जयपुर : रवि, सर्वार्थसिद्धि, ब्रह्म और स्वाति योग में शनिवार को देश भर में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है. छोटी काशी जयपुर के भी सभी प्रमुख गणेश मंदिरों में सुबह से श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. जयपुर की बसावट से पहले के गढ़ गणेश मंदिर में बारिश के बीच भक्त 365 सीढ़ियां चढ़कर भगवान के दर्शन करने के लिए पहुंचे. इसी तरह जयपुर के प्रसिद्ध मोती डूंगरी गणेश मंदिर और प्राचीन नहर की गणेश मंदिर में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रथम पूज्य के दर्शन करने के लिए आतुर नजर आए.
गणपति के जयकारों के बीच भक्तों का उत्साह : छोटी काशी शनिवार को गणपति बप्पा मोरया के जयकारों से गुंजायमान हो उठी. सुबह 5 बजे से ही गणेश मंदिरों के बाहर भक्तों की लंबी कतार लग गई. रिमझिम फुहार और गणपति के जयकारों के बीच भक्तों का उत्साह देखते ही बना. मोती डूंगरी (शंकरगढ़ी) की तलहटी में विराजमान भगवान गणेश को हीरे जड़े, स्वर्ण मुकुट और नौलखा हार धारण कराया गया और चांदी के सिंहासन पर विराजमान कराया गया. भगवान के दर्शन करने के लिए जेएलएन रोड से ही भक्तों की कतार लगी रही. यहां बैरिकेडिंग की व्यवस्था की गई, ताकि श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन करने में किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े.
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भक्तों को वितरित किया गया विशेष चूरमा प्रसाद : इसी तरह की व्यवस्था प्राचीन नहर के गणेश मंदिर में की गई, जहां माउंट रोड पर बैरिकेडिंग करते हुए भक्तों को मंदिर परिसर में प्रवेश किया गया. यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पहुंचकर भगवान के दर्शन किए और भोग अर्पित किया. दक्षिणावर्ती सूंड और दक्षिणाभिमुख भगवान गणपति को राजशाही पोशाक धारण कराई गई. विशेष रूप से तैयार स्वर्ण मुकुट और स्वर्ण कर्ण भी प्रथम पूज्य को धारण कराए गए. वहीं, जयपुर की नाहरगढ़ की पहाड़ियों पर विराजमान गढ़ गणेश मंदिर में लोग 365 सीढ़ियां चढ़ते हुए बाल स्वरूप भगवान विनायक के दर्शन करने के लिए पहुंचे. मंदिर प्रशासन की ओर से तैयार कराया गया विशेष चूरमा प्रसाद भक्तों को वितरित किया गया.
गणपति पूजन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त : बता दें कि भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी (गणेश चतुर्थी) पर मध्यान्हकाल में घर-घर गणपति बप्पा की पूजा अर्चना होगी. शास्त्रानुसार प्रथम पूज्य का जन्म वृश्चिक लग्न के दौरान मध्यान्ह काल में हुआ था. इस बार मध्यान्ह काल सुबह 11.11 से दोपहर 1.40 बजे तक और वृश्चिक लग्न सुबह 11.28 से दोपहर 1.40 बजे तक रहेगा. गणपति पूजन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त वृश्चिक लग्न में रहेगा. तब जयपुर वासी अपने घरों के दरवाजों पर विराजमान भगवान गणेश की पूजा-अराधना करेंगे. भगवान का अभिषेक कर, सिंदूर का चोला चढ़ाकर, पोशाक और जनेऊ धारण कराएंगे. दूर्वा, पाटा अर्पित करेंगे. भगवान के समक्ष डंके बजाए जाएंगे और फिर गुड़धानी, मोतीचूर के लड्डू, चूरमा का भोग लगाया जाएगा.