मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : भरतपुर क्षेत्र में तिलौली गांव में गढ़ा दाई मंदिर है. जहां बिना मूर्ति के पूजा की जाती है. ये एक अनोखा धार्मिक स्थल है. ये मंदिर ना केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि अपनी रहस्यमयी ऊर्जा और अद्भुत घटनाओं के लिए भी जाना जाता है. इस मंदिर में किसी भी तरह की कोई मूर्ति नहीं है.बावजूद इसके यहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.
गढ़ा दाई मंदिर का इतिहास : गढ़ा दाई मंदिर का इतिहास कई शताब्दियों पुराना माना जाता है. कहा जाता है कि पांडवों ने अपने वनवास के दौरान यहां देवी गढ़ा दाई की पूजा की थी. मंदिर का नाम 'गढ़ा' क्षेत्र की प्राकृतिक संरचना और देवी के निवास स्थान से जुड़ा हुआ है. जिसका मतलब जलाशय या गड्ढा है. इस क्षेत्र में हर साल बड़े आयोजन होते हैं, जहां देवी के नाम की पूजा और भक्तों की श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिलता है.
गढ़ा मंदिर से जुड़ी चमत्कारिक घटनाएं : ये स्थल विज्ञान के लिए आज भी पहेली बना हुआ है. कहते हैं कि यहां एक गुफा है, जहां से शहनाई और ढोल नगाड़ों की आवाजें आती हैं. एक और मान्यता है कि जब मंदिर की दीवारों को गेरुआ रंग से पुताई होती है तो पूरा पहाड़ कांपता है. 40 साल पहले, जब वन विभाग ने मंदिर में सीढ़ियों का निर्माण कराया और जैसे ही दीवारों पर गेरुआ रंग लगाया गया, पूरा पहाड़ कंपन करने लगा. जिसे देखकर लोग डर गए. इसके बाद से इस मंदिर में गेरुआ रंग का उपयोग करने पर पाबंदी लगा दी गई है.
देवी में अटूट आस्था : गढ़ा दाई मंदिर में देवी की कोई मूर्ति नहीं है. इसके बाद भी भक्तों का विश्वास ना केवल स्थिर है, बल्कि यह मंदिर उनके लिए एक अद्वितीय स्थान बन चुका है. यहां लोग पहाड़ की पूजा करते हैं और अपनी इच्छाएं पूरी करने के लिए आते हैं. श्रद्धालु मानते हैं कि देवी गढ़ा दाई उनकी हर मन्नत पूरी करती हैं.
गढ़ा दाई का मंदिर हमारी आस्था का केंद्र है.यहां पर हर वर्ष लाखों लोग आते हैं .अपनी मनोकामनाओं को लेकर पूजा करते हैं. कहते हैं कि मां की कृपा से हर किसी की इच्छा पूरी होती है. चाहे वो छोटी हो या बड़ी, यहां कोई भी भक्त बिना निराश हुए नहीं जाता - मोहन यादव,श्रद्धालु
दूर-दूर से जुटते हैं श्रद्धालु : हीरालाल यादव हर साल इस मंदिर में मेला आयोजित करते हैं. उनके मुताबिक नववर्ष के दौरान यहां मेला लगता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु आते हैं. भंडारा और पूजा के साथ यह दिन विशेष होता है. भक्तों की आस्था इतनी मजबूत है कि वह दूर-दूर से अपनी इच्छाओं को लेकर यहां आते हैं और पूरी श्रद्धा से पूजा करते हैं. यहां के भंडारे का स्वाद और माहौल एक अलग ही अनुभव प्रदान करता है. वहीं मंदिर में सुरक्षा का प्रबंध करने वाले भक्ति शारदा प्रसाद मिश्र के मुताबिक यहां हर साल आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है. पुलिस प्रशासन और मंडली कमेटी यहां की व्यवस्था करती है.
श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की समस्या नहीं होती, और सभी को उचित व्यवस्था का अहसास होता है। हमें गर्व है कि हम इस मंदिर की देखरेख कर रहे हैं- भक्ति शारदा प्रसाद , मंदिर कमेटी
नवरात्रि और नववर्ष में बड़े आयोजन : मंदिर में नवरात्रि के दौरान विशेष पूजा अर्चना होती है और भक्तों की भारी भीड़ यहां आकर देवी का आशीर्वाद प्राप्त करती है. मंदिर परिसर में आयोजित होने वाले मेले में आसपास के क्षेत्रों से लोग आते हैं. मध्यप्रदेश के शहडोल से गढ़ा दाई मंदिर की दूरी केवल 60 किलोमीटर है. यहां के श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में इस मंदिर के दर्शन करने पहुंचते हैं.
हमारे क्षेत्र में गढ़ा दाई मंदिर का महत्व बहुत ज्यादा है.पहले यहां किसी तरह की सुविधा नहीं थी, लेकिन अब शासन और प्रशासन ने यहां के निर्माण कार्यों को बढ़ावा दिया गया है. लोग आते हैं, माता रानी की पूजा करते हैं और उनकी कृपा से जीवन में सुख-शांति प्राप्त करते हैं- राम मिलन यादव, अध्यक्ष , गढ़ा दाई मंदिर
गढ़ा दाई मंदिर न केवल छत्तीसगढ़ के बल्कि मध्य प्रदेश के श्रद्धालुओं के लिए भी एक प्रमुख धार्मिक स्थल बन चुका है. यहां की प्राचीन मान्यताएं, रहस्यमय घटनाएं और भक्तों की गहरी आस्था इस मंदिर को एक अद्वितीय स्थान बनाती हैं. ये मंदिर एक अनमोल धरोहर के रूप में अस्तित्व में है.
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