धमतरी : तंत्र मंत्र से पैसों की बारिश के चक्कर में एक शख्स को बाबा ने 52 लाख रुपए का चूना लगा दिया है.ये पूरा मामला कुरुद थाना क्षेत्र का है.इस पूरे मामले में आरोपी की तलाश में पुलिस जुटी है. पुलिस के मुताबिक परसवानी गांव के लेखराम चंद्राकर को उत्तर प्रदेश के मथुरा में रहने वाले एक तांत्रिक ने अपने झांसे में लिया. तांत्रिक ने तंत्र शक्ति से पैसों की बारिश करवाने का दावा किया. इसकी आड़ में तांत्रिक ने कई किस्तों में लेखराम से रकम लिए.जो धीरे-धीरे करकर 52 लाख रुपए तक पहुंच गया.लेकिन आधा करोड़ रुपए ले लेने के बाद भी पैसों की बारिश नहीं हुई.हां लेखराम को बिना कत्था का चूना जरुर लग गया.
कैसे हुई ठगी की वारदात : लेखराम चंद्राकर निवासी ग्राम परसवानी ने कुरूद थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई कि मोहन शर्मा जो यूपी के मथुरा का निवासी है.उसके बारे में धरमपाल गुप्ता और रेखा राजपूत ने बताया. दोनों ने मोबाइल से लगातार लेखराम को फोन करके ये बताया कि यूपी वाले बाबा तंत्र मंत्र से लोगों की तकलीफों को दूर करते हैं.पैसों की बारिश करवाते हैं.
परिचितों ने फोटो और वीडियो दिखाए : लेखराम के परिचितों ने लगातार बात करते हुए तंत्र-मंत्र के फोटो, वीडियो, पैसों की गड्डी के फोटो, तंत्र-मंत्र क्रियाओं की तस्वीरें उसे वाट्सअप के माध्यम से भेजा. जिसके बात लेखराम दोनों के झांसे में आ गया.परिचितों ने लेखराम का आधार कार्ड, घर की तस्वीर भी मंगवा ली.जिस पर बाबा ने घर आकर तंत्र-मंत्र की पूजा कर घर के दुखों को दूर करने और पैसों की बारिश करने की बात कही.
बाबाजी के चक्कर में गवाएं पैसे : लेखराम ने झांसे में आकर ऑनलाइन माध्यम से तीनों के खाते में 18 अक्टूबर 2021 से 25 दिसंबर 2023 तक कुल 52 लाख 49 हजार 425 रुपए जमा कर गए. लेकिन जब बाबा के कहे अनुसार घर का कलेश दूर नहीं हुआ और पैसों की बारिश नहीं हुई तो लेखराम ने अपने पैसे वापस मांगे.इसके बाद भी लेखराम को झूठा आश्वासन दिया गया. लिहाजा लेखराम ने तीनों के खिलाफ छलपूर्वक पैसे ऐंठने की शिकायत थाने में दर्ज कराई.
पैसों की बारिश का झांसा देकर ठगों ने 52 लाख से ज्यादा के रकम की धोखाधड़ी की है. आरोपी की गिरफ्तारी के लिए टीम गठित की गई है. मामले में जांच की जा रही है और आरोपी की तलाश की जा रही है- मणिशंकर चंद्रा, एएसपी
आपको बता दें कि लेखराम जैसे ना जाने कितने ही लोग रोजाना ठगों के चक्कर में आकर अपनी गाढ़ी कमाई लुटा देते हैं.इस केस में यदि लेखराम ने बाबा के कहे गए दावों की सच्चाई को जानने की कोशिश की होती तो आज वो कंगाल ना होता.लेखराम भले ही करोड़पति ना बना हो,लेकिन उसके पैसों से बाबा और उसकी मंडली की तीन साल से दिवाली जरुर मन रही थी. इसलिए पढ़ा लिखा होने के बाद भी ऐसे ढोंगियों के चक्कर में आ जाना इस बात का सूचक है कि लालच की मोटी पट्टी के आगे सच की रोशनी नहीं दिखाई देती.