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हिमाचल का ये वीर स्वतंत्रता सेनानी, 24 साल की उम्र में दी थी शहादत

वीर योद्धा वजीर राम सिंह पठानिया की प्रतिमा का राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने अनावरण किया. उन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों में विद्रोह का नेतृत्व किया था.

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 3 hours ago

WAZIR RAM SINGH PATHANIA STATUE
वजीर राम सिंह पठानिया की प्रतिमा का अनावरण (ETV Bharat)

कांगड़ा: राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने सोमवार को कांगड़ा जिले के नूरपुर उपमण्डल में महानायक वज़ीर राम सिंह पठानिया की प्रतिमा का अनावरण किया. इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा वज़ीर राम सिंह पठानिया एक महान स्वतंत्रता सेनानी, सशस्त्र क्रांति के जननायक थे, जिनका नाम इतिहास के पन्नों में साहस, देशभक्ति और दृढ़ संकल्प के प्रतीक के रूप में अंकित है.

राज्यपाल ने कहा हम न केवल उनके असाधारण जीवन को श्रद्धांजलि देने के लिए बल्कि उनकी विरासत को पुनर्जीवित करने के लिए भी एकत्रित हुए हैं, जो पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं.

वजीर राम सिंह पठानिया एक बहादुर योद्धा थे. उन्होंने भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहले संगठित सशस्त्र विद्रोह का नेतृत्व किया. 1857 के विद्रोह से पहले साल 1848 में उन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों में विद्रोह का नेतृत्व किया और लोगों को ब्रिटिश सेना के खिलाफ खड़ा होने के लिए प्रेरित किया.

शाहपुर में उनकी लड़ाई उनकी सैन्य कुशलता और अपने लोगों के लिए स्वतंत्रता की उनकी अथक खोज का प्रमाण है. उन्होंने मुट्ठी भर साथियों के साथ अंग्रेजी साम्राज्य की नींव हिलाकर रख दी थी.

राज्यपाल ने कहा कि अंग्रेजों ने षड्यंत्र कर वज़ीर राम सिंह पठानिया को गिरफ्तार किया और आजीवन कारावास की सजा सुनाकर कालापानी भेज दिया. इसके बाद स्वतंत्रता सेनानी को रंगून भेजा गया और उन पर काफी अत्याचार किए गये. 11 नवंबर 1849 को मात्र 24 साल की उम्र में वह वीरगति को प्राप्त हुए.

राज्यपाल ने कहा यह प्रतिमा न केवल हमें प्रेरित करेगी बल्कि वज़ीर राम सिंह पठानिया की अदम्य साहस का प्रमाण भी बनेगी. उनकी विरासत हमारे दिलों में हमेशा ज़िंदा रहेगी.

ये भी पढ़ें: "शिक्षा के स्तर पर हिमाचल का देश में 21वां स्थान, कभी टॉप-3 में आता था प्रदेश"

कांगड़ा: राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने सोमवार को कांगड़ा जिले के नूरपुर उपमण्डल में महानायक वज़ीर राम सिंह पठानिया की प्रतिमा का अनावरण किया. इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा वज़ीर राम सिंह पठानिया एक महान स्वतंत्रता सेनानी, सशस्त्र क्रांति के जननायक थे, जिनका नाम इतिहास के पन्नों में साहस, देशभक्ति और दृढ़ संकल्प के प्रतीक के रूप में अंकित है.

राज्यपाल ने कहा हम न केवल उनके असाधारण जीवन को श्रद्धांजलि देने के लिए बल्कि उनकी विरासत को पुनर्जीवित करने के लिए भी एकत्रित हुए हैं, जो पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं.

वजीर राम सिंह पठानिया एक बहादुर योद्धा थे. उन्होंने भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहले संगठित सशस्त्र विद्रोह का नेतृत्व किया. 1857 के विद्रोह से पहले साल 1848 में उन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों में विद्रोह का नेतृत्व किया और लोगों को ब्रिटिश सेना के खिलाफ खड़ा होने के लिए प्रेरित किया.

शाहपुर में उनकी लड़ाई उनकी सैन्य कुशलता और अपने लोगों के लिए स्वतंत्रता की उनकी अथक खोज का प्रमाण है. उन्होंने मुट्ठी भर साथियों के साथ अंग्रेजी साम्राज्य की नींव हिलाकर रख दी थी.

राज्यपाल ने कहा कि अंग्रेजों ने षड्यंत्र कर वज़ीर राम सिंह पठानिया को गिरफ्तार किया और आजीवन कारावास की सजा सुनाकर कालापानी भेज दिया. इसके बाद स्वतंत्रता सेनानी को रंगून भेजा गया और उन पर काफी अत्याचार किए गये. 11 नवंबर 1849 को मात्र 24 साल की उम्र में वह वीरगति को प्राप्त हुए.

राज्यपाल ने कहा यह प्रतिमा न केवल हमें प्रेरित करेगी बल्कि वज़ीर राम सिंह पठानिया की अदम्य साहस का प्रमाण भी बनेगी. उनकी विरासत हमारे दिलों में हमेशा ज़िंदा रहेगी.

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