गोरखपुर : गोरखपुर के दक्षिणांचल में आयोजित सरयू अमृत महोत्सव के अंतिम दिन रविवार को सरयू तट के मुक्तिपथ पर 21 हजार दीपों से सरयू की आरती हुई. गोविंद वर्मा की टीम ने सरयू आरती व महाकाल की आरती का भव्य मंचन कर सबको भाव विभोर कर दिया. इस दौरान पूरा मुक्तिपथ श्मशान स्थल और सरयू घाट रोशनी से जगमग हो उठा. इसके बाद विभिन्न सांस्कृतिक कार्यकमों की प्रस्तुति हुई. इसके पहले दोपहर में सरयू की धारा में नौका दौड़ का भी आयोजन किया गया. इसके बाद अध्यात्म, चिकित्सा, पत्रकारिता, समाजसेवा, कृषि, शिक्षा सहित कुल 13 क्षेत्रों में 26 लोगों को सरयू रत्न तथा महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में कार्य करने वाली दो महिलाओं को अपराजिता सम्मान दिया गया.
सरयू अमृत महोत्सव में देर शाम तक उड़ीसा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि प्रदेशों से आई कलाकारों की टीम ने विभिन्न रंगारंग प्रस्तुति देकर दर्शकों की वाहवाही लूटी. इस दौरान रंगमहल अयोध्या के पीठाधीश्वर रामशरण दास महाराज की भी मौजूदगी रही. सरयू महोत्सव के मंच से सरयू अमृत स्मारिका का विमोचन अयोध्या रंगमहल पीठाधीश्वर रामशरण दास महाराज, अंतरराष्ट्रीय कथावाचक रमेश भाई शुक्ल, विधायक राजेश त्रिपाठी आदि के हाथों किया गया. समापन अवसर पर प्रदेश सरकार के आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र 'दयालु' ने कहा कि यह महोत्सव केवल उत्सव नहीं, बल्कि प्रेरणा का श्रोत है. प्रत्येक उत्सव के पीछे कोई न कोई उद्देश्य होता है और हम सभी को उससे प्रेरणा लेना चाहिए. सरयू महोत्सव सरयू नदी के संरक्षण संवर्धन के साथ ही लोक कला, संस्कृति व विभूतियों के सम्मान का उत्सव है.
कवियों और कवयित्रियों ने बटोरीं श्रोताओं की तालियां: सरयू तट पर निर्मित दुनिया के अनूठे श्मशान मुक्ति पथ पर चल रहे सरयू अमृत महोत्सव में नामचीन शायर स्व.रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी की स्मृति में देश के नामचीन कवियों की उपस्थिति में भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ. मंच पर देर रात तक प्रेम, ओज, शृंगार, वीर रस की स्वर लहरियों में श्रोता गोता लगाते रहे तो बीच बीच में संचालक के चुटीले चुटकुलों भरी पंक्तियों ने हास्य का खूब शमा बांधा. श्रोता तालियां बजाने को विवश हो जाते थे. कवि सम्मेलन के संयोजक स्थानीय युवा कवि निर्भय निनाद द्वारा किया गया तो संचालन बाराबंकी से आए कवि विकास बौखल ने किया.
कवि विकास बौखल की कविता "अपने दामन को भिगोती चली जाती है, ये जिंदगी है, रोती है तो रोती चली जाती है... खूब सराही गई. झंडी हरी वो दिखाने लगी है, मुहब्बत मेरी रंग लाने लगी है, नंबर दिया जिस हसीना को था, उसके अम्मा की मिसकॉल आने लगी है... पर श्रोताओं ने खूब तालियां बजाईं. युवा कवि डाॅ. निर्भय निनाद की कविता "तरीके तौर जीवन के बुजुर्गों से करो हासिल, तजुर्बे ज़िंदगी जीने के गूगल पर नहीं मिलते...श्रोताओं की खूब वाहवाही मिली. गोरखपुर की मशहूर कवियित्री डाॅ. चेतना पाण्डेय की सरस्वती वंदना के साथ अयोध्या प्रभु श्री राम पर गाई कविता "तमाम खौफ निशानी में आकर बैठ गए, हमारे राम कहानी में आकर बैठ गए, लोगों में भक्ति रस का संचार करने में सफल रही.
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे नेताजी लपेटे फेम इटावा के कवि गौरव चौहान ने "मेरो बाबा बहुत निरालो, चढ़के बुलडोजर पर आओ... सुनाया तो श्रोता उत्साह से भर गए. इसके बाद गौरव चौहान ने "जगत कल्याण के पथ पर सदा कल्याण वाले हैं, हमको गर्व है हम सब सनातन धर्म वाले हैं." अगर फैशन हुआ हाबी तो लज्जा हाथ में रखो, सदा मजबूत खुद को आज हाथ में रखो, दुपट्टा छोड़ रखे हो तो कट्टा हाथ में रखो" समेत कई कविताएं सुनाईं.
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