जोधपुर. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने संजीवनी मामले को लेकर पूर्व सीएम अशोक गहलोत पर बड़ा हमला बोला है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के चुनाव में संजीवनी केस को मुद्दा बनाने के सवाल पर शेखावत ने कहा है कि पिछले पांच साल तक संजीवनी की कालिख मेरे मुंह पर पोतने के लिए तत्कालीन राजस्थान सरकार के मुखिया ने हरसंभव प्रयास किया. कुछ टिप्पणियां इसी सर्किट हाउस के बाहर की थीं.
शुक्रवार को सर्किट हाउस में प्रेसवार्ता में उन्होंने कहा कि जो टिप्पणियां उन्होंने की थीं, उसके लिए के लिए वे आज भी न्यायालय में अपराधी की तरह खड़े थे. मैं उस दिन भी कह रहा था और आज भी कहता हूं कि अग्नि परीक्षा से निकालने के लिए तैयार हूं. आज तक मेरे ऊपर कोई लांछन नहीं लगा. आगे भी नहीं लगा सकते हैं. यह झूठ फैलाने वाले खुद उस झूठ की अग्नि में जलकर भस्म हो जाएंगे. जिस दिन फैसला आएगा, क्षमा याचना करनी पड़ेगी.
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जनता के टैक्स से खड़े किए वकील: केंद्रीय मंत्री ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि हाईकोर्ट में संजीवनी केस में मुझे फंसाने के लिए राजस्थान की तत्कालीन सरकार ने 40 करोड़ रुपए वकीलों को फीस के रूप में दिए हैं. मानहानि केस से अपने आप को बचाने के लिए 2 करोड़ रुपए की फीस आपके और मेरे टैक्स के पैसे से दी. उन्होंने पूछा, शब्द सरकार ने बोले थे या मुख्यमंत्री ने बोले थे या व्यक्तिगत बोले थे. जो गालियां मुझे दी गई थीं, वो किसने दी थीं, माननीय अशोक गहलोत साहब ने दी थीं. अब उसका खर्चा आपके और मेरे टैक्स के पैसे से हो, उसके लिए चिट्ठी लिखकर गुहार लगा रहे हैं. शेखावत ने कहा कि मैं आज जिम्मेदारी से कह रहा हूं कि जिस दिन फैसला आएगा, दो ही विकल्प होंगे या तो उनके नेता की तरह हमेशा के लिए पॉलिटिक्स से बाहर हो जाएंगे या सार्वजनिक रूप से क्षमा याचना करेंगे.
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मात्र 7 हजार करोड़ ही खर्च पाई थी पूर्ववर्ती सरकार: चुनाव में पार्टी के विजन के सवाल पर शेखावत ने कहा कि विगत 110 साल के विकास और भारत को विकसित बनाने के संकल्प को लेकर हम लोगों के बीच जा रहे हैं, जबकि वर्ष 2014 में जब हम चुनाव में गए थे, तब देश में दो तरह के समाचार मीडिया की सुर्खियों में रहते थे, एक घोटालों और दूसरे आतंकवादी घटनाओं के. अब आम आदमी के जीवन में परिवर्तन और विकास के समाचार सुर्खियां बन रहे हैं. पानी के सवाल पर शेखावत ने कहा कि जल संविधान में राज्य का विषय है. हमने राजस्थान सरकार को 27 हजार करोड़ रुपए आवंटित किए, लेकिन पिछली गहलोत सरकार मात्र 7 हजार करोड़ खर्च कर पाई. उसमें भी भ्रष्टाचार किया, जिसकी जांच की जा रही है.