कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में लहसुन उत्पादन के मामले में सिरमौर जिला जहां पहले स्थान पर आता है. वहीं, कुल्लू जिले ने लहसुन उत्पादन में अब दूसरा स्थान हासिल किया है. कुल्लू जिले में 1650 हेक्टेयर भूमि पर लहसुन का उत्पादन किया जाता है. इस साल जिला कुल्लू में 33 हजार 500 मीट्रिक टन लहसुन का उत्पादन किया गया है. जिससे किसानों में भी काफी खुशी की लहर है. इसके अलावा बाहरी राज्यों से व्यापारी भी किसानों तक पहुंच रहे हैं और खेतों में ही किसानों को लहसुन की फसल का अच्छा दाम दिया जा रहा है. कुल्लू जिले में किसानों को लहसुन के ₹120 से लेकर ₹170 प्रति किलो तक दाम मिल रहे हैं. जिससे किसानों की आर्थिक की भी मजबूत हो रही है.
जिला कुल्लू में बीते कुछ सालों से लोगों का रुझान लहसुन की खेती की ओर भी बढ़ा है. इससे पहले किसानों को लहसुन के ₹100 से लेकर ₹130 प्रति किलो तक के दाम मिलते थे, लेकिन इस साल लहसुन के ₹170 प्रति किलो दाम मिलने से किसानों के चेहरे पर भी रौनक छा गई है. कुल्लू जिले में लहसुन की गुणवत्ता भी काफी अच्छी होती है और यहां का लहसुन दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों में काफी पसंद किया जाता है. कुल्लू जिले में लग घाटी, बंजार, सैंज, आनी के ऊपरी इलाकों में लहसुन की खेती की जाती है.
लहसुन की खेती करने वाले किसान दिलीप कुमार, शकुंतला मीने राम का कहना है कि लहसुन की फसल 9 माह की है. इसमें अब किसानों को अच्छा फायदा भी हो रहा है. लहसुन की खेती से जो भी किसान जुड़े हुए हैं, वो अन्य किसानों को भी अब इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं, क्योंकि इससे किसानों को अच्छा मुनाफा भी मिल रहा है. ऐसे में केंद्र सरकार को भी चाहिए कि वह बाहरी देशों से आने वाले लहसुन पर रोक लगाएं, ताकि हिमाचल प्रदेश के किसानों को लहसुन का अच्छा दाम मिल सके. किसानों का कहना है कि इन दिनों दक्षिण भारत के तमिलनाडु से भी व्यापारी जिला कुल्लू के विभिन्न इलाकों का दौरा कर रहे हैं और वह यहां पर लहसुन की खरीद कर रहे हैं. ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में लहसुन के दाम ₹200 किलो तक किसानों को मिलेंगे.
वहीं, कृषि विभागों कल्लू के उपनिदेशक सुशील शर्मा ने बताया कि सिरमौर के बाद कुल्लू जिला लहसुन उत्पादन में दूसरे स्थान पर आता है. कुल्लू जिले में किसानों को लहसुन का बीज भी कृषि विभाग के द्वारा उपलब्ध करवाया जाता है. ऐसे में इस साल कुल्लू जिले में 33500 मीट्रिक टन से अधिक लहसुन का उत्पादन हुआ है और किसानों को इसके अच्छे दाम भी मिल रहे हैं.