जयपुर: विधानसभा के बजट सत्र की कार्यवाही आखरी दो दिन के हाईवोल्टेज ड्रामे के साथ अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई. 22 दिन तक चले इस सत्र में भजनलाल सरकार का पूर्ण बजट पेश हुआ, लेकिन इस दौरान प्रस्तावित ट्रांसफर, पानी और लोकतंत्र सेनानी सहित कोई भी नया विधेयक पारित नहीं हुआ. हालांकि गांधी वाटिका ट्रस्ट को खत्म जरूर किया गया. माना जा रहा है कि सरकार की आधी-अधूरी तैयारी और ब्यूरोक्रेसी के तालमेल के अभाव में सरकार इस बार लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक और ट्रांसफर पॉलिसी इस विधानसभा में पेश नहीं कर पाएगी. जबकि इन दोनों विधेयक का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया था. ब्यूरोक्रेसी की ओर से बनाए गए इस ड्राफ्ट को पार्टी संगठन ने खारिज कर दिया और अब नए सिरे से इन पर मंथन होगा.
नया विधेयक पारित नहीं: विधानसभा में इस बार भजनलाल सरकार सदन में सिर्फ वित्त विधेयक और वित्त विनियोग विधेयक ही पारित करवा पाई, जो बजट पेश होने के बाद हर साल की प्रक्रिया है, लेकिन नया एक भी विधेयक पारित नहीं हुआ. जबकि पानी, तबादला नीति और लोकतंत्र सेनानी से जुड़े बिल प्रस्तावित होने के बावजूद पारित नहीं हुए. बताया जा रहा है कि लोकतंत्र सेनानी विधेयक को जब सरकार सदन में पेश करने की तैयारी में थी, तब ही राजेन्द्र राज सहित अन्य सेनानियों ने मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग से मुलाकात कर इस विधेयक की खामियों के बारे में बताया.
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इसके बाद जोगेश्वर गर्ग ने भी माना कि लोकतंत्र सेनानी संबंधित विधेयक के प्रारूप में कमियां हैं. इन खामियों के कारण इस विधेयक को इस सत्र में नहीं लाया जाएगा, लेकिन अब कमियों को दूर करने के बाद ही जल्द ही बिल लाया जाएगा. सूत्रों की मानें तो इस विधेयक में जो लोकतंत्र सेनानियों के लिए प्रावधान किये थे, उससे इस विधेयक से जुड़े लोग संतुष्ट नहीं थे. इसलिए उनकी आपत्ति संगठन के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंची थी.
वहीं तबादला नीति को लेकर जहां मुख्य सचिव के स्तर पर अंतिम रूप दे दिया गया था, उसे भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. इस बिल को लेकर माना जा रहा था कि सरकार इस बजट सत्र में पेश करेगी, लेकिन पॉलिसी में जो प्रावधान किये गए उससे पार्टी के बड़े नेता ज्यादा खुश नहीं थे. सूत्रों की मानें तो मुख्य सचिव के स्तर पर तैयार की गई इस पॉलिसी में जनप्रतिनिधियों की सिफारिशों को शामिल नहीं किया गया था. यानी तबादले में विधायकों की डिजायर नहीं मानी जाएगी.
जनप्रतिनिधियों की सिफारिशों को अलग करने का मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा था, उसके बाद इस पॉलिसी को एक बार के लिए होल्ड कर दिया गया. संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि जहां तक तबादला नीति का सवाल है, जब भी इसे अंतिम रूप दिया जाएगा, उसकी पूरी जानकारी दी जाएगी. अभी अनेक चीज ऐसी हैं जो विचाराधीन रहती हैं, उसमें अनेक तरह की सलाह, पक्ष-विपक्ष, लाभ-हानि सब बातों पर विचार किया जाता है. इन सब पर विचार करने के बाद अंतिम रूप देकर नीति सदन में लाई जाएगी.