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गोड्डा में इंडिया ब्लॉक के तीन और भाजपा के दो विधायकों पर अपने उम्मीदवार को जीत दिलाने की जिम्मेदारी! चुनाव परिणाम से आंका जाएगा विधायकों का परफॉर्मेंस - Lok Sabha Election 2024

Godda Lok Sabha constituency. गोड्डा लोकसभा सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेपी प्रत्याशी निशिकांत दुबे और कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप यादव के बीच है. दोनों अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए रणनीति बनाने में जुटे हैं. वहीं इंडिया ब्लॉक और भाजपा के विधायकों पर अपने-अपने प्रत्याशी को जीत दिलाने की जिम्मेदारी है. यह चुनाव परिणाम विधायकों का भी भविष्य तय करेगा.

Lok Sabha Election 2024
Godda Lok Sabha Constituency
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 30, 2024, 6:55 PM IST

गोड्डाः लोकसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है. अब तक प्रमुख गठबंधन एनडीए और इंडिया दोनों की तरफ से उम्मीदवारों की घोषणा हो चुकी है. गोड्डा लोकसभा सीट से एक ओर जहां भाजपा से तीन बार के सांसद निशिकांत दुबे मैदान में हैं तो दो दूसरी ओर कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में विधायक प्रदीप यादव हैं. अब तक लगभग साफ हो चुका है कि दोनों के बीच ही सीधा मुकाबला है, लेकिन चुनाव का परिणाम लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कुल छह विधायकों के राजनीतिक भविष्य की दशा और दिशा तय करेगा.

इंडिया के तीन और भाजपा के दो विधायकों का चुनाव में लिटमस टेस्ट

गोड्डा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत कुल छह विधानसभा आते हैं. जिसमें गोड्डा के अलावा दुमका और देवघर भी शामिल है. इनमें गोड्डा, महागामा, पोड़ैयाहाट, जरमुंडी, मधुपुर और देवघर कुल 6 में चार पर इंडिया गठबंधन का कब्जा है, वहीं दो पर भाजपा के विधायक काबिज हैं. इंडिया ब्लॉक से महगामा विधायक दीपिका पांडेय सिंह, पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव खुद उम्मीदवार हैं, जरमुंडी से बादल पत्रलेख, मधुपुर से हफीजुल अंसारी विधायक हैं. वहीं एनडीए की ओर से गोड्डा विधायक अमित मंडल और देवघर विधायक नारायण दास शामिल हैं.

पिछले चुनाव में एक लाख 80 हजार वोटों से जीते थे निशिकांत

पिछले लोक सभा चुनाव 2019 में भाजपा उम्मीदवार निशिकांत दुबे ने सभी छह विधानसभा मे बढ़त बनाई थी और लगभग एक लाख, 80 हजार मतों से जीत दर्ज की थी, लेकिन छह माह बाद हुए विधानसभा चुनाव में छह में चार विधानसभा सीट पर भाजपा हार गई थी.

इंडिया गठबंधन के हाई प्रोफाइल विधायकों के कंधे पर बड़ी जिम्मेदारी

पत्रकार हेमचंद्र बताते हैं कि 2024 लोकसभा चुनाव के परिणाम ये तय करेंगे कि किस विधायक की जमीन कितनी मजबूत है.संभव है कि पार्टी इसी आधार पर यह तय करे कि उनके विधायक का परफॉर्मेंस कैसा है, क्योंकि फिलहाल राज्य में इंडिया गठबंधन की सरकार है. वहीं गोड्डा लोकसभा की बात करें तो पोड़ैयाहाट के विधायक प्रदीप यादव खुद उम्मीदवार हैं. प्रदीप यादव को कांग्रेस ने अपने विधायक दल का उपनेता बनाया है. वहीं इसके अलावा बादल पत्रलेख और हफीजुल अंसारी दोनों राज्य सरकार में मंत्री हैं. ऐसे में इन हाई प्रोफाइल विधायकों के कंधों पर जिम्मेदारी होगी की वे अपने क्षेत्र से कैसे इंडिया को बढ़त दिलाते हैं.

दीपिका पांडेय सिंह का टिकट काट कर दिया गया था प्रदीप यादव को

बताते चलें कि पूर्व में कांग्रेस आलाकमान ने गोड्डा लोकसभा से महगामा विधायक दीपिका पांडेय सिंह को ही टिकट दिया था, लेकिन बाद में बदल दिया गया, इसके बावजूद विधायक ने कहा है कि वे और दोगुणी मेहनत से काम करेंगी और भाजपा उम्मीदवार को हराएंगी. फिर दीपिका पांडेय सिंह खुद पार्टी की राष्ट्रीय सचिव भी हैं. ऐसे में उनकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है. अगर इंडिया के विधायक अपने क्षेत्र में बेहतर करते हैं तो इंडिया उम्मीदवार की राह आसान होगी.

भाजपा के समक्ष रिकॉर्ड दोहराने की चुनौती

वहीं भाजपा के सामने पुराना रिकॉर्ड लोकसभा में दोहराने की चुनौती होगी. हालांकि भाजपा खेमे से उनके सिर्फ दो विधायक अमित मंडल और नारायण दास हैं. लेकिन विधायकों की संख्या कमजोर होने के बावजूद भाजपा बेहतर करती रही है.

