बिलासपुर/घुमारवीं: ब्लॉक कांग्रेस कमेटी घुमारवीं ने सोमवार को आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान सचिवालय कर्मचारी संघ के नेताओं की ओर से राजेश धर्माणी के ऊपर की गई टिप्पणी पर नाराजगी जाहिर की है. ब्लॉक कांग्रेस घुमारवीं के कार्यकर्ताओं ने कर्मचारी नेताओं को अपनी भाषा को मर्यादित करने और संयम से काम लेने की सलाह दी है.
पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए ब्लॉक कांग्रेस कमेटी घुमारवीं के मीडिया प्रभारी राजीव शर्मा ने कहा कि सचिवालय में कार्यरत कुछ कर्मचारी नेता जिस अमर्यादित भाषा का प्रयोग कर कैबिनेट मंत्री के खिलाफ कर रहे हैं उसके लिए उन्हें कैबिनेट मंत्री से माफी मांगनी होगी. ऐसा न करने पर ब्लॉक कांग्रेस कमेटी इस कर्मचारी नेता के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज करेगी.
'अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने का अधिकार नहीं'
राजीव शर्मा ने कहा कि कर्मचारी नेता तय नहीं करेंगे कि कौन मंत्री बनेगा. मंत्री बनाना पार्टी का काम है ना कि कर्मचारी नेताओं का, जो खुद को सचिवालय का मुख्यमंत्री बता रहे हैं. प्रदेश की कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री हमेशा कर्मचारियों के हितेषी रहे हैं, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण है प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनते ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू ने 2003 के बाद से बंद पड़ी ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल किया है. एरियर तथा डीए की मांग करना कर्मचारियों का हक है, लेकिन उसके लिए इन कर्मचारी नेताओं को किसी भी प्रकार की अभद्र भाषा का प्रयोग करने का कोई अधिकार नहीं है.
'पंचायत प्रधान का चुनाव लड़ने की चुनौती'
राजीव शर्मा ने कहां की जिस तरह से इन तथाकथित कर्मचारी नेताओं ने कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी के प्रति नालायक शब्द का प्रयोग किया है उनकी इस भाषा शैली से इस बात का साफ पता चलता है कि, नालायक कौन है और मंत्री को नालायक कहकर उन्होंने न केवल मंत्री का बल्कि पूरी घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र की जनता का भी अपमान किया है, जिसके लिए यहां की जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी. उन्होंने खुले रूप से सचिवालय के कर्मचारी नेता को जिला बिलासपुर की किसी भी पंचायत से प्रधान पद चुनाव लड़ने की चुनौती दे डाली और कहा कि अगर उनमें हिम्मत है तो यहां कि किसी भी ग्राम पंचायत से चुनाव लड़कर दिखाएं. उन्हें अपनी हैसियत का अंदाजा हो जाएगा. राजेश धर्माणी की योग्यता पर उठाए गए सवालों पर राजीव शर्मा ने कहा कि राजेश धर्माणी स्कूली शिक्षा से लेकर एनआईटी तक के टॉपर रहे हैं. बावजूद इसके उन्होंने समाज सेवा का विकल्प चुना.