गया : बिहार के गया में सरकार की लापरवाही की वजह से धनगाई सरकारी स्कूल में 1 से 12वीं तक की क्लास चलती है. इस स्कूल में 800 बच्चे नामांकित हैं. खास बात ये है कि यहां पर 21 टीचर नियुक्त किए गए हैं, लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि यहां पर महज 4 कमरे में ही 12वीं तक की कक्षाएं संचालित हैं.
4 कमरे में 800 बच्चों की क्लास : वैसे धनगाई हाईस्कूल में 7 कमरे हैं लेकिन महज 4 कमरे में 800 बच्चे पढ़ते हैं. यानी औसत निकालें तो एक कमरे में 200 बच्चे बैठते होंगे. स्कूल में जगह नहीं मिलने की वजह से कई बच्चे घर को लौट जाते हैं. 800 बच्चों को पढ़ाने के लिए 21 शिक्षक 4 कमरों में पठन पाठन का काम पूरा कराते हैं. इन शिक्षकों में 13 शिक्षक बीपीएससी द्वारा चयनित हुए हैं.
1 से 12वीं तक होती है पढ़ाई :एक ही कमरे में एक ओर हिन्दी की पढ़ाई चल रही होती है तो दूसरी ओर गणित की कक्षा और वहीं बगल में साइंस की क्लास भी चल रही होती है. एक ही कमरे में 3-4 कक्षाएं संचालित होती हैं. इससे बच्चों का न सिर्फ ध्यान बंट जाता है बल्कि शिक्षक भी पढ़ाने में परेशानी अनुभव करते हैं.
स्कूल की हालत खराब : यह स्कूल 1990 में नक्सलियों द्वारा विस्फोट कर उड़ा दिया गया था. तब इस स्कूल के पास अपना भवन हुआ करता था. दो मंजिला स्कूल की जर्जर इमारत आज भी वैसे ही पड़ी है. आज तक ढह चुके स्कूल का मलबा नहीं उठाया गया है. स्कूल में बैठने की व्यस्था से अभिभावक भी नाराज हैं लेकिन उनकी आवाज को सुनने वाला कोई नहीं. शिक्षा विभाग सबकुछ देखकर भी अनजान बना हुआ है और सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है.
स्कूल का स्टेडियम तैयार : हां भले ही 4 कमरे हैं लेकिन इस स्कूल के लिए एक खेल स्टेडियम तैयार कर दिया गया है. स्टेडियम अपने अंतिम रूप ले रहा है. एक कमरे में स्मार्ट क्लास चलती है तो एक कमरे में लैब और एक कमरे में ऑफिस संचालित है. शेष 7 में 4 कमरे जो बच गए उसी में बच्चे पढ़ाई करते हैं. मौसम ठीक रहा तो पेड़ के नीचे भी क्लास लगती है.
स्थानीय लोगों ने की कमरे बनवाने की मांग : वहीं, ग्रामीण देवनंदन यादव, पप्पू कुमार बताते हैं, कि ''चार कमरों में कैसे पढ़ाई हो सकती है? जबकि यहां कक्षा एक से 12वीं क्लास तक की पढ़ाई होती है, लेकिन सिर्फ चार कमरे हैं, जिसमें पढ़ाया जाता है. इससे छात्रों को काफी दिक्कते होती है. यहां कईगांव के छात्र-छात्राएं पढ़ने आते हैं, लेकिन यहां काफी असुविधा होती है.'' वहीं प्रभारी प्रधानाध्यापक ने कहा कि और कमरे बनाने की जरूरत है.
''यहां कमरे छात्रों के पढ़ने के लिए कम पड़ जाते हैं. कमरा कम होने के कारण काफी दिक्कते होती है. पढ़ाई के लिए छह कमरों का यूज होता है. पढ़ाई के लिए और कमरे बनाए जाएं, ताकि छात्रों को दिक्कत न हो. शिक्षा विभाग से इस तरह की कई बार मांग की जा चुकी है.''- अमित कुमार केशरी, प्रभारी प्रधानाध्यापक, मिडिल एवं प्लस टू हाई स्कूल धनगाई.
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