नालंदा : 'साहस ही हमारी पहचान बनाती है' इस कहावत को सच कर दिखाया है पटना की गोल्डी कुमारी ने. उन्होंने थाईलैंड में आयोजित विश्व एबिलिटी स्पोर्ट्स युवा खेलों में एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीता, और अपनी मेहनत तथा साहस से न केवल अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनाई, बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनीं.
गोल्डी को मिलेगा प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार : इस शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें 26 दिसंबर को दिल्ली में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. यह पुरस्कार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों एक भव्य समारोह में दिया जाएगा.
कठिन परिस्थितियों में संघर्ष की मिसाल : पटना-नालंदा जिले के बख्तियारपुर थाना के मिसी गांव निवासी संतोष कुमार यादव की 16 वर्षीय बेटी गोल्डी कुमारी ने 13वीं राष्ट्रीय जूनियर और सब जूनियर पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में एक स्वर्ण और दो रजत पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया. गोल्डी ने डिस्कस थ्रो में स्वर्ण और जेवलिन थ्रो में कांस्य पदक हासिल किया. लेकिन गोल्डी का यह सफर आसान नहीं था.
दर्दनाक हादसे के बाद संघर्ष की कहानी : गोल्डी के चाचा विनय कुमार ने बताया कि ''गोल्डी जब केवल 10 महीने की थीं, तो एक दिल दहला देने वाली घटना में उनकी मां विभा देवी की ट्रेन हादसे में मौत हो गई और उसी हादसे में गोल्डी का एक हाथ कट गया. इस हादसे के बावजूद गोल्डी ने हार नहीं मानी और अपने नाना-नानी तथा दादा-दादी के घर पर पली-बढ़ी. दोनों परिवारों ने गोल्डी को कभी अपनी दिव्यांगता का अहसास नहीं होने दिया और न ही मां की कमी महसूस होने दी.''
शिक्षा और खेल में रुचि : इसके बाद, गोल्डी ने नालंदा जिले के हरनौत स्थित एक निजी स्कूल में पढ़ाई शुरू की और वहां होने वाली वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिताओं में सामान्य श्रेणी में भाग लिया. वहीं से उनका खेलों में रुचि बढ़ी और धीरे-धीरे उन्होंने जिला, राज्य, राष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बनाई. आज, वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी सफलता का परचम लहरा चुकी हैं.
''शुरू से ही गोली एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी थीं और उनके परिवार के आशीर्वाद से गोल्डी को खेलों में आगे बढ़ने का अवसर मिला. वर्तमान में गोल्डी को सरकार की ओर से मिलने वाले सहयोग के कारण वह कोलकाता स्थित स्पोर्ट्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) में प्रशिक्षण ले रही हैं.''- कुंदन कुमार, गोल्डी के कोच
आगे का लक्ष्य: पारा ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व : गोल्डी का सपना है कि वह पारा ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करें और पदक जीतकर अपने परिवार, गांव और समाज का नाम रोशन करें. गोल्डी की इस उपलब्धि से न केवल उनका परिवार, बल्कि पूरा नालंदा और पटना जिला गर्व महसूस कर रहा है. सभी उनके उज्जवल भविष्य की कामना कर रहे हैं. गोल्डी कुमारी ने अपनी कड़ी मेहनत और साहस से यह साबित कर दिया है कि मुश्किलें अगर बड़ी होती हैं, तो उन्हें पार करना भी उतना ही संभव है.
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