं खेती-किसानी का काम करती हैं.इसे फिर से चालू किया जाना चाहिए ताकि रोजगार मिल सके.साल भर से उत्पादन का कोई काम नहीं होने के कारण अब मशीनें कबाड़ हो रही है.''- जागेश्वरी भास्कर, महिला स्व सहायता समूह

फ्लाई एश ब्रिक्स मशीन का भी हाल बुरा : सराधुनवागांव में मौजूद और भी मशीनें कबाड़ में बदल रहीं हैं. फ्लाई ऐस ब्रिक्स और प्लास्टिग बैग बनाने की मशीनों से भी कोई काम नहीं हो रहा है. रिपा के इस पार्क में जितनी भी मशीनें हैं लगभग सभी का हाल यही है. इस पूरे मामले में भानुप्रतापपुर विधानसभा की कांग्रेस विधायक सावित्री मंडावी ने इस बारे में अफसरों से बात करने की बात कही है.

''हमारी सरकार ने महिलाओं को आर्थिक रुप से सशक्त बनाने के लिए रुरल इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना की थी.ताकि महिलाओं को रोजगार मिल सके.ये पार्क क्यों बंद हो गए इस बारे में प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर दोबारा शुरु करने की मांग रखूंगी.''- सावित्री मंडावी, कांग्रेस विधायक

वहीं पूरे मामले में कांकेर जिला पंचायत सीईओ सुमित अग्रवाल का कहना है कि रीपा योजना के तहत छोटे-छोटे उद्योग लगाए गए थे. हमारा प्रयास है कि जो शासन की योजनाएं हैं उनके साथ उनका कन्वर्जन करके एक एग्रीमेंट कराया जाए ताकि जो भी वहां उत्पादन होगा वहां आसानी से विक्रय हो सके.

''हमारे जिले में पांच फ्लाई ऐश ब्रिक्स का यूनिट लगा हुआ है. हमको बड़ी संख्या में प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति मिलने वाली है. हम लोग वहां से उत्पादन करके जनपद पंचायत के साथ टाइअप करके हितग्राहियों तक लाभ पहुंचाएंगे.''- सुमित अग्रवाल, जिला पंचायत सीईओ

आपको बता दें कि रुरल इंडस्ट्रियल पार्क में जिला खनिज संस्थान न्यास निधि (DMF) से निर्माण कार्य और खरीदी की गई थी. DMF निधि का उपयोग खनन संबंधित कार्यों से प्रभावित क्षेत्र के लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए किया जाता है. कांग्रेस के शासन में पार्क तो बने लेकिन जब सरकार बदली तो इन इंडस्ट्रियल पार्कों में उत्पादन शुरु नहीं हो सका.लगभग एक साल से इंडस्ट्रियल पार्कों में मशीनें ठप हैं. अब देखना होगा कि कब इस रुरल इंडस्ट्रिलय पार्क की तकदीर बदलती है.

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विकास से जुड़े प्लान में लगी जंग : इस पार्क को स्थापित करने का मकसद लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराना था.जिसमें स्थानीय लोगों के साथ महिला समूह की भी कमाई उनके अपने गांव के पास हो जाए. छोटे उत्पादों मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाकर इस पार्क को आजीविका केंद्र के तौर पर विकसित किया जाना था. लेकिन कांग्रेस की सरकार बदलने के बाद महात्मा गांधी ग्रामीण इंडस्ट्रियल पार्क को ग्रहण लग गया.आज आलम ये है कि जिन मशीनों से पहले उत्पाद बनते थे,उनमें जंग लग चुकी है. करोड़ों रुपए की मशीनें कबाड़ में बदलती जा रही है.इस पार्क की मौजूदा समय में क्या स्थिति है,इसका जायजा ईटीवी भारत ने लिया.

एक साल से गोबर पेंट मशीन है बंद : गोबर पेंट की इकाई से जुड़ी महिला समूह की मुखिया जागेश्वरी भास्कर ने बताया कि छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के बाद से ही गोबर से पेंट बनाने का उत्पादन बंद है..बंद होने के कारण हमारे पास किसी प्रकार का डिमांड ही नही आ रहा है. ना ही प्रशासनिक अधिकारियों का किसी प्रकार का दिशा निर्देश हमें मिला है.

''मेरे समूह में पहले 10 महिलाएं गोबर पेंट बनाने का काम करती थीं. हमारी रोजी रोटी निकल जाती थी. अब सारी महिलाएं खेती-किसानी का काम करती हैं.इसे फिर से चालू किया जाना चाहिए ताकि रोजगार मिल सके.साल भर से उत्पादन का कोई काम नहीं होने के कारण अब मशीनें कबाड़ हो रही है.''- जागेश्वरी भास्कर, महिला स्व सहायता समूह

फ्लाई एश ब्रिक्स मशीन का भी हाल बुरा : सराधुनवागांव में मौजूद और भी मशीनें कबाड़ में बदल रहीं हैं. फ्लाई ऐस ब्रिक्स और प्लास्टिग बैग बनाने की मशीनों से भी कोई काम नहीं हो रहा है. रिपा के इस पार्क में जितनी भी मशीनें हैं लगभग सभी का हाल यही है. इस पूरे मामले में भानुप्रतापपुर विधानसभा की कांग्रेस विधायक सावित्री मंडावी ने इस बारे में अफसरों से बात करने की बात कही है.

''हमारी सरकार ने महिलाओं को आर्थिक रुप से सशक्त बनाने के लिए रुरल इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना की थी.ताकि महिलाओं को रोजगार मिल सके.ये पार्क क्यों बंद हो गए इस बारे में प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर दोबारा शुरु करने की मांग रखूंगी.''- सावित्री मंडावी, कांग्रेस विधायक

वहीं पूरे मामले में कांकेर जिला पंचायत सीईओ सुमित अग्रवाल का कहना है कि रीपा योजना के तहत छोटे-छोटे उद्योग लगाए गए थे. हमारा प्रयास है कि जो शासन की योजनाएं हैं उनके साथ उनका कन्वर्जन करके एक एग्रीमेंट कराया जाए ताकि जो भी वहां उत्पादन होगा वहां आसानी से विक्रय हो सके.

''हमारे जिले में पांच फ्लाई ऐश ब्रिक्स का यूनिट लगा हुआ है. हमको बड़ी संख्या में प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति मिलने वाली है. हम लोग वहां से उत्पादन करके जनपद पंचायत के साथ टाइअप करके हितग्राहियों तक लाभ पहुंचाएंगे.''- सुमित अग्रवाल, जिला पंचायत सीईओ

आपको बता दें कि रुरल इंडस्ट्रियल पार्क में जिला खनिज संस्थान न्यास निधि (DMF) से निर्माण कार्य और खरीदी की गई थी. DMF निधि का उपयोग खनन संबंधित कार्यों से प्रभावित क्षेत्र के लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए किया जाता है. कांग्रेस के शासन में पार्क तो बने लेकिन जब सरकार बदली तो इन इंडस्ट्रियल पार्कों में उत्पादन शुरु नहीं हो सका.लगभग एक साल से इंडस्ट्रियल पार्कों में मशीनें ठप हैं. अब देखना होगा कि कब इस रुरल इंडस्ट्रिलय पार्क की तकदीर बदलती है.

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Last Updated : Sep 1, 2024, 9:47 AM IST
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