देहरादून: धामी सरकार ने राज्य के 212 क्षेत्रों की सालों साल पुरानी मांगों को पूरा करने का मन बना लिया है. यह वह क्षेत्र है जहां क्षेत्रवासी पिछले कई सालों से अपनी मूलभूत सुविधाओं को विकसित करने की मांग कर रहे हैं. लेकिन किन्हीं कारणों से इन पर फैसला नहीं हो पाया है. ऐसे में अब चुनाव के दौरान इन क्षेत्रों से विरोध की आवाज उठने के बाद सरकार ने न केवल चुनाव बहिष्कार करने वाले क्षेत्र की सुध ली है, बल्कि जिन क्षेत्रों में प्रशासन के आश्वासन के बाद चुनावी प्रक्रिया में लोगों ने हिस्सा लिया, ऐसे क्षेत्रों को भी सरकार ने अपनी प्राथमिकता में ले लिया है.
उत्तराखंड में चुनाव का बहिष्कार करने वाले क्षेत्रों की ही नहीं बल्कि सरकार ऐसे गांव और इलाकों की भी सुध लेने जा रही है. जिन्होंने प्रशासन के आश्वासन के बाद चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लेने का फैसला लिया. दरअसल प्रदेश में करीब 25 गांव में चुनाव का बहिष्कार किया था और यह खबर सामने आने के बाद सरकार ने ऐसे क्षेत्र की समस्याओं को प्राथमिकता से सुनने और उसे पर काम करने का फैसला लिया था. इसके लिए बाकायदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को निर्देश भी दिए और प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री आर के सुधांशु को इसकी जिम्मेदारी भी सौंपी.
लेकिन अब केवल इन 25 गांव को ही नहीं बल्कि राज्य के 212 ऐसे क्षेत्रों के निवासियों को भी सरकार प्रमुखता से सुनने वाली है, जिन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान अपनी सालों साल पुरानी मांगों के पूरा न होने के कारण चुनाव बहिष्कार का फैसला लिया और बाद में प्रशासन के आश्वासन के बाद अपने निर्णय को वापस भी ले लिया. दरअसल इस मामले में विचार करने के दौरान अधिकारियों ने न केवल चुनाव बहिष्कार करने वाले गांव बल्कि बाकी क्षेत्रों की भी समस्या सुनने का निर्णय लिया है. इसके लिए राज्य भर के जिलाधिकारी से शासन ने रिपोर्ट भी मांग ली है.
जिसमें इन क्षेत्रों या गांव में समस्याओं से जुड़ी पूरी रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है. उधर दूसरी तरफ अब तक जो समस्याएं सामने आई है उससे जुड़े विभाग के अधिकारियों को भी दिशा निर्देश देने की तैयारी हो रही है. जानकारी के अनुसार लोगों की मांगों का परीक्षण किए जाने के बाद जल्द ही इस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी बैठक ले सकते हैं.मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के 212 क्षेत्र में लोगों की नाराजगी को लेकर मूलभूत सुविधाओं से जुड़े कई विषय है लेकिन इनमें 95% समस्या सड़क से जुड़ी है. उधर इसके अलावा शिक्षा और पेयजल से लेकर स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी समस्या भी इसमें शामिल है.
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