कोटा. एशिया की सबसे बड़ी लहसुन मंडी कोटा की भामाशाह कृषि उपज मंडी है. यहां वर्तमान में लहसुन की आवक गिर गई है. लहसुन के लिए मंडी में ऑफ सीजन चल रहा है. इसी के चलते 50 से 80 क्विंटल के बीच ही लहसुन की आवक हो रही है, जबकि सीजन में यह 5 से 6 हजार क्विंटल तक हो जाती है. दूसरी तरफ किसानों के पास भी लहसुन नहीं है. वो भी बचा कुचा लहसुन सोर समेट कर मंडी में लेकर आ रहे हैं, क्योंकि मंडी में लहसुन के भाव आसमान पर है. इधर, मांग होने के चलते व्यापारी भी लहसुन खरीदने के इच्छुक हो रहे हैं, लेकिन उन्हें भी डिमांड के अनुरूप माल नहीं मिल पा रहा है. इसी के चलते दाम बढ़े हुए हैं.
कोटा भामाशाह कृषि उपज मंडी के सचिव जवाहरलाल नागर का कहना है कि वर्तमान में मंडी में 25 से 28 हजार रुपए प्रति क्विंटल लहसुन का दाम चल रहा है, जबकि एक्सपोर्ट क्वालिटी लहसुन के दाम 35 से 40 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक भी मिल रहे हैं, लेकिन यह लहसुन 1 क्विंटल से भी कम मंडी में पहुंच रहा है.
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अप्रैल के बाद बढ़ेगी आवक : मंडी सचिव जवाहरलाल नागर का यह भी कहना है कि लहसुन का मंडी में सीजन अप्रैल से लेकर सितंबर-अक्टूबर तक रहता है. इसमें लगातार लहसुन की आवक मंडी में होती है, लेकिन अक्टूबर के बाद लहसुन की आवक कम हो जाती है, क्योंकि किसानों के पास भी फसल नहीं रहती और लहसुन सूखने भी लगता है. साथ ही नए लहसुन की आवक मंडी में शुरू हुई है, लेकिन यह भी बहुत कम मात्रा में आ रहा है. 15 मार्च से मंडी में आवक शुरू होगी. साथ ही 1 अप्रैल के बाद आवक बढ़ जाएगी.
रिटेल में भाव बीते साल से 7-8 गुना ज्यादा : इधर, कोटा के रिटेल बाजार की बात की जाए तो यहां 300 से 350 रुपए किलो के भाव से लहसुन मिल रहा है. एरोड्रम के नजदीक सब्जी मंडी के व्यापारी अजय कुमार गौतम का कहना है कि वर्तमान में नया लहसुन न के बराबर आ रहा है. हालांकि, अधिकांश लहसुन नीमच की तरफ से आ रहा है, यह हल्का गीला या वजनी है. जबकि हाड़ौती का लहसुन सूखने से उसकी क्वालिटी कमजोर हो गई है. लहसुन का भाव 40 से 50 रुपए किलो था, जबकि इस साल भाव 300 से 350 रुपए के बीच में बना हुआ है.
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ट्रांसपोर्टेशन में ज्यादा खर्च से बढ़ रहा रिटेल दाम : मंडी सचिव जवाहरलाल नागर का कहना है कि मंडी में किसान बोली में जो भाव लगाता है, उसके बाद व्यापारी का मार्जिन, कमिशन, लेबर का खर्चा, मंडी टैक्स और ट्रांसपोर्टेशन भी जुड़ जाता है. वहीं, कोटा से कुछ लहसुन दक्षिण के इलाकों में भी भेजा जाता है. दूरी ज्यादा होने से ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा ज्यादा होता है. इससे वहां भाव भी बढ़ जाते हैं.
नमी के चलते नए लहसुन के दाम कम : जवाहरलाल नागर का कहना है कि वर्तमान में नया लहसुन मंडी में आने लगा है, लेकिन यह बहुत कम आ रहा है. बुधवार को कुल 50 क्विंटल लहसुन की आवक हुई है, जिसमें से एक क्विंटल नया लहसुन है. यह लहसुन भी चित्तौड़गढ़ जिले के बेगूं की तरफ से आ रहा है. वहां लहसुन की फसल थोड़ी पहले आ गई है. इस लहसुन के दाम 16 हजार रुपए प्रति क्विंटल के आसपास किसान को मिले हैं, क्योंकि इसमें नमी काफी रहती है और इसी के चलते इसका वजन ज्यादा होता है. इस लहसुन के सूखने पर इसका वजन कम हो जाता है. इसलिए व्यापारी इसे महंगे दाम पर नहीं खरीदते हैं.
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मंडी में भी इस साल कम आया 3.75 लाख क्विंटल लहसुन : एशिया में सबसे ज्यादा लहसुन का विक्रय कोटा की भामाशाह कृषि उपज मंडी में होता है. यहां के सेक्रेटरी जवाहरलाल नागर का कहना है कि साल 2022-23 में करीब 11 लाख क्विंटल लहसुन की आवक मंडी में हुई थी. वहीं, साल 2023-24 में अब तक 7.25 लाख क्विंटल लहसुन आया है. मंडी सचिव नागर का यह भी कहना है कि लगभग सीजन खत्म हो चुका है. ऐसे में अब ज्यादा लहसुन की आवक होगी, अगले वित्तीय वर्ष में ही लहसुन की आवक होगी. इस साल बीते साल से लगभग 3.75 लाख क्विंटल लहसुन कम मंडी में पहुंचा है.
कम होकर फिर बढ़ गया लहसुन का रकबा : साल 2022 में लहसुन के किसानों को पूरे दाम नहीं मिले थे. इसी के चलते उन्होंने उत्पादन नहीं किया और लहसुन का रकबा गिर गया था. साल 2022 में जहां 1.15 लाख हेक्टेयर में लहसुन की फसल किसानों ने उगाई थी, इससे बंपर उत्पादन होने के चलते किसानों का लहसुन दो से लेकर 20 रुपए किलो तक बिका था. किसानों ने उत्पादन कम करते हुए रकबा 2023 में घटाया और यह 51,448 हेक्टेयर रह गया, लेकिन दाम कम उत्पादन के चलते आसमान पर चले गए. किसानों को अच्छा खासा मुनाफा लहसुन में मिलने लगा. जहां 2022 में किसान खून के आंसू रो रहे थे, 2023 में एक बीघा जमीन पर उन्हें लाखों का फायदा हुआ. इसी के चलते 2024 में लहसुन का उत्पादन बढ़ाते हुए 90,861 हेक्टेयर में उत्पादन किया गया.