नई दिल्ली: दिल्ली के भगवान दास रोड स्थित आगा खान हाल में तीन दिवसीय शिल्प कला उत्सव में महिला सशक्तिकरण की झलक देखने को मिली. यहां लगाई गई सभी स्टॉल महिला उद्यमियों को समर्पित रहीं. ऑल इंडिया वूमेंस कॉन्फ्रेंस द्वारा आयोजित शिल्प कला उत्सव में महिला उद्यमियों ने अपने हाथ के बने उत्पादों को पेश किया. मुख्य रूप से इस शिल्प कला उत्सव में दीपावली के लिए घर की साज सज्जा से संबंधित सामान बंदरवाल, मधुबनी पेंटिंग, डिजाइनर झालर और गोबर के दीए प्रमुख रूप से आकर्षण का केंद्र रहा और लोगों ने जमकर खरीदारी की.
इसके अलावा, पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महिला उद्यमी संगीता तायल ने बताया कि उनके सारे उत्पाद ऑर्गेनिक चीजों से बनाए गए हैं. उन्होंने बताया कि यहां पर प्रदर्शित साबुन अलग-अलग तरह के फूलों से बनाए गए हैं. उन्होंने बताया कि जो फूल मंदिर में चढ़ाए जाते हैं, उन फूलों को इकट्ठा कर लेते हैं और उनको प्रोसेस करके उनसे फिर साबुन बनाते हैं. इसके अलावा उन्होंने बताया कि वेस्ट मैनेजमेंट के लिए प्लास्टिक की बोतलों से ईको ब्रिक्स बनाने का काम कर रहे हैं.
उन्होंने बताया कि एमसीडी के साथ मिलकर के एमसीडी के मुख्यालय सिविक सेंटर में भी एक ईको ब्रिक्स वॉल बनाई है, जो वेस्ट मैनेजमेंट का उत्कृष्ट उदाहरण है. वहीं, दक्षिणी दिल्ली के सरिता विहार से शिल्प कला उत्सव में स्टॉल लगाने वाली महिला अनामिका ने बताया कि उनके स्टॉल पर जितने भी उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं वह सभी उनके स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने अपने हाथों से बनाए हैं. इन कीमत 75 रुपए से लेकर के 1500 रुपए तक है.
ऑर्गेनिक दिए रोशनी के साथ भगाएंगे मच्छर: संगीता तायल ने बताया कि कुछ ऑर्गेनिक चीजों का इस्तेमाल करके मॉम के दिए बनाए हैं, जो मच्छर भगाने का भी काम करेंगे. साथ ही उनकी अच्छी खुशबू भी फैलेगी, जो किसी के लिए नुकसानदायक नहीं होगी. इसके अलावा लकड़ी के पेन, कंघा आदि को भी अपने स्टॉल पर लगाकर प्लास्टिक हटाओ पर्यावरण बचाओ का संदेश दिया जा रहा है.
पद्मश्री लाजवंती ने भी लगाया अपना स्टॉल: संस्था की कोषाध्यक्ष उपासना सिंह ने बताया कि शिल्प कला उत्सव में पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त लाजवंती ने भी अपने परिधानों को प्रस्तुत किया है. उनकी जरी और सिल्क की साड़ियां और सूट भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. इसके अलावा पौधों को एक नई थीम गमले में पौधे के साथ किसी न किसी देवी देवता की तस्वीर के साथ प्रस्तुत किया गया है, जो लोगों के लिए सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र हैं.
महिला उद्यमियों को फ्री स्टॉल देकर दिया जाता है मौका: ऑल इंडिया वुमेंस कॉन्फ्रेंस की अध्यक्ष कल्याणी राज ने बताया कि उनकी संस्था पिछले 97 साल से महिला सशक्तिकरण के लिए काम कर रही है. समाज की निर्बल, बेसहारा और समाज के द्वारा ठुकराई गई महिलाओं को भी यहां आश्रय मिलता हैं. यहां आश्रय स्थल भी स्थित है. इसके साथ ही शिल्प कला उत्सव में सभी कामकाजी महिलाएं जो अपने स्तर पर कुछ स्वरोजगार चला रही हैं, उनको अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने, उनको बेचने और नेटवर्किंग करने और प्रचार करने का मौका दिया जाता है.
कल्याणी राज ने कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सिर्फ उनको शिक्षा देना उनका स्किल डेवलपमेंट करना या सिर्फ कैपेसिटी बिल्डिंग कर देना नहीं है बल्कि उनको मार्केट में अपनी जगह बनाने के लिए भी एक प्लेटफार्म की जरूरत होती है, उन्हें हम प्लेटफार्म भी देते हैं. महिलाओं को अपने उत्पाद बेचने के लिए हमेशा दूसरे लोगों की जरूरत पड़ती है, क्योंकि बाजार में उनको ज्यादा मौका नहीं दिया जाता है. इसलिए ऑल इंडिया वुमेंस कॉन्फ्रेंस उनको यह है मौका देने का काम लगातार करती आ रही है. शिल्प कला उत्सव से महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में काफी मदद मिलती है. उन्होंने बताया कि इस बार के शिल्प कला उत्सव में भी लोगों का अच्छा रिस्पांस मिला है.
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