कोरिया : छत्तीसगढ़ में गुरुघासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व जल्द ही अस्तित्व में आने वाला है. इसके अस्तित्व में आते ही ये देश का तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व बन जाएगा. वहीं छत्तीसगढ़ की बात करें तो गुरुघासीदास तमोर पिंगला प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व होगा. छत्तीसगढ़ सरकार ने गुरुघासीदास तमोर पिंगला को टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित किया है. राज्य वन्यजीव बोर्ड की सिफारिश और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए), केंद्रीय वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की सहमति के अनुसार, कैबिनेट ने 2,829.387 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में गुरु घासीदास-तमोर पिंगला बाघ अभयारण्य को अधिसूचित करने का निर्णय लिया है।
कितने क्षेत्र होंगे शामिल ?: गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, कोरिया, सूरजपुर और बलरामपुर जिलों में फैले तमोर पिंगला अभयारण्य के क्षेत्र शामिल होंगे. मामले में आगे की कार्रवाई के लिए राज्य के वन और जलवायु परिवर्तन विभाग को अधिकृत किया गया है. इसके लिए राष्ट्रीय बाघ परियोजना से अतिरिक्त बजट प्राप्त किया जाएगा ताकि क्षेत्र के गांवों में आजीविका विकास के नए कार्य किए जा सकें. मौजूदा समय में राज्य में तीन बाघ अभयारण्य इंद्रावती (बीजापुर जिले में), उदंती-सीतानदी (गरियाबंद) और अचानकमार (मुंगेली) में हैं.
मिल चुकी थी NTCA की अनुमति : आपको बता दें कि गुरुघासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व के लिए एनटीसीए की अनुमति काफी पहले मिल गई थी. गुरु घासीदास नेशनल पार्क को साल 2021 में टाइगर रिजर्व बनाया गया था. लेकिन विरोध के कारण अस्तित्व में नहीं लाया जा सका था. इस क्षेत्र में कई खदानें होने कारण नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व घोषित करने का नोटिफिकेशन कांग्रेस शासन काल में रुका हुआ था. छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने ही गुरु घासीदास नेशनल पार्क और तमोर पिंगला सेंचुरी को मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाने का ड्राफ्ट राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) को भेजा था. इसके बाद एनटीसीए ने गुरु घासीदास नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व के रूप में मंजूरी दी थी.
कांग्रेस शासन में टाइगर रिजर्व पर लगी थी रोक : कांग्रेस शासन में रिजर्व एरिया के कोल ब्लॉक, आइल ब्लॉक और मिथेन गैस ब्लॉक होने के कारण मामला अटक गया था. अब जब राज्य में फिर से बीजेपी सरकार बनीं है तो टाइगर रिजर्व बनने का रास्ता साफ हो गया. छत्तीसगढ़ सरकार ने मंत्रिपरिषद की बैठक में गुरुघासीदास - तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व गठित करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. सरकार ने इसे टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित कर लिया है. इस टाइगर रिज़र्व के गठन से बाघों की संख्या में वृद्धि की उम्मीद है, क्योंकि यह क्षेत्र उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा. मौजूदा आंकड़ों के आधार पर, बाघों की संख्या में सुधार के लिए यह कदम जरुरी था.
क्या होगा टाइगर रिजर्व बनने से फायदा : नया टाइगर रिजर्व बाघों के प्राकृतिक आवास को संरक्षित करेगा. उनकी सुरक्षा को बढ़ावा देगा.टाइगर रिजर्व के गठन से ईको-पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे. गाइड, पर्यटक वाहन संचालन, और रिसॉर्ट्स के संचालन के साथ-साथ अन्य पर्यटन संबंधित सेवाओं से स्थानीय लोगों को आर्थिक लाभ होगा. राष्ट्रीय प्रोजेक्ट टाइगर ऑथोरिटी से अतिरिक्त बजट प्राप्त होगा, जो क्षेत्र के विकास और आजीविका सुधार के लिए उपयोगी होगा.
गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व में हैं 26 तरह के जीव जंतु : आपको बता दें कि गुरुघासीदास टाइगर रिजर्व में 26 प्रकार के है जीव जन्तु हैं. पार्क एरिया में कई बाघ बाघिन के अलावा तेंदुआ, चीतल, सांभर, कुटरी, चौरसिंगा, नीलगाय, गौर, जंगली सुअर, चिंकारा, माउस डियर, भालू, जंगली बिल्ली, सियार, लोमड़ी, पैंगोलिन, साही, पाम सिवेट, छोटा सिवेट, बुश रेट, काले बंदर, लाल बंदर, बड़ी गिल्हरी, के साथ दुर्लभ उदबिलाव, कवर बिज्जू, ट्री शिओ भी मौजूद हैं. इसके अलावा जंगली हाथियों का आना जाना भी यहां लगा रहता है. इसके अलावा गुरूघासीदास राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में नील गाय और तेंदुओं की संख्या भी काफी तादात में है.
कहां है तमोर पिंगला अभयारण्य : तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में है. जिसका नाम तमोर हिल और पिंगला नाला के नामों पर रखा गया है.ये दोनों ही इस क्षेत्र की प्रमुख पहचान है.छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सरगुजा जशपुर हाथी रिजर्व के एक हिस्से के रूप में अधिसूचित किया गया था। इस अभयारण्य के भीतर सात राजस्व गांव हैं, तमोर हिल्स का क्षेत्रफल 250 वर्ग किमी है.
दिल्ली भेजी जा रही बाघों से जुड़ी जानकारी : बाघ से जुड़ी हर जानकारी समय-समय पर दिल्ली भेजी जा रही है. पार्क अधिकारियों की माने तो बाघ के मल को टेस्ट के लिए दिल्ली भेजा जा रहा है, जीपीएस ट्रेकिंग भी जा रही है. बाघ एक ही बार में 15 दिन तक का भोजन खा लेता है, हर दिन वो 15 से 20 किमी चलता है, ऐसे में उसे आम लोगों से दूर रखना बेहद जरूरी है.
क्यों अलग है टाइगर रिजर्व ?: गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान कई बड़ी बाहरमासी नदियों के उद्गम का केन्द्र है, यहां पूरे क्षेत्र में नदियों के साथ उसकी सहायक नदियों का जाल बिछा हुआ है, यही कारण है कि अन्य टाइगर रिजर्व से अलग है. इसे जंगली जीव जन्तुओं के रहने के लिए सबसे अच्छी जगह मानी गई। यहां से पैरी, गोपद, रांपा, दौना, महान, जगिया, बैरंगा, लोधार, झांगा, नेउर और खारून जैसे नदियां पूरे साल भर बहती रहती है.