रांची: केंद्र सरकार की तर्ज पर राज्य के सरकारी कर्मियों के अधिकतम दो संतान को चिल्ड्रन एजुकेशन अलाउंस का लाभ नहीं मिल रहा है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक भूषण तिर्की ने प्रश्नकाल के दौरान इस सवाल को उठाया. जवाब में प्रभारी मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि राज्य सरकार के कर्मियों के बच्चों के लिए फिलहाल चिल्ड्रन एजुकेशन अलाउंस अनुमान्य करना राज्य सरकार का नीतिगत फैसला है. इसके वित्तीय पहलू और अन्य राज्यों में प्रभावी नियमों का अध्ययन किया जा रहा है.
सरकार की ओर से कहा गया कि बिहार, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान सरकार ने अपने कर्मियों के लिए यह सुविधा नहीं दी है. हालांकि, उत्तर प्रदेश, केरल, नागालैंड जैसे राज्यों ने अलग-अलग स्वरूप में यह सुविधा दे रखी है. संबंधित राज्यों से रिपोर्ट आने के बाद राज्य सरकार अलाउंस देने पर विचार कर सकती है.
इस पर विधायक भूषण तिर्की ने कहा कि कई राज्यों में कर्मचारियों के संतानों को यह सुविधा मिल रही है तो उस आधार पर व्यवस्था क्यों नहीं लागू की जा रही है. वैसे राज्य सरकार ने भी माना है कि तमिलनाडु में सरकारी सेवकों को केंद्र सरकार के अनुरूप चिल्ड्रन एजुकेशन अलाउंस मिलता है. सरकार ने मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा, असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम और मेघालय राज्य के वित्त विभाग से संबंधित नियम/आदेश की कॉपी मुहैया कराने के लिए 2 अप्रैल 2024 को पत्राचार किया गया था. फिर से वित्त विभाग ने 10 जून को संबंधित राज्यों को पत्र भेजा गया है.
आपको बता दें कि छठे केंद्रीय वेतन आयोग की अनुशंसा के आलोक में वर्ष 2008 में केंद्रीय कर्मियों के दो संतान को प्रति संतान 1000 रु. दिया जाता था. 2014 में इसे बढ़ाकर 1500 रु. किया गया. 7वें केंद्रीय वेतन आयोग की अनुशंसा के बाद साल 2017 में यह राशि बढ़कर 2250 रु. हो गई. अब सवाल है कि अभी तो राज्य सरकार दूसरे राज्यों के नियम के अध्ययन की ही बात कर रही है. अभी तक दूसरे राज्यों से रिपोर्ट भी नहीं आया है. लिहाजा, इस सुविधा के लिए राज्य कर्मियों को अभी और इंतजार करना पड़ेगा.
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