लोकसभा चुनाव के नतीजे तय करेंगे विधायकों का भविष्य

इस संबंध में पत्रकार हेमचंद्र बताते हैं कि लोकसभा और विधानसभा का चुनाव अलग-अलग आधार पर लड़ा जाता रहा है.बावजूद उनके अपने गठबंधन के विधायक होने पर कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा होता है, लेकिन इससे इतना तो तय है कि विधायकों की जमीनी हकीकत और उन्होंने पार्टी के लिए कितना समर्पित होकर काम किया इसका प्रमाण पत्र तो मिल ही जाता है. साथ ही अपने क्षेत्र में बढ़त दिलाने वाले विधायकों का मनोबल बढ़ता है और निजी तौर पर पार्टी में साख बढ़ती है.

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गोड्डाः लोकसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है. अब तक प्रमुख गठबंधन एनडीए और इंडिया दोनों की तरफ से उम्मीदवारों की घोषणा हो चुकी है. गोड्डा लोकसभा सीट से एक ओर जहां भाजपा से तीन बार के सांसद निशिकांत दुबे मैदान में हैं तो दो दूसरी ओर कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में विधायक प्रदीप यादव हैं. अब तक लगभग साफ हो चुका है कि दोनों के बीच ही सीधा मुकाबला है, लेकिन चुनाव का परिणाम लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कुल छह विधायकों के राजनीतिक भविष्य की दशा और दिशा तय करेगा.

इंडिया के तीन और भाजपा के दो विधायकों का चुनाव में लिटमस टेस्ट

गोड्डा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत कुल छह विधानसभा आते हैं. जिसमें गोड्डा के अलावा दुमका और देवघर भी शामिल है. इनमें गोड्डा, महागामा, पोड़ैयाहाट, जरमुंडी, मधुपुर और देवघर कुल 6 में चार पर इंडिया गठबंधन का कब्जा है, वहीं दो पर भाजपा के विधायक काबिज हैं. इंडिया ब्लॉक से महगामा विधायक दीपिका पांडेय सिंह, पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव खुद उम्मीदवार हैं, जरमुंडी से बादल पत्रलेख, मधुपुर से हफीजुल अंसारी विधायक हैं. वहीं एनडीए की ओर से गोड्डा विधायक अमित मंडल और देवघर विधायक नारायण दास शामिल हैं.

पिछले चुनाव में एक लाख 80 हजार वोटों से जीते थे निशिकांत

पिछले लोक सभा चुनाव 2019 में भाजपा उम्मीदवार निशिकांत दुबे ने सभी छह विधानसभा मे बढ़त बनाई थी और लगभग एक लाख, 80 हजार मतों से जीत दर्ज की थी, लेकिन छह माह बाद हुए विधानसभा चुनाव में छह में चार विधानसभा सीट पर भाजपा हार गई थी.

इंडिया गठबंधन के हाई प्रोफाइल विधायकों के कंधे पर बड़ी जिम्मेदारी

पत्रकार हेमचंद्र बताते हैं कि 2024 लोकसभा चुनाव के परिणाम ये तय करेंगे कि किस विधायक की जमीन कितनी मजबूत है.संभव है कि पार्टी इसी आधार पर यह तय करे कि उनके विधायक का परफॉर्मेंस कैसा है, क्योंकि फिलहाल राज्य में इंडिया गठबंधन की सरकार है. वहीं गोड्डा लोकसभा की बात करें तो पोड़ैयाहाट के विधायक प्रदीप यादव खुद उम्मीदवार हैं. प्रदीप यादव को कांग्रेस ने अपने विधायक दल का उपनेता बनाया है. वहीं इसके अलावा बादल पत्रलेख और हफीजुल अंसारी दोनों राज्य सरकार में मंत्री हैं. ऐसे में इन हाई प्रोफाइल विधायकों के कंधों पर जिम्मेदारी होगी की वे अपने क्षेत्र से कैसे इंडिया को बढ़त दिलाते हैं.

दीपिका पांडेय सिंह का टिकट काट कर दिया गया था प्रदीप यादव को

बताते चलें कि पूर्व में कांग्रेस आलाकमान ने गोड्डा लोकसभा से महगामा विधायक दीपिका पांडेय सिंह को ही टिकट दिया था, लेकिन बाद में बदल दिया गया, इसके बावजूद विधायक ने कहा है कि वे और दोगुणी मेहनत से काम करेंगी और भाजपा उम्मीदवार को हराएंगी. फिर दीपिका पांडेय सिंह खुद पार्टी की राष्ट्रीय सचिव भी हैं. ऐसे में उनकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है. अगर इंडिया के विधायक अपने क्षेत्र में बेहतर करते हैं तो इंडिया उम्मीदवार की राह आसान होगी.

भाजपा के समक्ष रिकॉर्ड दोहराने की चुनौती

वहीं भाजपा के सामने पुराना रिकॉर्ड लोकसभा में दोहराने की चुनौती होगी. हालांकि भाजपा खेमे से उनके सिर्फ दो विधायक अमित मंडल और नारायण दास हैं. लेकिन विधायकों की संख्या कमजोर होने के बावजूद भाजपा बेहतर करती रही है.

लोकसभा चुनाव के नतीजे तय करेंगे विधायकों का भविष्य

इस संबंध में पत्रकार हेमचंद्र बताते हैं कि लोकसभा और विधानसभा का चुनाव अलग-अलग आधार पर लड़ा जाता रहा है.बावजूद उनके अपने गठबंधन के विधायक होने पर कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा होता है, लेकिन इससे इतना तो तय है कि विधायकों की जमीनी हकीकत और उन्होंने पार्टी के लिए कितना समर्पित होकर काम किया इसका प्रमाण पत्र तो मिल ही जाता है. साथ ही अपने क्षेत्र में बढ़त दिलाने वाले विधायकों का मनोबल बढ़ता है और निजी तौर पर पार्टी में साख बढ़ती है.

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