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मछुआरों के लिए बड़ा फैसला, मछुआ समितियों को ही होगा सरकारी तालाबों का आवंटन - FISHERMEN COMMITTEES

सरकार ने पंंचायतों में मछुआ सहकारी समितियों को ही सरकारी तालाबों को आबंटित करने का फैसला लिया है.

Fish Farming Business
मछुआ सहकारी समितियों को सौगात (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 25, 2024, 7:14 PM IST

कोरबा : मछली पालन व्यवसाय में स्थानीय मछुआरों की सहभागिता को बढ़ाने सरकार ने अब मछुआ संगठन को ही सरकारी तालाब देने का निर्णय लिया है. मछली पालन के लिए ग्राम पंचायतों के सरकारी तालाबों को अब मछुआ संगठनों को ही दिया जाएगा. इसके पहले पंचायत की ओर से किसी व्यक्ति विशेष को भी तालाब को लीज पर दे दिया जाता था.

मछुआ संगठन को सरकार की सौगात : सरकार से मिली गाइडलाइन के मुताबिक, पंजीकृत मछुआ संगठन को सरकारी तालाब 10 साल के लिए पट्ट पर दिया जाएगा. ताकि लंबे समय तक वे मछली पालन से जुड़ का व्यवसाय को विस्तार रूप दे सके. मछुआ सहकारी समितियों को प्रशिक्षण के साथ ही जाल और आइस बाक्स भी प्रदान किया जाएगा. मछुआरों को प्रशिक्षित कर इस योग्य बनाया जाएगा, ताकि वह सरकारी तालाबों में मछली पालन कर आर्थिक रूप से सुदृढ़ बन सकें.

मछुआ समितियों को सरकार की सौगात (ETV Bharat)

मछली पालन के लिए मछुवा संगठन को शासन के मछुआरा नीति के तहत 10 साल के पट्टे में तालाब दिए जाने का नियम है. संगठित मछुआरों को विभाग की ओर से कई तरह की योजनाओं का लाभ दिया जाता है. व्यक्तिगत तौर पर भी कोई व्यक्ति यदि अपनी निजी जमीन पर मछली पालन करना चाहता है, तब उसके लिए भी विभाग के पास कई योजनाएं हैं : क्रांति कुमार बघेल, सहायक संचालक, मत्स्य विभाग

जिले के 412 पंचायत में इतने तालाब : जिले के 412 ग्राम पंचायतों में 1500 से भी अधिक सरकारी तालाब हैं, जिनमें 20 प्रतिशित तालाब निस्तारी के काम में आता है. शेष अन्य तालाब अनुपायेगी ही हैं. इन तालाबों को मछुआ संगठन के लिए उपयोगी बनाने और मछली पालन को बढ़ावा देने मत्स्य विभाग ने अनेक योजनाएं चला रखी हैं.

सरकारी तालाब ग्राम पंचायत के अधीन आते हैं. इस वजह से पहले पंचायत की ओर से किसी को भी व्यक्तिगत तौर पर तालाब को मछली पालन के लिए दे दिया जाता था. इससे न तो तालाब का संरक्षण होता था और ना ही मछली पालन को सही दिशा मिल रही थी.

नि:शुल्क बीमा का भी है प्रावधान : मछली पालन से जुड़े पंजीकृत संगठन के सभी व्यक्ति का पांच लाख रुपये नि:शुल्क बीमा का भी प्रवधान है. इसमें मछली पालक की असमय मृत्यु हो जाने पर बीमा की निर्धारित राशि मिलेगी. स्थाई दिव्यांगता की स्थिति में ढाई लाख रुपये मिलेगा. इसी तरह बीमार पड़ने और अस्पताल दाखिल होने की स्थिति में मरीज को 25 हजार रूपये तक इलाज सुविधा का प्रावधान है. जानकारी के अभाव में सुविधाओं का लाभ मत्स्य पालक नहीं ले पाते.

