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कम से कम एक शौचालय बनवा दो सरकार, शहर की गाजी नगर बस्ती में आज भी खुले में हो रहा शौच

Gazi nagar of jabalpur : जबलपुर में लगभग 5000 करोड़ के विकास कार्य हो रहे हैं लेकिन यहीं पर एक गाजी नगर नाम की बस्ती है जिसमें रहने वाले लोग शौचालय के लिए तरस रहे हैं.

Gazi nagar of jabalpur
शहर की गाजी नगर बस्ती में आज भी खुले में हो रहा शौच
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 26, 2024, 3:36 PM IST

Updated : Jan 28, 2024, 12:45 PM IST

गाजी नगर बस्ती में खुले में शौच को मजबूर लोग

जबलपुर. जबलपुर के गोहलपुर में एक ऐसी बस्ती है जहां के लोग सरकार से शौचालय के लिए गुहार लगा रहे हैं. ये लोग कह रहे हैं कि बिजली, पानी, सड़क, सफाई और स्कूल यह सब बाद में देना कम से कम एक शौचालय दे दें, जिससे घर की बहू बेटियां निस्तार के लिए खुले में जानें मजबूर न हों और लोग उन्हें पत्थर न मारें. बता दें कि मुस्लिम बाहुल्य वाली ये बस्ती यहां सालों पहले बसी थी, जिसके बाद सरकार ने यहां के लोगों को विस्थापित कर पक्के घर दिए थे, लेकिन कुछ समय बाद ये बस्ती फिर बस गई.

खुले में शौच को मजबूर महिलाएं

वहीं गाजी नगर बस्ती में रहने वाले कहते हैं कि सरकार ने उन्हें घर नहीं दिए और अपने हाल पर छोड़ दिया. यहां रहने वाले मोहम्मद सफीक ने कहा, 'सबसे बड़ी समस्या घर की बहू बेटियों के शौचालय की है. पूरी बस्ती में लगभग डेढ़ सौ घर हैं और हजार से ज्यादा की आबादी है, लेकिन एक भी शौचालय नहीं है और इन सभी लोगों को खुले में शौच करने के लिए जाना पड़ता है. बड़े लोग तो पैसा देकर सुलभ शौचालय में चले जाते हैं, लेकिन महिलाएं और मोहल्ले की लड़कियां जब खुले में शौच के लिए जाती हैं तो लोग पत्थर मारते हैं.

Gazi nagar of jabalpur
शहर की गाजी नगर बस्ती में आज भी खुले में हो रहा शौच

हमारे साथ छुआछूत जैसा व्यवहार

यहां सड़क पर अपने टूटे झाड़ू से सफाई करती हुई रिजवाना से हमने पूछा कि आप सड़क की सफाई क्यों कर रही हो? तो रिजवाना ने कहा कि हमारे मोहल्ले में सफाई करने कोई नहीं आता. छोटी-छोटी गलियां हैं हम खुद ही साफ कर लेते हैं. बाकी लोगों के घरों का कचरा गाड़ी वाला बटोरता है लेकिन हमारे साथ छुआछूत वाला व्यवहार किया जाता है और कचरे वाले हमसे कचरा नहीं लेते. वहीं बस्ती में रहने वाली गीता ने बताया कि उनके राशन कार्ड हैं, पहचान पत्र हैं और मतदाता सूची में उनका नाम भी. लेकिन उनके बच्चों को आंगनवाड़ी नहीं मिलती.

सरकारी आवास खरीदने के पैसे नहीं

मोहम्मद सत्तार ने बताया कि वे उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले से यहां आए थे. उन्हें जबलपुर आए हुए 40 साल से ज्यादा का समय हो गया है. उन्होंने कहा, 'पहले शहर भर का कचरा यहां जमा होता था उसी के बाजू में बस्ती थी, तभी से हम यही रह रहे हैं. सरकार ने इस कचरा घर को साफ करके यहां गरीबों के लिए आवास बनाए हैं लेकिन इन आवासों के लिए भी गरीबों से पैसे मांगे जा रहे थे. इतने पैसे हमारे पास नहीं थे इसलिए हमें यह आवास नहीं मिले.

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क्या कहते हैं जिम्मेदार?

