सरगुजा : आज तक आपने बकरी पालन के बारे में सुना या देखा होगा.लेकिन बकरी पालन में मुनाफा किस तरह से कमाया जाए ये एक बड़ा सवाल है.लोग बकरियां तो पालते हैं,लेकिन उन्हें उतना मुनाफा नहीं होता.इसलिए बकरी पालन से पहले कुछ चीजों को समझना बेहद जरुरी है.ताकि आपका मुनाफा जरा भी कम ना हो.छत्तीसगढ़ में बकरी पालन के लाखों संभावनाएं हैं.पशुपालक थोड़े से ही प्रयास में अच्छा मुनाफा बकरी पालन से ले सकते हैं.
किन नस्लों का पाले बकरा या बकरी : यदि आप लोकल नस्ल के बकरा या बकरी पालते हैं तो इसका वजन अधिकतम 15 किलो तक होता है. अच्छी खुराक देने पर भी वजन 20 से 25 किलो तक ही जाता है.लेकिन इसके विपरित उन्नत नस्ल के बकरा बकरी का वजन 50 किलो तक जा सकता है.वहीं कुछ ब्रीड तो 100 किलो तक वजनी होते हैं.इसलिए हमें ऐसे ब्रीड पालने चाहिए जिनका वजन हमें मुनाफा दे.
कृत्रिम गर्भाधारण की नई तकनीक से फायदा : सरगुजा जिला के पशु चिकित्सक डॉ. चंद्र कुमार मिश्रा इस काम के लिये पूरे प्रदेश में मॉडल के तौर पर जाने जाते हैं. करीब 2 साल पहले उनकी टीम ने कृत्रिम गर्भाधारण के जरिये नस्ल सुधार का काम शुरु किया था.जिसे प्रदेश सरकार ने सराहा.फिर इस योजना को पूरे प्रदेश में शुरु किया गया. जिसके बाद हर जिले से वेटनरी डॉक्टर्स की टीम सरगुजा पहुंची.इसके बाद पूरे प्रदेश में नस्ल सुधार का काम शुरु हुआ.उन्नत नस्ल के बकरों का कृत्रिम गर्भधारण (AI) कर अधिक वजन के बकरे तैयार करने का यह प्रयोग सफल हुआ. डॉक्टर चंद्र कुमार मिश्रा के मुताबिक जिले में करीब 4 हजार से अधिक लोगों ने उन्नत नस्ल के बकरों का उत्पादन कर लाभ कमाया. इन बकरों का वजन 30 से 40 किलो तक देखा गया.
'' नस्ल सुधार में पूरी तरह परिवर्तन के लिए 3 जनरेशन का समय लगता है. पहली बार मे 50% दूसरी बार मे 75% और जब तीसरी बार कृत्तिम गर्भधारण से बकरी जन्म देती है तो वो नस्ल 100% रिजल्ट देती है, एआई के कारण पशुपालक को बकरा नही पालना पड़ता है जिससे बकरे पर होने वाला खर्च भी कम हो जाता है" - चंद्र कुमार मिश्रा, पशु चिकित्सक
किन नस्लों की बकरी पालन से फायदा : वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ सीके मिश्रा के मुताबिक पशुपालन विभाग ने बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान के लिए 7800 सीमेन मंगाए थे. उन्नत नस्ल में जमुनापारी, सिरोही, बारबरी नाम की भारतीय नस्ल शामिल हैं. इसके अलावा अफ्रीकन बोयर का सीमेन भी मंगाया गया है. छत्तीसगढ़ में पहली बार अफ्रीकन नस्ल के बकरा के सीमेन का उपयोग कृत्रिम गर्भाधान के लिए किया जा रहा है. सीमेन उत्तराखण्ड लाइव स्टाक डेवलपमेंट बोर्ड ऋषिकेश ने उपलब्ध कराया है.
लोकल और उन्नत नस्ल में क्या है अंतर : लोकल बकरे का अधिकतम वजन 20 से 25 किलो होता है. लेकिन जमुनापारी और सिरोही का वजन 40 से 45 किलो तक होता है. बार्बरी का वजन कम होता है लेकिन ये 3 से 4 बच्चे देती है, जिस कारण ये भी फायदेमंद है. वहीं अब अफ्रीकन नस्ल का वजन 80 से 100 किलो तक होगा. लेकिन 100% वजन 3 जनरेशन के बाद ही प्राप्त होता है.