ETV Bharat / state

आनंदीबेन पटेल बोलीं-मुरली कांत राजाराम पेटकर को देखकर चुनौतियों से लड़ने की मिलती है सीख - Convocation Ceremony

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि आज हमारे बीच में एक ऐसी शख्सियत हैं, जिनके जीवन एवं कार्य को देखते हुए मुझे कुछ भी बोलने की आवश्यकता नहीं है. यह स्वयं ही आपके समक्ष उत्तम उदाहरण हैं कि एक दिव्यांग कैसे पदमश्री तक पहुंच सकता है.

डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय का 11वां दीक्षांत समारोह.
डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय का 11वां दीक्षांत समारोह. (Photo Credit; ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 13, 2024, 6:16 PM IST

लखनऊ: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि आज हमारे बीच में एक ऐसी शख्सियत हैं, जिनके जीवन एवं कार्य को देखते हुए मुझे कुछ भी बोलने की आवश्यकता नहीं है. यह स्वयं ही आपके समक्ष उत्तम उदाहरण हैं कि एक दिव्यांग कैसे पदमश्री तक पहुंच सकता है. दिव्यांगजनों के रोल मॉडल के रूप में भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से पुरस्कृत भारत के पहले पैरा-ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता मुरलीकांत राजाराम पेटकर हैं. हाल ही में उनके ऊपर बनी फिल्म चंदू चैंपियन ने उनके जीवन के वृत्तांत को सुनहरे परदे पर उतारा है. उनका जीवन संघर्ष हमारे दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत है. राज्यपाल डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय का 11वें दीक्षांत समारोह में बोल रही थीं.

राज्यपाल ने कहा कि दिव्यांगजन के भीतर प्रकृति प्रदत्त एक विशिष्ट प्रतिभा और रचनात्मकता होती है. भारत के सांस्कृतिक इतिहास में महान ऋषि अष्टावक्र की परिकल्पना और सूरसागर के सैकड़ों पद आज भी हमारे एकांत मन में छदबद्ध जीवन की लयात्मक संगीत बनकर अनवरत बजते रहते हैं. राज्यपाल ने कहा कि विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण माध्यम शिक्षक ही है. अध्यापन व अनुसंधान के क्षेत्र में महान तथा उल्लेखनीय योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध उत्कृष्ट शिक्षक से ही विश्व स्तरीय विश्वविद्यालय की स्थापना संभव है. विश्वविद्यालयों से अपेक्षा की जाती है कि वे ज्ञान-सृजन के केन्द्र बनें. ज्ञान-सृजन के लिए आवश्यक है कि विश्वविद्यालय में अध्ययनशील, विचारशील, अन्वेषी लेखक, विद्वान शिक्षक पूर्ण समर्पण से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें.

मुरलीकांत बोले- चुनौतियां बाधाएं नहीं, बल्कि अवसर : दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि प्रथम पैरा-ओलम्पिक स्वर्ण पदक विजेता पद्मश्री मुरलीकांत राजाराम पेटकर ने अपने उद्बोधन में कहा कि मुझे आज इस दीक्षांत समारोह में आकर गौरव का अनुभव हो रहा है. शिक्षा का महत्व न केवल व्यक्ति के जीवन में, बल्कि समाज और राष्ट्र के उत्थान में भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है. यह एक ऐसा साधन है जो हमें न केवल जीविका कमाने में सक्षम बनाता है, बल्कि बेहतर इंसान बनने और एक बेहतर समाज का निर्माण करने की दिशा में भी प्रेरित करता है. कहा कि हमारे देश का इतिहास यह बताता है कि हम हमेशा बालक की आवश्यकता एवं उसकी क्षमता के अनुरूप शिक्षा प्रदान करने के लिए सबसे आगे रहें हैं. दिव्यांग विद्यार्थियों को एक साथ शिक्षा प्रदान किए जाने का इतना अच्छा उदाहरण मैं पहली बार यहां आकर देख रहा हूं. कहा कि पैरा-ओलंपिक खेलों में सबसे पहला स्वर्ण पदक प्राप्त करने की मेरी कहानी चुनौतियों को पार करने और सीमाओं को तोड़ने की है. मैंने सीखा है कि चुनौतियां बाधाएं नहीं बल्कि अवसर हैं.

