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चंद्रग्रहण आज ; जानें भारत में इसका कितना और कैसा होगा असर, शाम को आसमान में दिखेगा ऐसा नजारा - Chandra Grahan 2024 - CHANDRA GRAHAN 2024

18 सितंबर (बुधवार) को होने वाले चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2024) को लेकर सबके मन में उत्सुकता है कि यह कब और कैसा दिखेगा. भारत में इसका क्या असर होगा. गोरखपुर के वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला के खगोल विद अमरपाल ने इस संबंध में विस्तृत जानकारी साझा की है. पढ़ें पूरी खबर..

Chandra Grahan 2024 ; शाम को भारत में दिखेगा ऐसा नजारा.
Chandra Grahan 2024 ; शाम को भारत में दिखेगा ऐसा नजारा. (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 18, 2024, 8:56 AM IST

गोरखपुर : साल 2024 का दूसरा चंद्र ग्रहण 18 सितंबर को लगने जा रहा है. वैज्ञानिकों के अनुसार एक उपछाया चंद्रग्रहण होगा. इस खगोलीय घटना का भारत सहित दुनिया भर के वैज्ञानिक व इसमें रुचि रखने वाले बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. भारत में आम लोग इस चंद्र ग्रहण को नहीं देख पायेंगे. इसके पीछे मुख्य कारण ग्रहण के समय सूर्य की तेज रोशनी का होना. ग्रहण को यूरोप, उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका के हिस्से में देखा जा सकता है. हालांकि भारत में शाम को पूर्वी आकाश में एक अद्भुत नजारा जरूर दिखेगा.

गोरखपुर के वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला के खगोल विद अमरपाल के अनुसार वैसे तो विज्ञान और अंतरिक्ष में घटित होने वाली खगोलीय घटनाएं हर किसी को रोमांचकारी अनुभव का एहसास भी कराती हैं. अगर 18 सितंबर हो होने वाले उपच्छया चंद्र ग्रहण की बात करें तो 18 सितंबर की रात में होने वाले चंद ग्रहण को (सुपर फुल मून) कहा जाएगा. यह सब खगोलीय घटनाओं का ही परिणाम है. 18 सितंबर को होने वाला उपछाया चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. क्योंकि इस समय भारत में सुबह का समय हो रहा होगा. इस कारण से इसे देख पाना मुश्किल होगा. जबकि इस ग्रहण का प्रारम्भ समय भारतीय समयानुसार सुबह प्रातः 6 बजकर 11 मिनट से आंशिक ग्रहण की समाप्ति 10 बजकर 17 मिनट पर होगा. जिस समय सूर्य के कारण दिन का समय हो चुका होगा. जिससे इसे देख पाना मुश्किल होगा.




खगोलविद अमर पाल ने बताया कि जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आ जाती है तब चंद्र ग्रहण की घटना होती है. जिस वजह से चंद्रमा की सतह पर पृथ्वी की जैसी छाया पड़ती है. वैसी ही स्थिति के कारण ग्रहण लगते हैं जैसे कि पूर्ण, आंशिक, एवम उपछाया चंद्र ग्रहण.



प्रत्येक पूर्णिमा को क्यों नहीं लगता चंद्र ग्रहण : चंद्रमा का कक्षा तल पृथ्वी के कक्षा तल से 5 डिग्री का कोण बनाता है. जिस कारण तीनों पिण्ड (सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा) एक सीधे रेखा में नहीं आ पाते हैं. यह कभी कभार कक्षा तल में उपर नीचे से गुजर जाते हैं. जिस कारण प्रत्येक पूर्णिमा को ग्रहण नहीं लगता है. जब भी यह तीनों पिण्ड एक सटीक सीधे रेखा में आते हैं तब- तब ग्रहण की स्तिथि बनती है. इस स्थिति को खगोल विज्ञान की भाषा में ग्रहण कहा जाता है.



18 सितंबर को होने वाला चंद्र ग्रहण कहां से दिखाई देगा : 18 सितंबर को होने बाला चंद्र ग्रहण यूरोप, अफ्रीका, अमेरिका आदि देशों में दिखाई देगा. यह भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन निराश न हों. शाम को पूर्वी आकाश में चन्द्रमा उदित होगा तब भारत में एक खूबसूरत नजारा दिखाई देगा. जिसे सुपर मून या फूल मून कहा जाएगा. इस दौरान पृथ्वी से चन्द्रमा की दूरी 3 लाख 57 हजार 286 किलोमीटर होगी जो कि अपने कक्षा तल में नजदीकी बिंदु पर होगा. जिसे खगोल विज्ञान की भाषा में पेरिगी कहा जाता है. चन्द्रमा की कक्षा पृथ्वी के चारों ओर अंडाकार है. जिस कारण चन्द्रमा कभी दूर और कभी पास से गुजरता है. खगोल विज्ञान की भाषा में पास वाले बिंदु को पेरिगी और दूर वाले विंदू को एपोगी कहा जाता है. जिस कारण यदि चांद पृथ्वी से अपने पास वाले बिंदु पर होता है तब यह अन्य पूर्ण चंद्र के मुकाबले 14 प्रतिशत ज्यादा बड़ा और 30 प्रतिशत ज्यादा चकमदार नजर आता है.



खगोलविद अमर पाल के अनुसार सुपर मून शब्द सबसे पहले वैज्ञानिक रिचर्ड नोल्ले ने दिया था. इस सुपर मून को अन्य कई नामों से भी जाना जाता है. जैसे सुपर फुल मून या सुपर मून या कार्न मून या हार्वेस्ट मून आदि. जिसे सम्पूर्ण भारत में देखा जा सकेगा. जिसे बिना किसी खास दूरबीन या अन्य सहायक उपकरणों की सहायता से ही आप अपनी साधारण आंखों से ही अपने घर से ही देख सकते हैं. जिसकी खूबसूरती देखते ही बनती है.