हमने इस मामले में प्रशासन से पक्ष लेना चाहा लेकिन प्रशासनिक अधिकारी गणतंत्र दिवस की तैयारी में व्यस्त रहे. हालांकि, यहां पर बीते दिनों जबलपुर नगर निगम के महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नु पहुंचे थे और उन्होंने बताया कि गाजीनगर में जल्द ही बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था करवाई जाएगी.

गाजी नगर बस्ती में खुले में शौच को मजबूर लोग

जबलपुर. जबलपुर के गोहलपुर में एक ऐसी बस्ती है जहां के लोग सरकार से शौचालय के लिए गुहार लगा रहे हैं. ये लोग कह रहे हैं कि बिजली, पानी, सड़क, सफाई और स्कूल यह सब बाद में देना कम से कम एक शौचालय दे दें, जिससे घर की बहू बेटियां निस्तार के लिए खुले में जानें मजबूर न हों और लोग उन्हें पत्थर न मारें. बता दें कि मुस्लिम बाहुल्य वाली ये बस्ती यहां सालों पहले बसी थी, जिसके बाद सरकार ने यहां के लोगों को विस्थापित कर पक्के घर दिए थे, लेकिन कुछ समय बाद ये बस्ती फिर बस गई.

खुले में शौच को मजबूर महिलाएं

वहीं गाजी नगर बस्ती में रहने वाले कहते हैं कि सरकार ने उन्हें घर नहीं दिए और अपने हाल पर छोड़ दिया. यहां रहने वाले मोहम्मद सफीक ने कहा, 'सबसे बड़ी समस्या घर की बहू बेटियों के शौचालय की है. पूरी बस्ती में लगभग डेढ़ सौ घर हैं और हजार से ज्यादा की आबादी है, लेकिन एक भी शौचालय नहीं है और इन सभी लोगों को खुले में शौच करने के लिए जाना पड़ता है. बड़े लोग तो पैसा देकर सुलभ शौचालय में चले जाते हैं, लेकिन महिलाएं और मोहल्ले की लड़कियां जब खुले में शौच के लिए जाती हैं तो लोग पत्थर मारते हैं.

Gazi nagar of jabalpur
शहर की गाजी नगर बस्ती में आज भी खुले में हो रहा शौच

हमारे साथ छुआछूत जैसा व्यवहार

यहां सड़क पर अपने टूटे झाड़ू से सफाई करती हुई रिजवाना से हमने पूछा कि आप सड़क की सफाई क्यों कर रही हो? तो रिजवाना ने कहा कि हमारे मोहल्ले में सफाई करने कोई नहीं आता. छोटी-छोटी गलियां हैं हम खुद ही साफ कर लेते हैं. बाकी लोगों के घरों का कचरा गाड़ी वाला बटोरता है लेकिन हमारे साथ छुआछूत वाला व्यवहार किया जाता है और कचरे वाले हमसे कचरा नहीं लेते. वहीं बस्ती में रहने वाली गीता ने बताया कि उनके राशन कार्ड हैं, पहचान पत्र हैं और मतदाता सूची में उनका नाम भी. लेकिन उनके बच्चों को आंगनवाड़ी नहीं मिलती.

सरकारी आवास खरीदने के पैसे नहीं

मोहम्मद सत्तार ने बताया कि वे उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले से यहां आए थे. उन्हें जबलपुर आए हुए 40 साल से ज्यादा का समय हो गया है. उन्होंने कहा, 'पहले शहर भर का कचरा यहां जमा होता था उसी के बाजू में बस्ती थी, तभी से हम यही रह रहे हैं. सरकार ने इस कचरा घर को साफ करके यहां गरीबों के लिए आवास बनाए हैं लेकिन इन आवासों के लिए भी गरीबों से पैसे मांगे जा रहे थे. इतने पैसे हमारे पास नहीं थे इसलिए हमें यह आवास नहीं मिले.

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क्या कहते हैं जिम्मेदार?

हमने इस मामले में प्रशासन से पक्ष लेना चाहा लेकिन प्रशासनिक अधिकारी गणतंत्र दिवस की तैयारी में व्यस्त रहे. हालांकि, यहां पर बीते दिनों जबलपुर नगर निगम के महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नु पहुंचे थे और उन्होंने बताया कि गाजीनगर में जल्द ही बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था करवाई जाएगी.

Last Updated : Jan 28, 2024, 12:45 PM IST
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