दिव्यांगजनों के लिए सरकार कई अहम योजनाए चला रही: नरेंद्र कश्यप

समारोह के विशिष्ट अतिथि राज्य मंत्री, स्वतन्त्र प्रभार, पिछड़ा वर्ग कल्याण एव दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग नरेन्द्र कश्यप ने कहा कि भारतीय समाज के हाशिये पर पड़े हुए दिव्यांगजनों को समाज की मुख्यधारा में सम्मान के साथ स्थान दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकलांग शब्द के स्थान पर दिव्यांग शब्द को प्रचलन में लाकर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. प्रधानमंत्री मोदी ने 2016 में दिव्यांग अधिकार अधिनियम देश में लागू किया था. उसी कड़ी में राज्य सरकार के द्वारा भी इस अधिनियम को पूर्ण रूप से अंगीकार किया गया. कहा कि राहें कठिन अवश्य होती हैं लेकिन मुश्किल नहीं. मुख्यमंत्री के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने दिव्यागजनों के कल्याण और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कई अहम कदम उठाए हैं. हमारी सरकार ने आत्मनिर्भरता की दिशा में सबसे बड़ा कदम है रोजगार और हमारी सरकार ने इसे सुनिश्चित करने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं. दिव्यांगजनों के लिए स्वरोजगार योजना के तहत उन्हें कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाता है.

159 में से 101 मेडल छात्राओं के हिस्से : डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय का 11 दीक्षांत समारोह में कुल 1615 विद्यार्थियों को उपाधि और 159 मेधावी विद्यार्थियों को पदकों से अलंकृत किया गया. जिसमें 59 गोल्ड, 50 सिल्वर और 50 ब्रॉन्ज मेडल प्रदान किया गया. इसमें से 101 मेडल छात्राओं को और 58 मेडल छात्रों को दिए गए. इसके अलावा समारोह में 36 रिसर्च स्कॉलर्स को पीएचडी की उपाधि दिया गया. इस बार एमटेक कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग के छात्र चिन्मय शुक्ला को सभी संकायों में सर्वाधिक अंकों के लिए कुलाध्यक्ष गोल्ड मेडल दिया गया. साथ ही मुख्यमंत्री और कुलपति गोल्ड मेडल तन्मय को दिया गया है. वहीं, एमएससी सांख्यिकी की छात्रा आकांक्षा मिश्रा को कुलाध्यक्ष सिल्वर मेडल के साथ मुख्यमंत्री व कुलपति गोल्ड मेडल दिया गया है. इसके अलावा बीटेक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र शिवांश कुमार चौबे को कुलाध्यक्ष सिल्वर मेडल के साथ-साथ मुख्यमंत्री ब्रॉन्ज मेडल व कुलपति गोल्ड मेडल दिया गया.

यह भी पढ़ें : लोहिया संस्थान का स्थापना दिवस; सीएम योगी बोले- बेवजह दवाओं को लेना और देना दोनों गलत - Foundation day of Lohia Institute

लखनऊ: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि आज हमारे बीच में एक ऐसी शख्सियत हैं, जिनके जीवन एवं कार्य को देखते हुए मुझे कुछ भी बोलने की आवश्यकता नहीं है. यह स्वयं ही आपके समक्ष उत्तम उदाहरण हैं कि एक दिव्यांग कैसे पदमश्री तक पहुंच सकता है. दिव्यांगजनों के रोल मॉडल के रूप में भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से पुरस्कृत भारत के पहले पैरा-ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता मुरलीकांत राजाराम पेटकर हैं. हाल ही में उनके ऊपर बनी फिल्म चंदू चैंपियन ने उनके जीवन के वृत्तांत को सुनहरे परदे पर उतारा है. उनका जीवन संघर्ष हमारे दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत है. राज्यपाल डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय का 11वें दीक्षांत समारोह में बोल रही थीं.

राज्यपाल ने कहा कि दिव्यांगजन के भीतर प्रकृति प्रदत्त एक विशिष्ट प्रतिभा और रचनात्मकता होती है. भारत के सांस्कृतिक इतिहास में महान ऋषि अष्टावक्र की परिकल्पना और सूरसागर के सैकड़ों पद आज भी हमारे एकांत मन में छदबद्ध जीवन की लयात्मक संगीत बनकर अनवरत बजते रहते हैं. राज्यपाल ने कहा कि विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण माध्यम शिक्षक ही है. अध्यापन व अनुसंधान के क्षेत्र में महान तथा उल्लेखनीय योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध उत्कृष्ट शिक्षक से ही विश्व स्तरीय विश्वविद्यालय की स्थापना संभव है. विश्वविद्यालयों से अपेक्षा की जाती है कि वे ज्ञान-सृजन के केन्द्र बनें. ज्ञान-सृजन के लिए आवश्यक है कि विश्वविद्यालय में अध्ययनशील, विचारशील, अन्वेषी लेखक, विद्वान शिक्षक पूर्ण समर्पण से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें.