जिले में 8000 से ज्यादा मछली पालक : मत्स्य विभाग में 123 मछुआ समिति पंजीकृत हैं. लेकिन कोरवा, बिरहोर व पंडो जनजाति से जुड़े एक भी समूह शामिल नहीं हैं. मत्स्य विभाग के अधीन पंजीकृत जिले में लगभग 8000 मछुआरे हैं, जो मछली पालन से अपनी आजीविका चलाते हैं. मछली विभाग द्वारा मछली पालन के लिए उन्हें मछली बीज भी प्रदान किया जाता है.

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मछुआ संगठन को सरकार की सौगात : सरकार से मिली गाइडलाइन के मुताबिक, पंजीकृत मछुआ संगठन को सरकारी तालाब 10 साल के लिए पट्ट पर दिया जाएगा. ताकि लंबे समय तक वे मछली पालन से जुड़ का व्यवसाय को विस्तार रूप दे सके. मछुआ सहकारी समितियों को प्रशिक्षण के साथ ही जाल और आइस बाक्स भी प्रदान किया जाएगा. मछुआरों को प्रशिक्षित कर इस योग्य बनाया जाएगा, ताकि वह सरकारी तालाबों में मछली पालन कर आर्थिक रूप से सुदृढ़ बन सकें.

मछुआ समितियों को सरकार की सौगात (ETV Bharat)

मछली पालन के लिए मछुवा संगठन को शासन के मछुआरा नीति के तहत 10 साल के पट्टे में तालाब दिए जाने का नियम है. संगठित मछुआरों को विभाग की ओर से कई तरह की योजनाओं का लाभ दिया जाता है. व्यक्तिगत तौर पर भी कोई व्यक्ति यदि अपनी निजी जमीन पर मछली पालन करना चाहता है, तब उसके लिए भी विभाग के पास कई योजनाएं हैं : क्रांति कुमार बघेल, सहायक संचालक, मत्स्य विभाग

जिले के 412 पंचायत में इतने तालाब : जिले के 412 ग्राम पंचायतों में 1500 से भी अधिक सरकारी तालाब हैं, जिनमें 20 प्रतिशित तालाब निस्तारी के काम में आता है. शेष अन्य तालाब अनुपायेगी ही हैं. इन तालाबों को मछुआ संगठन के लिए उपयोगी बनाने और मछली पालन को बढ़ावा देने मत्स्य विभाग ने अनेक योजनाएं चला रखी हैं.

सरकारी तालाब ग्राम पंचायत के अधीन आते हैं. इस वजह से पहले पंचायत की ओर से किसी को भी व्यक्तिगत तौर पर तालाब को मछली पालन के लिए दे दिया जाता था. इससे न तो तालाब का संरक्षण होता था और ना ही मछली पालन को सही दिशा मिल रही थी.

नि:शुल्क बीमा का भी है प्रावधान : मछली पालन से जुड़े पंजीकृत संगठन के सभी व्यक्ति का पांच लाख रुपये नि:शुल्क बीमा का भी प्रवधान है. इसमें मछली पालक की असमय मृत्यु हो जाने पर बीमा की निर्धारित राशि मिलेगी. स्थाई दिव्यांगता की स्थिति में ढाई लाख रुपये मिलेगा. इसी तरह बीमार पड़ने और अस्पताल दाखिल होने की स्थिति में मरीज को 25 हजार रूपये तक इलाज सुविधा का प्रावधान है. जानकारी के अभाव में सुविधाओं का लाभ मत्स्य पालक नहीं ले पाते.

जिले में 8000 से ज्यादा मछली पालक : मत्स्य विभाग में 123 मछुआ समिति पंजीकृत हैं. लेकिन कोरवा, बिरहोर व पंडो जनजाति से जुड़े एक भी समूह शामिल नहीं हैं. मत्स्य विभाग के अधीन पंजीकृत जिले में लगभग 8000 मछुआरे हैं, जो मछली पालन से अपनी आजीविका चलाते हैं. मछली विभाग द्वारा मछली पालन के लिए उन्हें मछली बीज भी प्रदान किया जाता है.

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