भोपाल। गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए इसकी सहायक नदियों को गंदा होने से बचाना जरुरी है. इसके लिए केंद्र सरकार नमामि गंगा योजना चला रही है. इसके तहत गंगा में मिलने वाली इसकी सहायक नदियों को शुद्ध करने का प्रयास किया जा रहा है. इसी दिशा में इंदौर में बहने वाली कान्ह-सरस्वती और उज्जैन में क्षिप्रा को प्रदूषण मुक्त किया जाएगा. इसमें मिलने वाली गंदगी को रोकने के लिए एसटीपी बनाने के साथ नालों का डायवर्सन भी किया जाएगा. पूरी योजना में करीब 603 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
बता दें कि इंदौर की कान्ह-सरस्वती और उज्जैन की क्षिप्रा दोनों ही गंगा की सहायक नदियां हैं. इंदौर से निकलकर कान्ह-सरस्वती उज्जैन पहुंचकर यहां क्षिप्रा से मिलती है. फिर क्षिप्रा आगे जाकर चंबल में मिल जाती है. जो आगे यमुना में मिलती है. यही आगे जाकर प्रयागराज में संगम बनकर गंगा में मिल जाती है. ऐसे में गंगा को साफ करने के लिए इसकी सहायक नदियों को साफ करना होगा. इनमें मिलने वाले सीवेज, गंदगी और नालों को रोकना होगा. तभी संभव होगा, कि गंगा प्रदूषण मुक्त होगी.
श्रद्धालुओं की आस्था को पहुंच रही चोट
मोक्षदायिनी शिप्रा में नालों और सीवेज का पानी मिलने से जहां नदी दूषित हो रही है, वहीं लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था को भी ठेस पहुंचती है. पहले कभी होल्कर राज में इस नदी में हाथी नहाते थे. अब शहर का सीवेज मिलने से नालों में बदल गई है.
पुराना स्वरुप लौटाने की हो रही तैयारी
अब एक बार फिर शिप्रा कान्ह और सरस्वती नदी का पुराना स्वरूप लौटाने की कवायद हो रही है. इसमें खर्च होने वाली 603 करोड़ रुपये की राशि केंद्र सरकार देगी. साथ ही 15 वर्षों के ऑपरेशन व मेंटेनेंस का खर्च भी वहन करेगी. इसके क्रियान्वयन और निगरानी की जिम्मेदारी संबंधित नगरीय निकायों की होगी.
अन्य सहायक नदियों की भी होगी सफाई
इंदौर में कान्ह-सरस्वती और उज्जैन में क्षिप्रा की तरह ग्वालियरए माहिदपुर, चित्रकूट और मंदसौर समेत 22 नगरीय निकायों की नदियों को स्वच्छ बनाया जाएगा. प्रथम चरण में इसकी शुरुआत इंदौर और उज्जैन से हो रही है.
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इनका कहना
आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग भरत यादव का कहना है कि 'एमपी के 22 नगरीय निकायों में नमामि गंगे मिशन के तहत नदियों का कायाकल्प होना है. पहले चरण में इंदौर व उज्जैन के लिए टेंडर जारी हो गए हैं. जल्द ही यहां काम शुरु होगा.'