जयपुर. नगर आराध्य गोविंद देवजी मंदिर में बुधवार को बसंत पंचमी की धूम देखने को मिली. इस दौरान मंदिर में पाटोत्सव मनाया गया और ठाकुर जी को पांच रंगों का गुलाल अर्पित किया गया. वहीं, शृंगार झांकी के बाद जगमोहन में माता सरस्वती और प्राचीन ग्रंथो की पूजा-अर्चना की गई. बसंत पंचमी के मौके पर गोविंद देवजी मंदिर प्रांगण 'गोविंद जय जय गोपाल जय जय' भजन से गुंजायमान हो उठा. यहां बसंत पंचमी का पर्व पाटोत्सव के रूप में मनाया गया. सुबह मंत्रोच्चार के साथ भगवान का अभिषेक किया गया और इसके बाद धूप झांकी के दौरान अधिवास पूजन किया गया. साथ ही ठाकुर जी को पीत वस्त्र धारण कराया गया और फिर मंदिर को भी पीले पुष्पों से सजाया गया. यहां शृंगार झांकी की आरती के बाद माता सरस्वती की प्राचीन ग्रंथों के साथ पूजा-अर्चना की गई. इस दौरान मां सरस्वती को पेन, पेंसिल, डायरी और दूसरी पाठ्य सामग्री अर्पित की गई.
इसके साथ ही माता को गुलाल अर्पित किया गया. वहीं, राजभोग की झांकी के दौरान ठाकुर जी को प्राकृतिक रंगों और अरारोट से तैयार पांच रंगों की गुलाल अर्पित की गई. मंदिर प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि बुधवार से 23 मार्च तक हर दिन ठाकुर जी को गुलाल अर्पित किया जाएगा. वहीं, 5 मार्च से रचना झांकी शुरू होगी, जिसमें केसरिया पीले रंग के सूत से बनी विशेष रचना की पोशाक भगवान धारण करेंगे. साथ ही इस दौरान ठाकुर जी की लीलाओं को रचना पोशाक पर उकेरा जाएगा.
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उधर, जयपुर के हीदा की मोरी स्थित राम मंदिर से माता सरस्वती, मां गंगा और भगवान श्रीराम की शोभायात्रा निकाली गई. इस शोभायात्रा को हवामहल विधायक बालमुकुंद आचार्य ने रवाना किया. इस दौरान महिलाओं ने पीली साड़ी और पुरुषों ने पीले कुर्ते के साथ केसरिया साफा धारण कर एकरूपता का परिचय दिया. वहीं, हाथी, ऊंट, घोड़े, बग्गी, रथों का लवाजमा भी शोभायात्रा में शामिल हुआ. वहीं, पूरी शोभायात्रा भगवान श्रीराम को समर्पित नजर आई. ये शोभायात्रा गंगा माता मंदिर पर पूर्ण हुई, लेकिन यहां मंदिर के पट बंद होने के चलते समाज के लोगों में रोष देखने को मिला और यहां शोभायात्रा का अंत विवाद के साथ हुआ.