कोटा : लहसुन उत्पादक किसानों को इस बार मंडी में अच्छे दाम मिल रहे हैं. लहसुन की लगातार मांग बनी हुई है और सप्लाई धीरे-धीरे कमजोर होने लगी है. इसके चलते दाम काफी ज्यादा हो गए हैं. रिटेल के दाम की बात की जाए तो अच्छी क्वालिटी का लहसुन अब 500 रुपए से अधिक कीमत पर बिक रहा है. वहीं, बड़े शहरों में दाम और ज्यादा हैं. कोटा और यहां के आसपास हाड़ौती में अच्छी तादाद में लहसुन होता है. साथ ही एशिया की सबसे बड़ी लहसुन मंडी भी कोटा में ही है. इसी के चलते यहां पर दामों में थोड़ी कमी है, लेकिन फिर भी शहर की कई सब्जी मंडी में लहसुन के दाम 500 के आसपास पहुंच गए हैं. हालांकि, यह अच्छी और एक्सपोर्ट क्वालिटी का लहसुन है. शहर के बड़े रिटेल स्टोर में तो 479 रुपए प्रति किलो लहसुन बेचा जा रहा है.
लहसुन के दाम 35 हजार रुपए क्विंटल : भामाशाह कृषि उपज मंडी में लहसुन की वर्तमान में आवक 4500 कट्टे के आसपास है. मंडी के सचिव मनोज कुमार मीणा ने बताया कि वर्तमान में औसत दाम 30 हजार रुपए क्विंटल है. एक्सपोर्ट क्वालिटी के लहसुन के दाम 35 हजार रुपए क्विंटल तक पहुंच गए, जबकि न्यूनतम 25 हजार से 32 हजार के बीच है.
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2 साल में 12 गुना ज्यादा दाम : लहसुन के रिटेल विक्रेता राम रतन का कहना है कि लहसुन को खरीदने वाले ग्राहक भी नहीं हैं, क्योंकि महंगाई काफी ज्यादा है. ज्यादातर माल मंडी से बाहर के शहरों में ही जा रहा है. कोटा में तो लोग माल कम ही खरीद रहे हैं. साल 2022 में बेस्ट क्वालिटी के लहसुन के भाव अधिकतम 40 रुपए किलो के आसपास थे, जबकि साल 2023 में दाम बढ़कर 100 से 150 रुपए प्रति किलो के बीच हो गए. साल 2024 में रिकॉर्ड तोड़ते हुए एक्सपोर्ट क्वालिटी लहसुन के दाम 500 रुपए किलो से ज्यादा पहुंच गए हैं. सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाला मीडियम क्वालिटी का लहसुन भी 400 से 450 रुपए किलो के बीच मिल रहा है. यानी 2 साल में लहसुन के दाम 12 गुना तक बढ़ गए हैं.
रिटेल व्यापारी का कहना है कि मंडी से लोगों के घर तक लहसुन पहुंचाने में मंडी टैक्स, आढ़तियों के कमीशन के अलावा ट्रांसपोर्टेशन और लोडिंग-अनलोडिंग के साथ ही काफी कुछ जुड़ता है. इसके बाद थोक और रिटेल के व्यापारी का भी मुनाफा होता है. ऐसे में रिटेल की दुकान के जरिए ग्राहक तक पहुंच रहा लहसुन महंगा होता जाता है.
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माल खरीदने के लिए भी लगानी पड़ रही बड़ी राशि : एरोड्रम स्थित सब्जी मंडी के बाहर लहसुन बेचने वाली विमला का कहना है कि अब महंगा होने के चलते ग्राहक लहसुन से भी कन्नी काटने लगे हैं. ज्यादातर लोग 250 ग्राम लहसुन ही लेकर जा रहे हैं. यह भी 100 से 130 रुपए का पड़ता है. हर क्वालिटी का 50-50 किलो माल भी अगर खरीद कर लाते हैं तो कई दिनों तक नहीं बिक पाता. इसे खरीदने के लिए बड़ी राशि भी लगानी पड़ रही है. पहले जहां पर 10 से 15 हजार में सब तरह का माल आ जाता था, अब यह 50 हजार में भी नहीं आ रहा है. बिक्री का फ्लो भी पूरा नहीं है, इसलिए कमाई भी पूरी नहीं हो रही है.
खुली कलियां ले जाकर चला रहा काम : लहसुन खरीदने आए घनश्याम का कहना है कि ज्यादातर सब्जी में लहसुन का उपयोग किया जाता है. उनका कहना है कि पहले वो एक्सपोर्ट या अच्छी क्वालिटी का लहसुन लेकर जाते थे, लेकिन अब छोटी-छोटी छरी (बिखरी हुई कलियां) ले जाकर काम चलाते हैं. इनमें भी अधिकांश सुखी निकलती है और जल्द ही खराब हो जाती है. महंगा होने के चलते लहसुन का उपयोग कम कर दिया है.