यह भी पढ़ें : लग रहा है चंद्रग्रहण, लेकिन नहीं देख पाएंगे आप, जानें वजह - Chandra Grahan 2024

यह भी पढ़ें : WATCH : इस समय होलिका दहन करना होगा शुभ, जानिए कब होगा चंद्र ग्रहण - holi chandra grahan

गोरखपुर : साल 2024 का दूसरा चंद्र ग्रहण 18 सितंबर को लगने जा रहा है. वैज्ञानिकों के अनुसार एक उपछाया चंद्रग्रहण होगा. इस खगोलीय घटना का भारत सहित दुनिया भर के वैज्ञानिक व इसमें रुचि रखने वाले बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. भारत में आम लोग इस चंद्र ग्रहण को नहीं देख पायेंगे. इसके पीछे मुख्य कारण ग्रहण के समय सूर्य की तेज रोशनी का होना. ग्रहण को यूरोप, उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका के हिस्से में देखा जा सकता है. हालांकि भारत में शाम को पूर्वी आकाश में एक अद्भुत नजारा जरूर दिखेगा.

गोरखपुर के वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला के खगोल विद अमरपाल के अनुसार वैसे तो विज्ञान और अंतरिक्ष में घटित होने वाली खगोलीय घटनाएं हर किसी को रोमांचकारी अनुभव का एहसास भी कराती हैं. अगर 18 सितंबर हो होने वाले उपच्छया चंद्र ग्रहण की बात करें तो 18 सितंबर की रात में होने वाले चंद ग्रहण को (सुपर फुल मून) कहा जाएगा. यह सब खगोलीय घटनाओं का ही परिणाम है. 18 सितंबर को होने वाला उपछाया चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. क्योंकि इस समय भारत में सुबह का समय हो रहा होगा. इस कारण से इसे देख पाना मुश्किल होगा. जबकि इस ग्रहण का प्रारम्भ समय भारतीय समयानुसार सुबह प्रातः 6 बजकर 11 मिनट से आंशिक ग्रहण की समाप्ति 10 बजकर 17 मिनट पर होगा. जिस समय सूर्य के कारण दिन का समय हो चुका होगा. जिससे इसे देख पाना मुश्किल होगा.




खगोलविद अमर पाल ने बताया कि जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आ जाती है तब चंद्र ग्रहण की घटना होती है. जिस वजह से चंद्रमा की सतह पर पृथ्वी की जैसी छाया पड़ती है. वैसी ही स्थिति के कारण ग्रहण लगते हैं जैसे कि पूर्ण, आंशिक, एवम उपछाया चंद्र ग्रहण.



प्रत्येक पूर्णिमा को क्यों नहीं लगता चंद्र ग्रहण : चंद्रमा का कक्षा तल पृथ्वी के कक्षा तल से 5 डिग्री का कोण बनाता है. जिस कारण तीनों पिण्ड (सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा) एक सीधे रेखा में नहीं आ पाते हैं. यह कभी कभार कक्षा तल में उपर नीचे से गुजर जाते हैं. जिस कारण प्रत्येक पूर्णिमा को ग्रहण नहीं लगता है. जब भी यह तीनों पिण्ड एक सटीक सीधे रेखा में आते हैं तब- तब ग्रहण की स्तिथि बनती है. इस स्थिति को खगोल विज्ञान की भाषा में ग्रहण कहा जाता है.



18 सितंबर को होने वाला चंद्र ग्रहण कहां से दिखाई देगा : 18 सितंबर को होने बाला चंद्र ग्रहण यूरोप, अफ्रीका, अमेरिका आदि देशों में दिखाई देगा. यह भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन निराश न हों. शाम को पूर्वी आकाश में चन्द्रमा उदित होगा तब भारत में एक खूबसूरत नजारा दिखाई देगा. जिसे सुपर मून या फूल मून कहा जाएगा. इस दौरान पृथ्वी से चन्द्रमा की दूरी 3 लाख 57 हजार 286 किलोमीटर होगी जो कि अपने कक्षा तल में नजदीकी बिंदु पर होगा. जिसे खगोल विज्ञान की भाषा में पेरिगी कहा जाता है. चन्द्रमा की कक्षा पृथ्वी के चारों ओर अंडाकार है. जिस कारण चन्द्रमा कभी दूर और कभी पास से गुजरता है. खगोल विज्ञान की भाषा में पास वाले बिंदु को पेरिगी और दूर वाले विंदू को एपोगी कहा जाता है. जिस कारण यदि चांद पृथ्वी से अपने पास वाले बिंदु पर होता है तब यह अन्य पूर्ण चंद्र के मुकाबले 14 प्रतिशत ज्यादा बड़ा और 30 प्रतिशत ज्यादा चकमदार नजर आता है.



खगोलविद अमर पाल के अनुसार सुपर मून शब्द सबसे पहले वैज्ञानिक रिचर्ड नोल्ले ने दिया था. इस सुपर मून को अन्य कई नामों से भी जाना जाता है. जैसे सुपर फुल मून या सुपर मून या कार्न मून या हार्वेस्ट मून आदि. जिसे सम्पूर्ण भारत में देखा जा सकेगा. जिसे बिना किसी खास दूरबीन या अन्य सहायक उपकरणों की सहायता से ही आप अपनी साधारण आंखों से ही अपने घर से ही देख सकते हैं. जिसकी खूबसूरती देखते ही बनती है.

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