पटना: बिहार के पटना में पहली बार शतरंज का महाकुंभ चल रहा है. आज गुरुवार को तीसरे दिन अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित और शतरंज के ग्रैंड मास्टर दिव्येंदु बरुआ ने पटना पहुंचे. जहां उन्होंने खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाया. उन्होंने कहा कि बिहार के शतरंज के खिलाड़ी साल 2 साल के अंदर ग्रैंड मास्टर बनेंगे. उन्होंने कहा कि इसके पहले भी मैं पटना आ चुका हूं.पटना में नेशनल शतरंज खेल चुका हूं. शतरंज के महाकुंभ में शामिल होकर काफी खुशी मिल रही है.
पटना पहुंचे ग्रैंड मास्टर दिव्येंदु बरुआ: ग्रैंड मास्टर बरुआ ने कहा कि हमारे समय में के खेलने और प्रशिक्षण की बहुत कम सुविधा थी. मगर आज काफी सहूलियत हो गई है. काफी बच्चे प्रोत्साहित होकर आगे बढ़ रहे हैं. बिहार में प्रतिभा की कमी नहीं है. बेहतर प्रशिक्षण की सुविधा से यहां के खिलाड़ी भी ग्रैंड मास्टर बनने में सक्षम है. इन्हीं बच्चों में से बिहार का खिलाड़ी भी जरूर ग्रैंड मास्टर बनेंगे. उन्होंने कहा कि अच्छे खिलाड़ियों के चैन और विकास के लिए इस तरह के टूर्नामेंट निरंतर आयोजित करना बहुत जरूरी है.
जल्द होगा अंतरराष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट: बरुआ ने इस मौके पर खेल डीजी और चेस एसोसिएशन को धन्यवाद देते हुए कहां की इतने बड़े स्तर के टूर्नामेंट को बिहार में बेहतर ढंग से आयोजित किया गया है. इसलिए मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि भविष्य में और भी अंतरराष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट बिहार में आयोजित किये जायेंगे. बिहार और खेल विभाग आयोजित करने के लिए पूरी तरह से सक्षम है.
बिहार के खिलाड़ियों को करुंगा मदद: उन्होंने कहा कि बिहार के खिलाड़ियों के लिए मैं व्यक्तिगत तौर पर हर तरह से सहयोग करने के लिए तैयार हूं. उन्होंने कहा कि मैं अपने जमाने का शतरंज का माहिर खिलाड़ी हूं. 12 वर्ष की उम्र में नेशनल चैंपियन बन गए थे और विश्वनाथ आनंद के बाद देश से दूसरे ग्रैंड मास्टर भी है.
कौन हैं दिव्येंदु बरुआ: बता दें कि दिव्येंदु बरुआ का जन्म 27 अक्टूबर 1966 को कोलकाता पश्चिम बंगाल में हुआ. भारत में शतरंज के दूसरे ग्रैंड मास्टर हैं. जिन्होंने तीन बार राष्ट्रीय खिताब जीता है. दिव्येंदु बरुआ के बारे में कहा जाता है की बचपन से ही प्रतिभावान खिलाड़ी के रूप में रहे हैं. 1978 में 12 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में हिस्सा लेकर भारत के सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बने. 1991 में ग्रैंड मास्टर का खिताब अपने नाम किए हैं. 1983 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं.
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