मुरलीकांत बोले- चुनौतियां बाधाएं नहीं, बल्कि अवसर : दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि प्रथम पैरा-ओलम्पिक स्वर्ण पदक विजेता पद्मश्री मुरलीकांत राजाराम पेटकर ने अपने उद्बोधन में कहा कि मुझे आज इस दीक्षांत समारोह में आकर गौरव का अनुभव हो रहा है. शिक्षा का महत्व न केवल व्यक्ति के जीवन में, बल्कि समाज और राष्ट्र के उत्थान में भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है. यह एक ऐसा साधन है जो हमें न केवल जीविका कमाने में सक्षम बनाता है, बल्कि बेहतर इंसान बनने और एक बेहतर समाज का निर्माण करने की दिशा में भी प्रेरित करता है. कहा कि हमारे देश का इतिहास यह बताता है कि हम हमेशा बालक की आवश्यकता एवं उसकी क्षमता के अनुरूप शिक्षा प्रदान करने के लिए सबसे आगे रहें हैं. दिव्यांग विद्यार्थियों को एक साथ शिक्षा प्रदान किए जाने का इतना अच्छा उदाहरण मैं पहली बार यहां आकर देख रहा हूं. कहा कि पैरा-ओलंपिक खेलों में सबसे पहला स्वर्ण पदक प्राप्त करने की मेरी कहानी चुनौतियों को पार करने और सीमाओं को तोड़ने की है. मैंने सीखा है कि चुनौतियां बाधाएं नहीं बल्कि अवसर हैं.

दिव्यांगजनों के लिए सरकार कई अहम योजनाए चला रही: नरेंद्र कश्यप

समारोह के विशिष्ट अतिथि राज्य मंत्री, स्वतन्त्र प्रभार, पिछड़ा वर्ग कल्याण एव दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग नरेन्द्र कश्यप ने कहा कि भारतीय समाज के हाशिये पर पड़े हुए दिव्यांगजनों को समाज की मुख्यधारा में सम्मान के साथ स्थान दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकलांग शब्द के स्थान पर दिव्यांग शब्द को प्रचलन में लाकर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. प्रधानमंत्री मोदी ने 2016 में दिव्यांग अधिकार अधिनियम देश में लागू किया था. उसी कड़ी में राज्य सरकार के द्वारा भी इस अधिनियम को पूर्ण रूप से अंगीकार किया गया. कहा कि राहें कठिन अवश्य होती हैं लेकिन मुश्किल नहीं. मुख्यमंत्री के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने दिव्यागजनों के कल्याण और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कई अहम कदम उठाए हैं. हमारी सरकार ने आत्मनिर्भरता की दिशा में सबसे बड़ा कदम है रोजगार और हमारी सरकार ने इसे सुनिश्चित करने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं. दिव्यांगजनों के लिए स्वरोजगार योजना के तहत उन्हें कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाता है.

159 में से 101 मेडल छात्राओं के हिस्से : डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय का 11 दीक्षांत समारोह में कुल 1615 विद्यार्थियों को उपाधि और 159 मेधावी विद्यार्थियों को पदकों से अलंकृत किया गया. जिसमें 59 गोल्ड, 50 सिल्वर और 50 ब्रॉन्ज मेडल प्रदान किया गया. इसमें से 101 मेडल छात्राओं को और 58 मेडल छात्रों को दिए गए. इसके अलावा समारोह में 36 रिसर्च स्कॉलर्स को पीएचडी की उपाधि दिया गया. इस बार एमटेक कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग के छात्र चिन्मय शुक्ला को सभी संकायों में सर्वाधिक अंकों के लिए कुलाध्यक्ष गोल्ड मेडल दिया गया. साथ ही मुख्यमंत्री और कुलपति गोल्ड मेडल तन्मय को दिया गया है. वहीं, एमएससी सांख्यिकी की छात्रा आकांक्षा मिश्रा को कुलाध्यक्ष सिल्वर मेडल के साथ मुख्यमंत्री व कुलपति गोल्ड मेडल दिया गया है. इसके अलावा बीटेक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र शिवांश कुमार चौबे को कुलाध्यक्ष सिल्वर मेडल के साथ-साथ मुख्यमंत्री ब्रॉन्ज मेडल व कुलपति गोल्ड मेडल दिया गया.

यह भी पढ़ें : लोहिया संस्थान का स्थापना दिवस; सीएम योगी बोले- बेवजह दवाओं को लेना और देना दोनों गलत - Foundation day of Lohia Institute

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.